जिस तरह वीरेंदर सहवाग बिना ख़ौफ़ के बल्ले से रन बनाते थे, कुछ उसी अंदाज़ में उनके बोलने का तरीक़ा भी था। जो आज भी जारी है, फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि अब सहवाग कॉमेंट्री करते हुए या फिर ट्वीट के ज़रिए अपनी बिंदास बातें सामने रखते हैं। 2012 ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने रोटेशन पॉलीसि अपनाई थी, जिसके तहत सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर और वीरेंदर सहवाग जैसे सीनियर खिलाड़ियों में से किसी एक को ही प्लेइंड-XI में रखना चाहते थे। धोनी को लगता था कि ये तीनों सीनियर खिलाड़ी मैदान में अच्छे फ़ील्डर नहीं थे, इसलिए एक साथ तीनों को न रख कर एक एक कर खिलाने के विचार में थे। इत्तेफ़ाक से एक मैच में धोनी की जगह सहवाग कप्तानी कर रहे थे और उस मैच में सहवाग ने डाइव लगाते हुए कमाल का कैच लपका था। मैच के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में नजफ़गढ़ के नवाब ने अपने अंदाज़ में उस कैच के ज़रिए धोनी पर कटाक्ष किया। ''क्या आपने मेरा कैच देखा ? हम पिछले 10 सालों से ऐसी ही फ़ील्डिंग कर रहे हैं... एक बार आप ये सवाल धोनी से ज़रूर पूछिएगा..."।