2007-08 में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (एससीजी) पर खेला गया भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया मैच क्रिकेट इतिहास के विवादास्पद टेस्ट मैचों में से एक माना जाता है। इस मैच में अंपायरो ने लगभग 9 गलत फैसलों फैसले लिए, जिसके कारण भारत एक नजदीकी मैच में हार गया। माइकल क्लार्क ने स्लिप में गांगुली को विवादास्पद कैच लपकने की कोशिश की और अपील किया। जिसे अंपायर ने आउट दे दिया। जबकि रिप्ले से साफ पता चल रहा था कि गेंद मैदान को छूकर ही क्लार्क के हाथ में गई थी। कैच संदेहास्पद होने के बावजूद जब क्लार्क के बगल में खड़े दूसरे फील्डर और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग से अंपायरों ने कैच के बारे में पूछा तो पोंटिंग ने भी उंगली उठाकर ऑउट का संकेत दिया। जिसे अंपायरों ने भी मान लिया और गांगुली को ऑउट करार दिया गया। ऐसे ही अनेक विवादास्पद फैसले अंपायरों ने पूरे मैच के दौरान लिए। मैच के बाद भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने टिप्पणी की कि ‘केवल एक टीम खेल भावना के अनुसार खेली।’ हालांकि बीसीसीआई के मांग पर आईसीसी ने तीसरे टेस्ट मैच के लिए विवादास्पद अंपायर स्टीव बकनर को हटा दिया और उनके जगह बिली बाेडेन को जगह दी गई। लेकिन इसके बाद यह विवाद दूसरा मोड़ पकड़ लिया जब एंड्रयू साइमंड्स ने हरभजन सिंह पर नस्लीय टिप्पणी और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। मैच रेफरी माइक प्रॉक्टर ने आरोपों पर सुनवाई करते हुए इस ऑफ स्पिनर पर तीन टेस्ट मैचों का प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद जो हुआ, वह और भी नाटकीय था। भारत ने इस प्रतिबंध को अनुचित बताते हुए दौरे से तुरंत वापसी की घोषणा कर दी। मामला बिगड़ता देख आईसीसी को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा। आईसीसी ने इस मुद्दे को सुलझाने और सही दोषी को सजा देने के लिए एक अनुशासनात्मक समिति का गठन किया। इसके बाद ही भारत ने दौरा जारी रखने का फैसला किया। भारत ने न सिर्फ दौरा जारी रखा बल्कि जोश से भरी हुई टीम ने पर्थ के अगले टेस्ट मैच में शानदार जीत दर्ज की। 28 जनवरी को आईसीसी की अनुशासनात्मक समिति ने हरभजन के तीन टेस्ट मैचों के प्रतिबंध को समाप्त करते हुए उन पर मैच फीस का जुर्माना लगाया। इस तरह यह कड़वी गाथा समाप्त हुई।