ऑस्ट्रेलिया 'ए' के खिलाफ चतुष्कोणीय सीरीज के पहले मैच में महज 55 रन पर ऑलआउट होने वाली इंडिया 'ए' ने अपने प्रदर्शन में गजब का सुधार किया और आगे चलकर फाइनल मुकाबला 57 रन से जीता।
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए इंडिया 'ए' ने मंदीप सिंह (95) और कप्तान मनीष पांडे (61) की उम्दा पारियों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया 'ए' के सामने 266 रन का लक्ष्य रखा। जवाब में इंडिया 'ए' के गेंदबाजों ने मेजबान टीम को 209 रन पर ऑलआउट करके मुकाबला 57 रन से अपने नाम किया। तो इस पूरी सीरीज में इंडिया 'ए' के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी कौन-कौन रहे?
क्या इनमें से किसी खिलाड़ी को न्यूजीलैंड के खिलाफ आगामी वन-डे सीरीज के लिए राष्ट्रीय टीम में मौका मिलेगा? यह तो वक़्त ही बताएगा कि किसे मौका मिलेगा या नहीं, लेकिन इन खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करके टीम इंडिया में जगह पाने के लिए जोरदार दस्तक जरुर दी है। चलिए ऑस्ट्रेलिया में संपन्न चतुष्कोणीय सीरीज में प्रदर्शन करने वाले 5 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों पर नजर डालते हैं :
5) मंदीप सिंह
अगर अंतिम कुछ मैचों की बात छोड़ दी जाए तो यह कहना उचित होगा कि मंदीप सिंह उन खिलाड़ियों में से एक रहे जिनका प्रदर्शन अधिक प्रभावी नहीं रहा। मगर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है जल्द ही ख़राब प्रदर्शन से उबरकर अपनी पुरानी लय हासिल करना।
ज़िम्बाब्वे के खिलाफ जून में टी20 सीरीज से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण करने वाले मंदीप ने बिलकुल ऐसा ही किया। उन्होंने अंतिम दो मैचों में लगातार दो अर्धशतक जमाए और फाइनल में 95 रन की पारी खेलकर मैन ऑफ द मैच बने। इसका मतलब यह है कि उन्होंने टूर्नामेंट का समापन उच्च स्तर पर किया।
राउंड-रोबिन स्टेज के फाइनल मैच में उन्होंने मध्यक्रम का मंच सेट कर दिया जिसकी बदौलत इंडिया 'ए' 322 रन के लक्ष्य का सफल पीछा करने के बहुत करीब पहुंच गई, लेकिन एक रन से मैच गंवा बैठी। फाइनल में जब इंडिया 'ए' को अच्छी शुरुआत की जरुरत थी तब मंदीप ने 95 रन की पारी खेलकर टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया।
4) युज्वेंद्र चहल
आईपीएल के शानदार अभियान के कारण ज़िम्बाब्वे दौरे पर वन-डे और टी20 अंतर्राष्ट्रीय सीरीज खेलने वाले युज्वेंद्र चहल पर प्रदर्शन करने का दबाव था। हालांकि लेग स्पिनर के लिए यह बिलकुल भी आसान नहीं था क्योंकि पिच पर स्पिनरों को ज्यादा मदद नहीं हासिल थी।
मगर 26 वर्षीय ने सीमित ओवरों के क्रिकेट के अनुभव का यहां बहुत फायदा उठाया। उन्होंने यह तय कर दिया कि अगर वह विकेट नहीं लेंगे तो रन गति पर लगाम कसके रखेंगे। आधुनिक लिस्ट 'ए' क्रिकेट में गेंदबाज का 4 का इकॉनमी रेट किसी को भी हैरान कर सकता हैं क्योंकि मौजूदा समय में 300 भी छोटा स्कोर नजर आता है।
फाइनल मैच में चहल ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने मैच में 34 रन देकर चार विकेट लिए। चहल ने ऑस्ट्रेलिया 'ए' के पुछल्ले बल्लेबाजों को जल्दी-जल्दी पवेलियन भेजकर मेहमान टीम को यादगार जीत दिलाई।
