क्रिकेट में न केवल कौशल और तकनीक की जरूरत होती है बल्कि धैर्य और एकाग्रता का होना भी बहुत ज़रूरी है, ख़ासकर टेस्ट प्रारूप में। क्रिकेट जगत में एक खिलाड़ी को तब तक संपूर्ण नही माना जाता है, जब तक वह टेस्ट प्रारूप में दक्षता हासिल न कर ले। कोई खिलाड़ी कितना भी प्रतिभाशाली क्यों न हो, लेकिन उसके करियर को, उस खिलाड़ी द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड और आंकड़े ही परिभाषित करते हैं।
इस खेल में हर खिलाड़ी का अपना अलग तरीका, अपनी अलग तकनीक होती है। इसलिए खिलाड़ियों की तुलना करना जायज नही है। लेकिन आंकड़े हर खिलाड़ी के लिए बराबर महत्वपूर्ण होते हैं। इसी तरह राहुल द्रविड़ को भी उनके दौर के किसी अन्य बल्लेबाज से तुलना करना एक अपराध की तरह होगा। द्रविड़ एक अचूक कौशल, एकाग्रता, तकनीक और विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उनको इस खेल का अदभुत ज्ञान था।
जैसा कि हम सभी जानते है द्रविड़ को 'द वाल' कहा जाता है, उन्होंने कभी भी खुद को खेल से ऊपर नही रखा। कर्नाटक के इस खिलाड़ी ने अपने पूरे करियर में किसी अन्य खिलाड़ी या अंपायर के खिलाफ कभी असंतोष नही जताया। द्रविड़ ने अपने शानदार करियर में कई झंडे गाड़े हैं। '
द वाल' द्वारा रचे गए उन 5 रिकार्ड्स की बात करते हैं जिनका टूटना लगभग नामुमकिन है:
#5. क्रिकेट के मैदान पर सबसे देर तक बल्लेबाजी करने का रिकॉर्ड
अपने करियर के दौरान सबसे भरोसेमंद बल्लेबाज कहे जाने वाले द्रविड़ वास्तव में धैर्य और एकाग्रता के प्रतीक थे। लंबे समय तक पिच पर टिकने की कला ने उन्हें बाकी बल्लेबाजों से अलग कर दिया था। उनकी क्षमता, तकनीक और खेल के ज्ञान ने उन्हें मैच के दौरान घंटो तक बल्लेबाजी करने में मदद की।
द्रविड़ टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज भले न हों, लेकिन पिच पर समय बिताने के मामले में वह सचिन तेंदुलकर से आगे हैं। द्रविड़ ने मैदान पर कुल 44,152 मिनट बिताये हैं, यानी कि लगभग 736 घंटे। इस अविश्वसनीय रिकॉर्ड का टूटना तो लगभग नामुमकिन है।
#4. सबसे ज्यादा शतकीय साझेदारी में शामिल होने का रिकॉर्ड
राहुल द्रविड़ के नाम क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा शतकीय साझेदारियों में शामिल होने का अनूठा रिकॉर्ड है। द्रविड़ ने अपने करियर में कुल 88 शतकीय साझेदारियां की हैं, जोकि किसी बल्लेबाज के लिए सर्वाधिक आंकड़ा है। उनके सबसे अहम सहयोगी रहे क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर, जिनके साथ द्रविड़ ने 20 शतकीय साझेदारियां की। क्रिकेट में साझेदारी करना एक कला है और द्रविड़ को इस कला में महारत हासिल थी।
#3. तीसरे क्रम पर 10,000 रन बनाने वाले बल्लेबाज
तीसरे क्रम पर बल्लेबाजी करने वाले राहुल द्रविड़ शायद सर डॉन ब्रैडमैन के बाद इस क्रम पर बल्लेबाजी करने वाले क्रिकेट में सबसे महान बल्लेबाज रहे। अपने समय में द्रविड़ ने रिकी पोंटिंग, जैसे तीसरे क्रम पर बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ियों के साथ खेला, जो दिग्गज टीम का हिस्सा होने के बावजूद द्रविड़ को पीछे नहीं छोड़ सके।
टेस्ट क्रिकेट में तीसरे क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए द्रविड़ ने 219 पारियों में 52.88 के औसत से 10,552 रन बनाए जिसमें 28 शतक और 50 अर्धशतक शामिल थे। द्रविड़ की इस उपलब्धि के सामने कोई अन्य बल्लेबाज आसपास भी नजर नहीं आता है। उनके पूरे टेस्ट करियर की बात की जाए तो उन्होंने कुल 286 पारियों में 52.31 की औसत से 13,288 रन बनाए जिसमें 36 शतक और 63 अर्धशतक शामिल थे। टेस्ट क्रिकेट में उनका उच्चतम स्कोर 270 रन रहा। द्रविड़ भारतीय टीम में नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने वाले सबसे सफल बल्लेबाज रहे।
#2. टेस्ट इतिहास में सबसे ज्यादा कैच पकड़ने का रिकॉर्ड
आपने जरूर सुना होगा कि 'कैच मैच जिताते हैं'। द्रविड़ स्लिप के बेहतरीन छेत्ररक्षक भी थे। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में कुल 210 कैच लपके। स्लिप में तैनात छेत्ररक्षक के लिए मौके बेहद कम होते हैं इसलिए यह बेहद जरूरी है कि वहां खड़ा खिलाड़ी चुस्त और हमेशा तैयार रहे।
द्रविड़ इस काम में सबसे आगे रहे खासकर उपमहाद्वीप जैसी परिस्थितियों में द्रविड़ को स्लिप का सबसे उपयुक्त खिलाड़ी माना जाता था। और इस बात को उन्होंने 210 कैच पकड़ कर सिद्ध कर दिया था। आधुनिक दौड़ में किसी भी खिलाड़ी के लिए इस आंकड़े तक पहुंचना असंभव लगता है।
#1. टेस्ट इतिहास में सबसे ज्यादा गेंदों का सामना करने का रिकॉर्ड
मैच के दौरान द्रविड़ को लाल गेंदों का सामना करते हुए देखना बेहद सुखद दृश्य होता था। जिस तरह से गेंद उनके बल्ले से टकराती थी, उसे देख कर क्रिकेट प्रेमियों का मन रोमांचित हो उठता था। खराब गेंदों को छोड़ने की जो कला द्रविड़ के अंदर थी, वह बेजोड़ थी। जब तक द्रविड़ पिच पर टिके रहते थे, भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को मैच सुरक्षित लगता था। द्रविड़ को मैदान पर इसी अटूट एकाग्रता के लिए ही 'द वाल' नाम से नवाजा गया था।
उन्होंने अपने टेस्ट करियर में कुल 31,258 गेंदों का सामना किया था। यानी की लगभग 5,210 ओवर। आधुनिक समय में जिस तरह से टी-20 क्रिकेट का बोलबाला बढ़ रहा है, किसी भी खिलाड़ी के लिए इतनी गेंदों का सामना करना असंभव सा नजर आता है। वहीं द्रविड़ काल का कोई अन्य बल्लेबाज उनके इस उपलब्धि के आसपास भी नही नजर आता है। उनके पास किसी भी गेंदबाजी आक्रमण को झेलने और ध्वस्त करने की बेजोड़ क्षमता थी। इसीलिए द्रविड़ काल को क्रिकेट इतिहास में एक सुनहरा पल माना जाता है।