भद्रजनों के इस खेल क्रिकेट ने कई दशकों के सफलतापूर्वक बीत जाने के दौरान कई अहम बदलाव देखे हैं। खेल को लोकप्रिय बनाने के लिए सिर्फ महान खिलाड़ियों को श्रेय देना, अन्य लोगों के साथ अन्याय होगा । 17वीं सदी के शुरूआत में क्रिकेट के विस्तार होने व परिवर्तन होने से इस खेल का रोमांच बढा है। टेस्ट और वनडे क्रिकेट लंबे समय से क्रिकेट के अहम अंग रहे हैं। 21वीं सदी में इसमें बदलाव हुआ। टी—20 क्रिकेट खेल में एक सौगात लेकर आया। इसने ऐसे देशों में प्रतिस्पर्धी क्रिकेट को जन्म दिया, जहां अभी तक क्रिकेट ने अपने पैर नहीं पसारे थे। वैश्विक स्तर पर क्रिकेट के प्रसिद्ध होने से कई फिल्मकारों का ध्यान इस तरफ खींचा। क्रिकेट के मैदानों पर हुई लड़ाइयों और प्रसिद्ध क्रिकेटरों के जीवन पर आधारित फिल्में बनायीं गईं, जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया। यहां हम आपके लिए ऐसी चुनिंदा डॉक्यूमेंट्री फिल्म लाएं हैं जिन्होंने क्रिकेट को अलग मुकाम दिया। आउट ऑफ द एशेज (2015) आउट ऑफ द एशेज अफगानिस्तान क्रिकेट के उदय पर आधारित एक बेहतरीन फिल्म है। सैम मेंडेस द्वारा प्रदर्शित यह फिल्म अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के 2008 में आगामी टी-20 वर्ल्ड कप में क़्वालीफाई करने के संघर्षों के पहलुओं को दिखाती है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे क्रिकेट को करियर के रूप में चुनने पर खिलाड़ियों को उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। इस दौरान सफलता हासिल करने के लिए उन्हें कितने दुख सहने पड़े। इस यात्रा में उनके पास सामान और सुविधाओं की कमी रही, इसके बावजूद वे अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहे। बाहरी दुनिया से अनजान और खिलाड़ियों की आँखों में दिखती भविष्य की सफलता अफगानिस्तान की ताकत बन जाती है। फिल्म में प्रत्येक खिलाड़ी द्वारा दी गयी स्पीच यह दर्शाती है कि उन्हें यह यकीन है कि वे एक दिन अवश्य ही विश्व क्रिकेट में प्रसिद्धि पाएंगे। डेथ ऑफ ए जेंटलमैन (2015) यह फिल्म चार दोस्तों सैम कॉलिन्स, जेरोड किम्बर, क्रिस्टोफर हिर्ड, जोह्नी ब्लैंक ने मिलकर बनाई है। यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म विश्व क्रिकेट के अमीर बोर्ड ईसीबी, बीसीसीआई और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के काले चिट्ठों को उजागर करती है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे ये तीनों बोर्ड बाकी सभी देशों के बोर्ड को अपनी मुट्ठी में रखकर अपनी कमाई को बढ़ाना चाहते हैं। फिल्म की शुरुआत टेस्ट क्रिकेट को बचाने के मुद्दे से शुरू होती है। बाद में यह मुद्दा बिल्कुल गायब हो जाता है। इस फिल्म ने आईपीएल का पर्दाफाश किया है, कि इसकी मदद से बीसीसीआई कैसे सीए और ईसीबी के मुकाबले अमीर हो रहा है। निर्माताओं ने इसके लिए अग्रीमेंट की शर्त पर क्रिकेटरों से बात की थी। इस फिल्म की मदद से यह बताया गया है कि कैसे एक टीम और यहां तक कि एक अकेला व्यक्ति भी क्या क्या कर सकता है? इस फिल्म को इतने प्रयासों के लिए स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट अवार्ड लन्दन 2016 द्वारा "टेलीविज़न स्पोर्ट्स डॉक्यूमेंट्री ऑफ द एअर" का अवार्ड दिया गया। बॉडीलाइन-इट्स नॉट जस्ट क्रिकेट (2002) क्रिकेट के सबसे विवादित घटनाक्रम में से एक बॉडीलाइन कांड इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1932/33 में घटा। इसे "लेग थियोरी" भी कहा जाता है। इसको इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के बीच सबसे ज्यादा विवादित घटनाक्रम माना जाता है। इंग्लैंड दौरे पर आई ऑस्ट्रेलिया टीम को बडा स्कोर खड़ा करने से रोकने के लिए इंग्लिश कप्तान डगलस जार्डिन ने गेंदबाजों को गेंद लेग साइड और शरीर पर फेकने को कहा था। इसके रिजल्ट में बल्लेबाज घायल भी हो सकते थे। बावजूद इसके ऐसा ही हुआ। टीम प्रबन्धन ने भी किसी प्रकार का कोई निर्णय नहीं लिया, जिससे इन दोनों देशों के बीच और कड़ी प्रतिद्वंद्विता हो गई। इस फिल्म में पूरे घटनाक्रम का गहन विश्लेषण किया गया है। इसके लिए खिलाड़ियों के घरवालों से बात की गयी है। इसमें यह भी दर्शाया गया है कि कैसे खिलाड़ियों पर विचारधारा थोपी जाती है तथा किस प्रकार खिलाड़ी इससे प्रभावित होते हैं। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता और क्रिकेट इतिहासकारों ने भी अपनी राय दी है। फिल्म में दिखाए गए 3 टेस्ट मैच पूरे प्रकरण को दर्शाते हैं। फायर इन बेबीलोन (2010) वेस्ट इंडीज टीम 70 से 90 के दशक तक हमेशा ही विरोधी टीमों के लिए प्रतिस्पर्धी और खतरनाक साबित हुई है। फायर इन द बेबीलोन किताब पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म है जो वेस्ट इंडीज टीम के उदय और उसके प्रभावपन को चिन्हित करती है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे वेस्ट इंडीज ने 20वीं सदी के अंत तक विश्व क्रिकेट पर राज किया और इसी बीच लगातार 15 टेस्ट सीरीज पर फतह हासिल की। इस फिल्म के लिए वेस्ट इंडीज के दिग्गज खिलाड़ियों माइकल होल्डिंग, कॉलिन क्राफ्ट, एंडी रोबर्ट्स, जोएल गार्नर, और क्लाइव लॉयड ने अपनी आवाज दी है। सभी ने बताया कि कैसे विपरीत परिस्थितियों और जातिवाद से लड़ते हुए उन्होंने अपना नाम इतिहास में दर्ज करवाया। फिल्म में यह दिखाया गया है कि एक तेज और लंबे गेंदबाजों का ग्रुप एक अच्छे कप्तान की निगरानी में सफलता हासिल करता है। इस फिल्म के माध्यम से यह बताया गया है कि जिस तरह से वे खेले और एक यूनिट की तरह रहे, साफ दर्शाता है कि वे अपने काम को लेकर कितना गंभीर हैं। हाउजेट- केरी पैकर वॉर (2012) इस डॉक्यूमेंट्री ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा जब यह 2012 में पहली बार सुर्खियों में आई। यह फिल्म 1970 में मीडिया टायकून कैरी पैकर द्वारा प्रस्तावित प्रसिद्ध वर्ल्ड क्रिकेट सीरीज पर आधारित है। कैरी पैकर ने ऑस्ट्रेलिया में कुछ खेलों के प्रसारण अधिकार छोड़ने के बाद पैसा कमाने के लिए वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट का प्रस्ताव लाए। उन्होंने सितारों से सजी एक ऑस्टेलिया की टीम बनाई जो दूसरे टूर्नामेंट में शिरकत करती। उनका यह प्रस्ताव समूचे क्रिकेट जगत के लिए क्रांतिकारी साबित हुआ। आज भी उनका प्रस्ताव अमल में लाया जाता है। किताब "क्रिकेट वॉर" पर आधारित हाओजेट रिलीज के कुछ दिनों बाद ही प्रसिद्ध हो गयी थी। इसकी लिए फिल्म में अभिनय करने के लिए होनहार एक्टरों को बुलाया गया था जो वास्तविक सीरीज में मौजूद थे। उस समय तकनीकी में काफी सुधार हो गया था। क्रिकेट में आई आधुनिकता का श्रेय कैरी पैकर को दिया जाता है। उन्होंने कैसे इसको मुमकिन बनाया, इसका विवरण फिल्म के दो एपिसोड में दिया गया है। लेखक: प्रसेन मौदगल अनुवादक: मोहन कुमार