भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास के पांच शानदार पल

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#4 कड़ा संदेश देने की कोशिश, पर्थ टेस्ट 2008
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खराब शुरुआत के साथ शुरू हुई टेस्ट सीरीज में उस वक्त नया मोड़ आ गया जब मंकी गेट कांड सामने आया। सिडनी टेस्ट के दौरान कई संदिग्ध अंपायरिंग फैसलों की वजह से भारतीय टीम पहले ही काफी नुकसान झेल चुकी थी, और उसके बाद भारत को अपने साथ हुए ऐसे बर्ताव के लिए विरोध दर्ज कराने के लिए वतन लौटने की मांग होने लगी। उन परिस्थितियों में एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत थी, और अनिल कुंबले ने ड्रैसिंग रूम का माहौल ठीक करने और खिलाड़ियों को सही दिशा में अपना प्रतिशोध दिखाने की राह दिखाई। ऑस्ट्रेलिया लगातार अपने 16 मैच जीत चुकी थी, लेकिन कुंबले ने पर्थ की तेज पिच पर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। अपने कप्तान के फैसले का सम्मान करते हुए सीनियर खिलाड़ी राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर ने पहली पारी में स्कोर 300 के पार पहुंचाया। जिसके बाद भारतीय तेज गेंदबाजों ने भी अपनी धारदार गेंदबाजी से मेजबान को 212 रन पर समेट दिया। दूसरी पारी में वीवीएस लक्ष्मण ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 79 रन बनाए और मेजबान ऑस्ट्रेलिया के सामने बड़ा लक्ष्य रखने में अहम भूमिका निभाई। जिसके बाद 19 साल के ईशांत शर्मा ने अपनी रफ्तार का कहर बरपाया और रिकी पोंटिंग को पवेलियन की राह दिखाई। इस शानदार प्रदर्शन के बाद भारत ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और पर्थ में जीत का परचम लहराया। इस मैच को भारत के पेस और बाउंस के तौर याद किया जाता है।

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