मैच-फिक्सिंग विवाद (2000) के 12 साल बाद भारतीय क्रिकेट को एक और बड़ा झटका आईपीएल 2012 और 2013 के दौरान लगा था। यह मुद्दा सर्वप्रथम 2012 में शुरू हुआ, जब एक भारतीय न्यूज चैनल इंडिया टीवी ने एक स्टिंग ऑपरेशन प्रसारित किया था। इस स्टिंग में पांच आईपीएल खिलाड़ियों पर स्पॉट फिक्सिंग के लिए घूस मांगते हुए दिखाया गया। बीसीसीआई ने इन सभी पांच खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें टीपी सुधींद्र पर आजीवन प्रतिबंध और शलभ श्रीवास्तव पर पांच साल का प्रतिबंध लगा। इसके अलावा अन्य तीन क्रिकेटरों अभिनव बाली, मोहनीश मिश्रा और अमित यादव को भी एक-एक साल के प्रतिबंध की सजा मिली। जब लग रहा था कि सब कुछ सही हो चुका है, अचानक से स्पॉट फिक्सिंग का जिन्न फिर से निकल के बाहर आ गया। आईपीएल 2013 के दौरान दिल्ली पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर एस श्रीसंत के साथ अंकित चव्हाण और अजित चंडिला को स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार किया। इसके अलावा 11 सट्टेबाज भी गिरफ्तार हुए। स्थिति तब और भी गंभीर हो गई जब चेन्नई सुपरकिंग्स के सर्वेसर्वा और बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को अवैध सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। जल्द ही राजस्थान रॉयल्स टीम के मालिक राज कुंद्रा को भी इसी मामले में गिरफ्तार किया गया। इसके बाद राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग्स पर कई गंभीर आरोप भी लगे। इस कारण से एन श्रीनिवासन को आईपीएल अध्यक्ष के पद से हटना पड़ा और उनकी जगह राजीव शुल्का को अध्यक्ष बनाया गया। मामले को गंभीरता से लेते हुए भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इसमें हस्तक्षेप किया और एक ऐतिहासिक फैसले में चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स को दो साल के लिए आईपीएल से निलंबित कर दिया।