क्रिकेट के खेल में विश्व कप में जीत दर्ज करना काफी मायने रखता है। विश्व कप में जीत के लिए ही खिलाड़ियों को खेलते रहने की प्रेरणा मिलती है। क्रिकेट विश्व कप की बात की जाए तो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने विश्व कप में दूसरे देशों की तुलना में जीत का स्वाद ज्यादा चखा है। यही कारण है ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम अब तक 5 पांच बार विश्व विजेता बन चुकी है। ऑस्ट्रेलिया की टीम ने साल 2007 में लगातार तीसरी बार विश्व कप के खिताब को अपने नाम किया था। इस विश्व कप के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ रिकी पॉन्टिंग की कप्तानी में एडम गिलक्रिस्ट ने ताबड़तोड़ 149 रनों की पारी खेली थी और ऑस्ट्रेलिया को जीत की ओर अग्रसर किया था। हालांकि इसके चार साल बाद 2011 में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपनी करिश्माई कप्तानी के बूते भारत की झोली में 28 साल बाद विश्व कप डाल कर भारत को क्रिकेट में विश्व विजेता बनाया और 1983 के बाद विश्व कप में बने सूखे को खत्म किया। हालांकि इन दो विश्व कप (2007-2011) के बीच कई खिलाड़ियों ने अपने बल्ले की चमक से क्रिकेट के मैदान में अपनी छाप छोड़ी। लेकिन ये जानकर हैरानी होगी कि इस लिस्ट में शीर्ष पांच में न तो क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर शामिल हो पाए और न ही 2008 में क्रिकेट में कदम रखने वाले विराट कोहली अपने बल्ले की चमक दिखा पाए। तो जान लीजिए साल 2007 से लेकर 2011 के विश्व कप के बीच कौन से ऐसे खिलाड़ी रहे जो वनडे मैचों में टॉप स्कोरर के तौर पर सामने आए। (इनमें 2007 या 2011 विश्वकप में बनाए रन शामिल नहीं हैं) # 5 कुमार संगकारा, श्रीलंका श्रीलंकाई क्रिकेट टीम के धाकड़ बल्लेबाज इस सूची में पांचवे पायदान पर रहे। अपने बल्ले से संगकारा ने ऐसा जलवा दिखाया कि साल 2007 से 2011 के दौरान विरोधी गेंदबाज उनसे खौफ खाने लगे। दो विश्व कप के बीच संगकारा ने 82 मैचों में 2,873 रन बनाए हैं, जो कि सचिन तेंदुलकर और रिकी पॉन्टिंग दोनों के मुकाबले काफी बेहतर है। संगकारा के लिए साल 2008 काफी विशेष रहा। इस साल उन्होंने एक कैलेंडर वर्ष में चार शतक बनाए। दिलशान के साथ मिलकर संगकारा ने टीम के लिए कई अहम पारियां खेलीं और श्रीलंका को मजबूती के साथ 2011 के विश्व कप के लिए अग्रसर किया। # 4 एबी डीविलियर्स, दक्षिण अफ्रीका एबी डीविलियर्स ने साल 2010 में एक कैलेंडर वर्ष में अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ पांच शतक लगाए। इस दौरान कोई भी दक्षिण अफ्रीका का खिलाड़ी इससे ज्यादा वनडे शतक नहीं बना पाया। बेहतर औसत और स्ट्राइक रेट के चलते एबी डीविलियर्स ने कुमार संगकारा को भी पीछे छोड़ दिया। कुल मिलाकर, एबी डीविलियर्स ने लगभग 50 रनों के औसत से 8 शतक, 17 अर्धशतक और 92 की स्ट्राइक रेट के साथ 2,880 रन बनाए। हालांकि उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ एकदिवसीय स्कोर 176 है, जो कि 2017 में बांग्लादेश के खिलाफ आया था। लेकिन 2007 से 2011 के दौरान एबी डी विलियर्स का सर्वोच्च स्कोर 121 रन था। हाशिम अमला के साथ मिलकर एबी डीविलियर्स एक छोर से रनों के बौछार करने में कभी पीछे नहीं रहे और खुद को टीम के एक अहम खिलाड़ी के तौर पर काबिज करने में भी कामयाबी हासिल की। साल 2010 एबीडी के लिए वह कामयाब साल रहा जब उन्होंने एक कैलेंडर वर्ष में करियर के सर्वश्रेष्ठ 5 शतक बनाए। # 3 युवराज सिंह, भारत भारतीय क्रिकेट टीम के सिक्सर किंग युवराज सिंह का बल्ला भी साल 2007 से 