3) केदार जाधव
इसमें कोई शक नहीं कि सीमित ओवरों के क्रिकेट से महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास लेने की खबरें जोरों पर है और केदार जाधव ने बिलकुल सही पल का चुनाव करते हुए अपना दावा पेश किया है।
ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में संपन्न चतुष्कोणीय सीरीज में जाधव ने विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी नहीं संभाली, लेकिन वह आईपीएल में स्टंप के पीछे की अपनी उपयोगिता को पहले ही दर्शा चुके हैं। लिस्ट ए करियर में करीब 50 का औसत रखने वाले जाधव सीमित ओवरों की राष्ट्रीय टीम में अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर चुके हैं। उन्होंने बल्ले से निरंतर बेहतर प्रदर्शन किया।
पूरी सीरीज में सिर्फ एक बार 10 रन के भीतर आउट होने वाले जाधव इंडिया 'ए' की तरफ से निरंतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों में से एक रहे। उन्होंने सीरीज में 90 की स्ट्राइक रेट तथा 63.50 की औसत से कुल 254 रन बनाए। मध्यक्रम में बल्लेबाजी करने वाले जाधव में पारी का समापन उच्च स्तर पर खत्म करने की काबिलियत है। 31 वर्षीय जाधव ने यह काम बखूबी है।
2) धवल कुलकर्णी
इंडिया 'ए' में सितारा बल्लेबाजी विभाग भले ही मौजूद रहा हो, लेकिन सीरीज में उनके लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी धवल कुलकर्णी रहे। आईपीएल के सफल सत्र के बाद भी कुलकर्णी का शानदार प्रदर्शन जारी रहा और उन्होंने टूर्नामेंट का समापन 4 के अंदर की इकॉनमी के साथ किया।
ज़िम्बाब्वे के सफल दौरे के बाद कुलकर्णी ने दर्शाया कि वह सिर्फ आईपीएल में ही नई गेंद से नहीं सफल हुए। उन्होंने सीरीज में नई गेंद को बहुत अच्छे से इस्तमाल किया। उन्होंने सीरीज में सबसे बढ़िया काम यह किया कि अन्य तीनों टीम के ओपनरों को ज्यादा देर क्रीज पर टिकने नहीं दिया।
कुलकर्णी ने सीरीज में कुल 9 विकेट लिए और उनका औसत 15.77 का रहा। टीम इंडिया को हमेशा ही अच्छे तेज गेंदबाज की खोज रहती है और धवल कुलकर्णी के मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए लगता है कि वो इस खोज को पूरी करने के लिए बेक़रार हैं।
1) मनीष पांडे
सीरीज के सर्वश्रेष्ठ स्कोरर इंडिया 'ए' के कप्तान मनीष पांडे रहे। जहां कई लोग उन्हें अमेरिका में वेस्टइंडीज के खिलाफ संपन्न दो मैचों की टी20 सीरीज में खेलते देखना चाहते थे, मनीष ने इसकी परवाह नहीं करते हुए अपनी टीम को मजबूती प्रदान की और पहले मैच में 55 रन पर ऑलआउट होने के बाद टीम को खिताब दिलाया।
ऑस्ट्रेलिया 'ए' के खिलाफ सीरीज की शुरुआत शून्य रन से करने वाले मनीष ने अगले मैच में दक्षिण अफ्रीका 'ए' के खिलाफ मैच विजयी शतक जमाया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और पूरे समय अच्छा प्रदर्शन किया। मनीष के रहने से टीम का मध्यक्रम काफी मजबूत रहा।
7 मैचों में 26 वर्षीय मनीष ने 60 की औसत से 359 रन बनाए। वह सीरीज में एकमात्र बल्लेबाज रहे, जिन्होंने दो शतक जमाए हो। उन्होंने दोनों शतक ऐसे समय बनाए जब टीम को इसकी बहुत जरुरत थी। इंडिया 'ए' के फाइनल जीतने का प्रमुख कारण मनीष पांडे का अर्धशतक भी था।