प्रथम श्रेणी क्रिकेट एक ऐसी प्रयोगशाला है जो अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी पैदा करती है। अगर किसी खिलाड़ी का घरेलू स्तर पर रिकॉर्ड अच्छा है तो इसका मतलब ये है कि वो अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार हो चुका है। अगर टीम इंडिया में चयन के बाद कोई खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है तो उसे वापस घरेलू क्रिकेट में भेज दिया जाता है। कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया है लेकिन वो अंतरराष्ट्रीय करियर बनाने में नाकाम रहे। यहां हम ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में चर्चा कर रहे हैं।
#5 देवेंद्र बुंदेला
देवेंद्र बुंदेला का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था। अपने क्रिकेटर बनने के सपने को साकार करने के लिए उन्होंने इंदौर का रुख़ किया। इंदौर में उन्हें बीसीसीआई के प्रशासक संजय जगदाले का साथ मिला और उनके प्रदर्शन में काफ़ी सुधार आया। वो रणजी ट्रॉफ़ी में तीसरे सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। इस के अलावा उनके नाम सबसे ज़्यादा रणजी मैच खेलने का रिकॉर्ड है। प्रथम श्रेणी में शानदार रिकॉर्ड के बावजूद उन्हें कभी टीम इंडिया में खेलने का मौक़ा नहीं मिला, लेकिन क्रिकेट से लगाव की वजह से वो खेल में बरक़रार रहे। आज वो 41 साल के हो चुके हैं और वो इस वक़्त मध्य प्रदेश के बेतरीन बल्लेबाज़ों में से एक हैं। वो नमन ओझा के मेंटर के तौर पर भी काम करते हैं।
प्रथम श्रेणी करियर
मैच: 164; रन: 10004; सर्वाधिक स्कोर: 188; औसत: 43.68#4 मिथुन मनहास
मिथुन मनहास में हुनर और समझदारी की कोई कमी नहीं थी। वो भारतीय घरेलू क्रिकेट के सबसे बेहतरीन क्रिकेटर में से एक रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें टीम इंडिया में खेलने का मौक़ा नहीं मिला क्योंकि उस वक़्त टीम इंडिया में बल्लेबाज़ों के लिए कोई जगह खाली नहीं थी। हांलाकि घरेलू सर्किट में दिल्ली की तरफ़ से खेलते हुए वो अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे थे। उस वक़्त दिल्ली की टीम से गंभीर और सहवाग ग़ैरमौजूद थे, क्योंकि ये दोनों खिलाड़ी टीम इंडिया के लिए खेल रहे थे। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में मनहास ने 27 शतक और 49 अर्धशतक अपने नाम किए हैं।
प्रथम श्रेणी करियर
मैच: 157; रन: 9714; सर्वाधिक स्कोर: 205*; औसत: 45.82#3 एस बद्रीनाथ
तमिलनाडु के बल्लेबाज़ एस बद्रीनाथ ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 54.49 की औसत से रन बनाए हैं। उनमें रन बनाने की भूख कभी ख़त्म नहीं होती है और वो दबाव में बेहतरीन खेल दिखाते हैं, और नाज़ुक मौक़ों पर टीम को जीत दिलाते हैं। वो आज घरेलू क्रिकेट के शानदार खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। उन्होंने तमिलनाडु टीम की कप्तानी भी है। काफ़ी मशक्कत के बाद उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया गया था, लेकिन वो उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करने में नाकाम रहे। 2 टेस्ट मैच में उनका औसत 21 और 7 वनडे में उन्होंने 15.80 की औसत से रन बनाए थे। उन्हें दोबारा टीम इंडिया में मौक़ा नहीं मिला।
प्रथम श्रेणी करियर
मैच: 145; रन: 10245; सर्वाधिक स्कोर: 250; औसत: 54.49#2 ऋषिकेष कनितकर
ऋषिकेष कनितकर उन चुनिंदा बल्लेबाज़ों में से हैं जिन्होंने रणजी में 8000 से ज़्यादा रन बनाए हैं। 146 प्रथम श्रेणी मैच में उनका औसत 52 से ज़्यादा का है। कनितकर ने टीम इंडिया के लिए 34 वनडे मैच खेले हैं और 27 पारियों में सिर्फ़ एक अर्धशतक अपने नाम किया है। उन्होंने रणजी में साल 2010-11 में राजस्थान टीम की कप्तानी की थी और बड़ौदा को फ़ाइनल में हराया था। उनको उस चौके के लिए याद किया जाता है जो उन्होंने इंडिपेंडस कप के फ़ाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ़ लगाया था। ढाका में भारत को जीत के लिए 2 गेंदों में 3 रन की ज़रूरत थी, और कनितकर के इस चौके ने भारत को ख़िताबी जीत दिलाई थी। साल 2015 में उन्होंने क्रिकेट करियर से संन्यास ले लिया था।
प्रथम श्रेणी करियर
मैच: 146; रन: 10400; सर्वाधिक स्कोर: 290; औसत: 52.26#1 अमोल मज़ुमदार
अमोल मजुमदार मुंबई के बेहद शानदार खिलाड़ी हैं लेकिन वो टीम इंडिया के लिए एक भी मैच खेलने में नाकाम रहे। हांलाकि उन्होंने प्रथम श्रेणी में अपना बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखा और अपनी टीम के लिए योगदान देते रहे। उन्हें रन बनाने में महारत हासिल थी। उन्हें मुंबई टीम की कप्तानी भी हासिल हुई थी, इसके अलावा वो इंडिया ए टीम के उप कप्तान भी बने थे, इस टीम में सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी भी शामिल थे। मजुमदार अपने साथी खिलाड़ियों की तरह टीम इंडिया में जगह नहीं पा सके। उन्होंने साल 2014 में घरेलू क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
प्रथम श्रेणी करियर
मैच: 171; रन: 11167; सर्वाधिक स्कोर: 260; औसत: 48.13लेखक- सौरभ गांगुली अनुवादक- शारिक़ुल होदा