लॉर्ड्स में खेले गए 1983 के विश्वकप फाइनल में भारत से 43 रनों की हार
1983 में विश्वकप के फाइनल में भारत के हाथों 43 रनों की शर्मनाक हार वेस्ट इंडीज़ के क्रिकेट इतिहास में विश्व कप में उनकी सबसे शर्मनाक थी। उस समय लगातार दो विश्व कप जीतने वाली यह टीम दुनिया की सबसे मजबूत टीम थी। लॉर्ड्स में हुए 1983 विश्व कप के फाइनल में वे लगातार तीसरी बार ख़िताब जीतने के प्रबल दावेदार थे। भारतीय टीम ने उस विश्व कप में कई उतार- चढ़ाव देखे थे और पहली बार फाइनल में पहुंची थी। और जैसे की उम्मीद थी विंडीज़ गेंदबाज़ों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहले बल्लेबाज़ी करने उतरी भारतीय टीम को निर्धारित 50 ओवरों में सिर्फ 183 रन ही बनाने दिए। हालाँकि भारतीय टीम ने वापसी की कोशिश की लेकिन एंडी रॉबर्ट्स, जोएल गार्नर, माइकल होल्डिंग और मैल्कम मार्शल के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी आक्रमण के सामने 200 रन भी ना बना पाई। हालांकि, इस पिच पर घास थी जिसका भारतीय गेंदबाज़ों ने भरपूर लाभ उठाया। भारत ने विंडीज़ के सलामी बल्लेबाज़ गॉर्डन ग्रीनिज को शुरुआत में ही चलता किया लेकिन उसके बाद विव रिचर्ड्स भारत के लिए मुसीबत बन गए। उनको कपिल देव ने एक शानदार कैच पकड़ कर पवेलियन वापिस भेजा। उन्होंने 33 रन बनाए जिसमें 7 चौके शामिल थे। इसके बाद भारतीय गेंदबाज़ों ने मैच पर पूरी पकड़ बना ली। एक समय में जहां विंडीज़ का स्कोर 2 विकटों के नुक्सान पर 57 रन था और वे जीतते हुए दिखाई दे रहे थे, उनकी पूरी टीम 140 के स्कोर पर आल आउट हो गयी और वे लगातार तीसरा विश्व कप जीतने में नाकाम रहे।