2011 के दौरान खूब चमका। इस दौरान युवराज सिंह ने ताबड़तोड़ पारियां खेलीं। उनकी पारियों की खास बात तो ये रही कि इस दौरान युवराज की तुलना में कोई भी ऐसा खिलाड़ी नहीं रहा जिसने उनसे ज्यादा छक्के लगाए हों। युवराज सिंह के लिए 2007 का विश्व टी-20 और 2011 का विश्व कप काफी अहम साबित हुआ है। दोनों टूर्नामेंट में ही युवराज ने टीम इंडिया की जीत में खासा योगदान दिया। युवराज सिंह की बदौलत ही टीम दोनों विश्व कप में जीत का स्वाद चखने में कामयाब हो पाई थी। ये दोनों टूर्नामेंट ही युवराज के करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुए। इस दौरान युवराज सिंह ने काफी रन बटोरे। 2007-2011 के दौरान वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की सूची में युवराज सिंह तीसरे पायदान पर अपनी जगह बना पाने में सफल हो पाए। युवराज ने इस अवधि के दौरान 3,000 से अधिक रन बनाए। 99 मैचों में 38 की औसत से युवराज ने 3,141 रन अपने नाम किए। इसमें युवराज ने पांच शतक और 18 अर्धशतक भी ठोक डाले। इस दौरान उनकी स्ट्राइक रेट लगभग 90 की रही। सिक्सर किंग के नाम से पहचाने जाने वाले युवराज सिंह ने इस दौरान सबसे ज्यादा छक्के भी लगाए। युवराज ने इन 4 सालों में 82 छक्के लगाए। इसके बाद क्रिस गेल का नंबर आता है जिन्होंने इस दौरान 77 छक्के ही लगाए। # 2 गौतम गंभीर, भारत सचिन तेंदुलकर, वीरेंदर सहवाग, एमएस धोनी और युवराज सिहं जैसे स्टार खिलाड़ियों के बीच इस दौरान गौतम गंभीर भी अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे। गंभीर की साल 2011 के विश्व कप के फाइनल में खेली गई पारी आज भी हर किसी के जहन में ताजा होगी। हालांकि गौतम गंभीर कभी लोगों का ध्यान अपनी और ज्यादा नहीं खींच पाए। लेकिन जब भी उनका बल्ला बोलता तो विरोधी खेमे को शांत करके ही दम लेता। गौतम गंभीर ने भारत के लिए वनडे में कई खास पारियां खेली। साल 2007 और साल 2011 के दौरान गौतम गंभीर ने लगभग 45 के औसत से 3,200 रन बनाए। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट लगभग 90 रहा। गौतम गंभीर ने इस दौरान 8 शतक भी लगाए। वहीं 86 वनडे मैचों में में 19 अर्धशतक लगाने में भी कामयाब रहे। # 1 महेंद्र सिंह धोनी, भारत कैप्टन कूल कहे जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी साल 2007 और साल 2011 के बीच वनडे मुकाबलों में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की सूची में टॉप पर रहे। इस दौरान किसी भी खिलाड़ी ने कैप्टन कूल माही से ज्यादा अर्धशतक नहीं बनाए। 2007 के टी-20 विश्व कप से लेकर साल 2011 तक धोनी ने कई बुलंदियों को अपने नाम किया। अपनी कप्तानी में भारत के नाम दोनों विश्व कप कर देना किसी सपने के सच होने जैसा ही था, जो कि माही ने अपनी कप्तानी में कर दिखाया था। 2007-2011 के बीच धोनी का बल्ला भी खूब बोला। 2011 के विश्व कप फाइनल में धोनी के बल्ले से निकला आखिरी छक्का भी बच्चे-बच्चे को आज भी याद है, जब धोनी के बल्ले से निकले छक्के ने भारतीय क्रिकेट इतिहास के 28 सालों के सूखे को खत्म किया था और भारत को क्रिकेट में फिर से विश्व विजेता बनाया था। इस अवधि में धोनी ने किसी भी दूसरे खिलाड़ी से ज्यादा वनडे मैच खेले। इस दौरान धोनी ने 100 से भी ज्यादा वनडे मुकाबले में अपना दमखम दिखाया। अपने 108 वनडे में, धोनी ने 51.6 के औसत से 3,821 रन बनाए। इस दौरान उनकी 85 की स्ट्राइक रेट रही, साथ ही धोनी ने 5 शतक बनाए। इसके अलावा सबसे खास, धोनी ने 2011 विश्व कप के फाइनल मुकाबले में नाबाद पारी खेलकर टीम इंडिया की झोली में विश्व कप डाल दिया।