हर खिलाड़ी और कप्तान इस बात को मानता है कि मीडिया से रू-ब-रू होना हमेशा सुखद अनुभव नहीं होता। पत्रकारों के सवाल टीम के प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं और अगर टीम हार जाती है तो कप्तान पर मीडिया के सवालों की बारिश हो जाती है। इस बात को लेकर ये कहा जाता है कि धोनी और कोहली में उतना ही फ़र्क है जितना सोना और पीतल में होता है। अपने कार्यकाल में धोनी को ये बात अच्छी तरह पता थी कि मीडिया के चुभते हुए सवाल का किस तरह से सामना करना पड़ता है। वो अपने शब्दों के जाल से पत्रकारों के सवालों का चतुराई से जवाब देते थे। जिस तरह से वो मीडिया से छिप कर कई काम कर लेते थे वैसा कोई भी कप्तान नहीं कर पाता था। किसी को भी ये बात पता नहीं थी कि वो दिसंबर 2014 में रिटायर होने वाले हैं। यही नहीं उनकी शादी की ख़बर मीडिया को ठीक उसी दिन लगी जिस दिन उनकी शादी हो रही थी। दूसरी तरफ़ कोहली मीडिया के सामने बेख़ौफ़ नज़र आते हैं। जब पत्रकार उनसे कुछ चुभते हुए सवाल पूछते हैं तो वो अकसर आक्रामक हो जाते हैं। सेंचुरियन में टेस्ट मैच हारने के बात जब पत्रकारों ने उनके तरीकों पर सवाल किए गए थे तो वो संयम से जवाब नहीं दे पा रहे थे। जब कोहली को टीम में बार-बार बदलाव करने पर पूछा गया तो वो अपनी ग़लती को मानने को तैयार नहीं दिख रहे थे। पिछले साल बैंगलोर टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ जीत के बाद हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कोहली और मीडिया के बीच तीखी बहस देखने को मिली। इस प्रेस कॉन्फ़्रेंस में उन्होंने कंगारू टीम के खिलाड़ियों पर फ़ाउल प्ले का इल्ज़ाम लगाया। इस टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ चेंजिंग रूम से रिव्यू के लिए मदद लेते हुए देखे गए थे।