#2 कैप्टन कूल बनाम आक्रामक कप्तान
जहां भावनाओं पर काबू करने की बात आती है तो दोनों कप्तानों का तरीका बेहद अलग है। धोनी का आक्रामक तेवर शायद ही कभी किसी को देखने को मिला हो। साल 2013 में धोनी की प्रतिक्रिया देखने लायक थी जब दिल्ली के फ़िरोज़शाह कोटला मैदान में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ 4-0 से सीरीज़ जीती थी। उस वक़्त धोनी ने धीरे से स्टंप उठाया, चेतेश्वर पुजारा से हाथ मिलाया और बेहद शांत तरीके से मैदान से बाहर आ गए। अगर कोई भी टीम ऑस्ट्रेलिया का सीरीज़ में पूर्ण सफ़ाया करती है तो वो इसे पूरे गर्व के साथ बयां करती है, लेकिन धोनी छोटे-बड़े हर मौक़ों पर शांत दिखते थे उनके चेहरे या स्वभाव में कभी कोई घमंड नहीं दिखता था। दूसरी तरफ़ मौजूदा कप्तान कोहली की बात करें तो वो आक्रामक छवि के लिए जाने जाते हैं। जब भी टीम इंडिया का कोई विकेट गिरता है तो वो परेशान नज़र आने लगते हैं। धोनी ने अपनी कप्तानी के दौरान कभी किसी भी विपक्षी खिलाड़ियों के ख़िलाफ़ स्लेजिंग करते नहीं देखे गए। लेकिन जब कोहली की बात करतें तो वो विपक्षी खिलाड़ियों के ज़ुबानी हमले का जवाब देने से नहीं डरते। कोहली ‘जैसे को तैसा’ में यकीन करते हैं