ऐसा हर दिन नहीं होता है जब एक टीम टेस्ट मैच की एक पारी में 500 का स्कोर करती हैं। पिछले 3 सालों में टेस्ट खेलने वाले देशों ने 48 बार 500 से ज्यादा का स्कोर बनाया है। इन तीन वर्षों में भारतीय टीम की बल्लेबाजी शानदार रही है। 11 बार 600 से ज्यादा स्कोर बना है, उसमें भारतीय टीम ने ये 5 बार ये कारनामा किया है। इन तीन वर्षों में भारतीय टीम ने 18 मैचों में जीत व 6 में हार का सामना किया है। वहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 17 में जीत व 12 में हार का सामना किया है। जिसमें टीम का प्रदर्शन उपमहाद्वीप में बेहद खराब रहा है। आईए डालते हैं एक नजर उन शीर्ष 5 टीमों पर जिन्होंने बीते 3 वर्षों में 500 से ज्यादा का स्कोर किया है। दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और बांग्लादेश ने तीन बार 500 से ज्यादा रन बनाएं हैं, जबकि वेस्टइंडीज ने ये कारनामा एक बार भी नहीं किया है। इंग्लैंड- 4 बार इंग्लैंड ने 4 बार 500 का स्कोर किया है, जिसमें से 3 बार विदेशी धरती पर वह ऐसा कारनामा कर चुके हैं। लेकिन टीम की सफलता पर उसका असर नहीं पड़ा है। राजकोट में भारत के खिलाफ इंग्लैंड ने 537 रन बनाए हैं। लेकिन ये मैच ड्रा हो गया था। उसके बाद इंग्लैंड ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन में 629 रन बनाए। लेकिन ये मैच भी ड्रा हो गया था। इसके अलावा टीम को भारत ने 4 मैचों में लगातार शिकस्त भी दी। कुल मिलाकर इंग्लैंड को बीते 3 वर्षों में 15 में जीत तथा 15 में हार का सामना करना पड़ा है। इंग्लैंड के प्रदर्शन में सुधार भी हुआ है। उसकी वजह टीम में जॉनी बैरेस्टो और बेन स्टोक्स जैसे मध्यक्रम के बल्लेबाज़ हैं। इंग्लैंड की टीम ने बीते दिनों जरुरी समय पर रन बनाकर टीम का बेड़ा पार किया है। वहीं कप्तान जोय रूट अपने पूर्ववर्ती कुक के मुकाबले काफी आक्रामक भी हैं। पाकिस्तान- 7 बार पाकिस्तान की जीत का हमेशा सबसे बड़ा कारण उनकी मजबूत गेंदबाज़ी रही है। लेकिन टेस्ट मैचों में पिछले तीन साल में पाक टीम ने काफी सुधार किया है। जिसमें सबसे बड़ी भूमिका मिस्बाह उल हक और युनिस खान की रही है। उसके बाद युवा अजहर अली और असद शफीक ने पाक की बल्लेबाज़ी को और मजबूती प्रदान की है। अबूधाबी में पाकिस्तान ने इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के खिलाफ खेलते हुए 6 बार 500 से ज्यादा स्कोर बनाया है। इसके अलावा एक बार इंग्लैंड के खिलाफ ओवल में 500 रन बनाए हैं। इसके अलावा बांग्लादेश के खिलाफ पाक ने एक बार 600 का आंकड़ा भी छुआ है। हालांकि पाक ने अंतिम दो वर्षों में सिर्फ तीन बार ही 500 का आंकड़ा छुआ है। इस दौरान पाकिस्तान ने 14 में जीत और 13 में हार का सामना किया है। इस दौरान पाकिस्तान का औसत 36.4 का रहा है। इसीलिए ऑस्ट्रेलिया और भारत के बाद इस लिस्ट में पाक का नाम है। न्यूज़ीलैंड- 7 बार न्यूजीलैंड ने इन वर्षों में सबको हैरान किया है। ब्रेंडन मैकुलम के बाद इस टीम की कमान केन विलियम्सन ने बेहतरीन ढंग से संभाला है। न्यूज़ीलैंड का इन तीन वर्षों में टेस्ट में 690 का उच्च स्कोर बनाया है। ये स्कोर कीवी टीम ने पाकिस्तान के खिलाफ शारजाह में बनाया था। इसके अलावा पर्थ में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 624 रन बनाए थे। न्यूज़ीलैंड ने बुलावायो में दो बार 500 का स्कोर किया था, साथ ही एक बार लॉर्ड्स के मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ भी टीम ने 500 से ज्यादा स्कोर किया है। कीवी टीम को 12 मैच में जीत व 11 में हार का सामना करना पड़ा। टीम का औसत 36.38 का रहा है जो पाकिस्तान से बेहतर रहा है। न्यूज़ीलैंड ने आखिरी दो वर्षों में 4 बार 500 से ज्यादा का स्कोर किया है। हालाँकि टीम को ब्रेंडम मैकुलम की कमी खलती रही है। भारत-8 बार भारत ने टेस्ट में बीते दो वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है। टीम ने बीते तीन वर्षों में 8 बार 500 से ज्यादा रन का स्कोर बनाया है। भारत ने अपने सभी 500 से ज्यादा के स्कोर आखिर दो वर्षों में बनाया है। इसके अलावा भारतीय टीम ने 5 बार 600 रन से ज्यादा का स्कोर किया है। वहीं इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अफ्रीका एक-एक बार ऐसा किया है। न्यूज़ीलैंड ने 3 वर्षों में दो बार 600 का आंकड़ा पार किया है। वहीं पाकिस्तान ऐसा एक बार किया है। 55 पारियों में भारतीय टीम का बल्लेबाज़ी औसत इस दौरान 37.88 का रहा है। जो ऑस्ट्रेलिया के बाद सबसे बेहतर है। वहीं भारतीय टीम ने इस दौरान सबसे ज्यादा इंग्लैंड के खिलाफ 759 रन भी बनाये हैं। भारत ने श्रीलंका और वेस्टइंडीज के खिलाफ भी 500 से ज्यादा का स्कोर किया है। ऑस्ट्रेलिया- 13 बार ऑस्ट्रेलिया इस चार्ट में सबसे ऊपर है, यही नहीं कंगारुओं का उच्च स्कोर इन तीन वर्षों के दरम्यान 624/8 रहा है। दिलचस्प बात ये है कि ऑस्ट्रेलिया ने एक-एक बार 500 का आंकड़ा वेलिंगटन, क्राइस्टचर्च और लॉर्ड्स में छुआ है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया ने भारत के खिलाफ इन 3 वर्षों में 8 बार 500 का आंकड़ा छुआ है। ऑस्ट्रेलिया का इस दरम्यान हार-जीत का औसत 1.416 का रहा है। वहीं 63 पारियों में बल्लेबाज़ी का औसत 38.37 का रहा है। दुर्भाग्यवश इस दौरान ऑस्ट्रेलिया ने सबसे न्यूनतम स्कोर 60 भी बनाया है। वहीं ऑस्ट्रेलियाई टीम की कमजोरी हर बार उपमहाद्वीप में खुलती रही है। बड़े मैचों में टीम बुरी तरह बिखरी है। लेकिन आने वाले समय में ऑस्ट्रेलिया का प्रदर्शन और बेहतर होगा यही उम्मीद है। लेखक-कृष्ण श्रीपदा, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी