भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए 5 यादगार एकदिवसीय मुकाबले

भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें क्रिकेट के मैदान पर एक-दूसरे की काफी कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं। जब भी दोनों टीमें आमने-सामने होती है दर्शकों को मैदान पर काफी धूम-धड़ाका देखने को मिलता है। पिछले कुछ समय से दोनों टीमों के बीच की प्रतिद्वंदिता किसी भी अन्य टीमों के मुकाबले काफी आगे निकल गयी है, चाहते वो खेल का कोई भी प्रारूप हो। दोनों टीमों के बीच होने वाले मुकाबले क्रिकेट जगह के सबसे बड़े मुकाबले के रूप में देखे जाते हैं। कुछ ही दिनों बाद दोनों टीमों के बीच 5 एकदिवसीय मैचों की सीरीज शुरू होने वाली है। अगर आमने-सामने के मुकाबलों की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा ही भारी रहा है लेकिन फिर भी दोनों टीमों के बीच कई ऐसे मुकाबले भी हुए हैं जिसने रोचकता की सारी हदें पार कर दी हैं। आज हम उन्हीं 5 यादगार मैचों की बात करेंगे जो आज भी खेल प्रशंसकों के दिलों में जिंदा है: #छठा मैच कोका-कोला कप, शारजाह (1998)

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यह मैच उन मैचों में गिना जाता है जहाँ हार के बाद भी भारतीय प्रशंसकों को अपने टीम पर गर्व होता है। यह उस प्रतियोगिता के सबसे महत्वपूर्ण मैच था क्योंकि इस मैच के बाद फाइनल में पहुँचने वाली दूसरी टीम का नाम पक्का होने वाला था। जहाँ ऑस्ट्रेलिया पहले ही फाइनल में पहुँच चूका था इसलिए भारत के लिए यह काफी महत्वपूर्ण मैच था। पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने माईकल बेवन के 101 नाबाद और मार्क वॉ के 81 रनों की पारी की बदौलत 50 ओवेरों में 284 रन बनाएं। नेट रन-रेट आधार पर भारतीय टीम को फाइनल में स्थान पक्का करने लिए 254 रन बनाने की जरूरत थी। उस समय के अनुसार यह आसान काम नहीं था और पूरी टीम सचिन तेंदुलकर के तरफ देख रही थी। वह धीरे-धीरे टीम को जीत की तरफ ले जा रहे थे तभी रेत की भारी आंधी की वजह से मैच को रोकना पड़ा। उस समय भारत का स्कोर 31 ओवर में 143/4 था। जब मैच दूबारा शुरू हुआ तो भारत को जीत के लिए 46 ओवर में 276 रन बनाने का लक्ष्य मिला और फाइनल में पहुँचने के लिए 237 रनों की जरूरत थी। जब भारत की बल्लेबाजी दूबारा शुरू हुई तो सचिन ने तेजी से रन बनाने का फैसला किया और उसके बाद जो हुआ वह इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। सचिन ने ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों को आड़े हाथों लिया और भारत ने अगले 11 ओवर में ही लगभग 100 रन बना दिए। इसके साथ ही भारत ने फाइनल में अपना स्थान पक्का किया। 43वें ओवर में आउट होने से पहले सचिन ने 131 गेंदों में 143 रन बनाएं। अंत में भारत उस मैच को नहीं जीत पाया लेकिन सचिन की वह पारी आज भी क्रिकेट की सबसे अच्छी पारियों में गिनी जाती है और आज उस पारी को सभी ‘रेत की आंधी’ के रूप में याद करते हैं।#दूसरा फाइनल- सीबी सीरीज, ब्रिस्बन (2008)

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ऑस्ट्रेलिया, भारत और श्रीलंका के बीच हुए इस त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में आमने सामने थी भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमों, जहाँ “बेस्ट ऑफ़ थ्री” फाइनल के बाद विजेता टीम का पता चलता। सिडनी में हुए पहले फाइनल को जीत कर भारतीय टीम 1-0 से आगे थी। दूसरा मैच ब्रिस्बन ने होने वाला था और यह दोनों टीमों के लिए काफी महत्वपूर्ण मुकाबला होने वाला था। टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम को सचिन और उथप्पा की सलामी जोड़ी ने अच्छी शुरुआत दी। दोनों ने पहले विकेट के लिए 94 रन जोड़े, उसे बाद सचिन ने युवराज के साथ भी 54 रन जोड़े। पहले फाइनल में शतक बनाने वाले सचिन इस बार शतक से चूक गये और 91 रन बना कर आउट हुयें। उस समय भारत का स्कोर 205-4 था और लग रहा था की टीम आसानी से 275 रनों के ऊपर पहुँच जाएगी लेकिन ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों के मंसूबे कुछ और ही थे और भारतीय टीम 50 ओवर में 258 ही बना पाई। 259 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी ऑस्ट्रेलिया ने 32 रनों के अंदर ही गिलक्रिस्ट, पोंटिंग और क्लार्क का विकेट खो दिया। उसके बाद हेडेन और साइमंड्स ने टीम की पारी को पटरी पर लाने की कोशिश की लेकिन दोनों ने एक ही ओवर में अपना विकेट गंवा दिया। जेम्स होप्स और माइकल हसी ने उसके बाद 76 रनों की साझेदारी की लेकिन जब अंतिम 8 ओवर में 60 रन चाहिए थे तभी हसी ने अपना विकेट गंवा दिया। उसके बाद नियमित अंतराल पर विकेट गिरते रहे। अंतिम ओवर में ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 13 रनों की दरकार थी लेकिन इरफ़ान पठान ने 2 विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को ऑल कर दिया और भारत ने सीरीज अपने नाम कर लिया।#5वाँ एकदिवसीय भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, हैदराबाद (2009)

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7 मैचों की एकदिवसीय सीरीज में दोनों टीमें 2-2 से बराबरी पर थी और 5वाँ मैच हैदराबाद में होने वाला था। दोनों टीमें इस मैच को जीत कर सीरीज में बढ़त बनाना चाहती थी. टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया की टीम ने 50 ओवर में 350-4 रन बनाएं। ऑस्ट्रेलिया की तरफ से शॉन मार्श ने 112, वाटसन ने 93 और कैमरुल वाइट ने 57 रनों का योगदान दिया। 351 रनों के बड़े लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम को सचिन-सहवाग की सलामी जोड़ी ने अच्छी शुरुआत दिलाई, दोनों ने पहले विकेट के लिए 66 रन जोड़े। उसके बाद नियमित अंतराल पर विकेट गिरते रहे और 24 ओवर में टीम का स्कोर 162-4 हो गया। इसके बाद सचिन और रैना ने विपक्षी गेंदबाजों पर धावा बोल दिया और अगले 19 ओवर में 137 रन जोड़ डाले. 43वें ओवर में जब रैना आउट हुए तो टीम को जीत के लिए 52 रनों की दरकार थी और सचिन दूसरे छोर पर टिके थे। लेकिन, उस दिन करोड़ों भारतीय खेल प्रेमिओं का दिल टूटने वाले था। जब भारत को जीत के लिए 18 गेंदों में 19 रन बनाने थे तभी सचिन 175 रन बना कर आउट हो गये। भारत का निचला क्रम लक्ष्य तक पहुँचाने में असफल रहा और भारत को 3 रनों से हार झेलनी पड़ी।#विश्वकप क्वार्टरफाइनल, अहमदाबाद (2011) ahm घर पर विश्वकप खेल रही भारतीय टीम से सभी को उम्मीद थी की धोनी की सेना 28 सालों बाद विश्वकप अपने नाम करेगी। यह सचिन तेंदुलकर का अंतिम विश्वकप भी था इसलिए और भी ज्यादा महत्वपूर्ण था. टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने कप्तान रिकी पोंटिंग के 104 और ब्रेड हेडिन के 54 रनों की बदौलत 260 रनों तक पहुँच पाई और भारत को सेमी-फाइनल में पहुँचने के लिए 261 रनों का लक्ष्य मिला. ऑस्ट्रेलिया के मजबूत गेंदबाजी के सामने भारत के लिए यह लक्ष्य आसान होने वाला नहीं था। भारतीय टीम ने संभल कर शुरुआत की लेकिन नियमित अंतराल पर विकेट गिरते रहे। कोई भी भारतीय बल्लेबाज लम्बी पारी नहीं खेल पाया। एक समय भारत का स्कोर 187-5 हो गया था और लगने लगा कि मैच भारत की हाथ से निकल जायेगा। क्रीज पर मौजूद युवराज सिंह का साथ देने सुरेश राणे आयें और टीम को जीत के लिए 74 और रनों की दरकार थी। दोनों ने सम्भल कर बल्लेबाजी शुरू की लेकिन जल्द ही दोनों ने रन गति तेज कर दी और भारत 15 गेंद रहते ही लक्ष्य तक पहुँच गया। जसके बाद सेमीफाइनल और फाइनल में भी जीत दर्जकर भारत 28 साल बाद विश्व विजेता बना।#छठा एकदिवसीय भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, नागपुर (2013)

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इस सीरीज में लगातार बड़े स्कोर वाले मैच हो रहे थे। सभी मैचों में लगभग 300 से ऊपर का स्कोर बन रहा था। 7 मैचों की सीरीज में भारत 2-1 से पीछे था और 2 मैच बारिश की वजह से रद्द हो गये थे। नागपुर में हुए इस मैच में टॉस हार कर पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलिया ने अपने दोनों ही सलामी बल्लेबाजों को जल्दी ही गंवा दिया लेकिन वाटसन और कप्तान जॉर्ज बेली ने तीसरे विकेट के लिए 168 रनों की साझेदारी कर बड़े लक्ष्य की नींव रख दी। वाटसन ने 102 रन बनाये वहीं बेली ने 114 गेंदों पर 156 बन बनाएं और ऑस्ट्रेलिया की पारी 350 रनों पर समाप्त हुई। 351 के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम के लिए रोहित-धवन की जोड़ी ने 178 रन जोड़े लेकिन रोहित 78 और धवन 100 रन बनाकर कुछ ही ओवरों के अंदर आउट हो गये। जबरदस्त फॉर्म में चल रहे विराट ने जिम्मा अपने सिर लिया और तेजी से रन बनाने लगे लेकिन तभी लगातार 2 गेंदों पर रैना और युवराज का विकेट गिरने से टीम फिर दबाव में आ गयी। कोहली ने फिर धोनी के साथ मिलकर टीम को लक्ष्य तक पहुंचा दिया। कोहली ने इस मैच में 66 गेंदों में 115 रनों की नाबाद पारी खेली और टीम को सीरीज में बराबरी पर ला खड़ा किया। लेखक- साहिल जैन अनुवादक- ऋषिकेश सिंह