ऐसा प्रतीत होता हैं कि कल ही मैंने महान बल्लेबाज को तेज गेंद पर मिड-ऑन की दिशा में जबर्दस्त शॉट खेलते देखा, जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। 'मास्टर ब्लास्टर' सचिन तेंदुलकर अपनी बल्लेबाजी की कला से किसी भी गेंदबाज को शर्मसार करने में माहिर थे, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के खिलाफ उन्होंने अपने खाते में कुछ विशेष समेत कर रखा था।
ऐसे कई मौके आए जब उन्होंने 50 ओवर वाले प्रारूप में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की जमकर धुनाई की और मैदान के चारों तरफ शॉट लगाए। यह ऐसी पारियां थी कि जो इनके साक्षी बने वो कभी इसे भूल नहीं सकते।
चलिए सचिन तेंदुलकर की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांच सर्वश्रेष्ठ वन-डे पारियों पर गौर करते हैं :
#5) ब्रिस्बेन में 91 रन, 4 मार्च 2008
यह भारत के लिए प्रमुख मैच था क्योंकि वह वह फाइनल सीरीज जीतने के करीब था। सीबी सीरीज के पहले फाइनल में सचिन की विशेष पारी के बल पर ही भारत जीतने में कामयाब हुआ था। भारत ने ब्रिस्बेन की पिच पर पहले बल्लेबाजी की और सचिन पहले फाइनल के बाद शानदार फॉर्म में थे।
भारत ने पहले विकेट के लिए 94 रन की साझेदारी की और उथप्पा के आउट होने के बाद भी सचिन डटे रहे। हालांकि पहले फाइनल के समान दूसरे फाइनल में उनका स्ट्राइक रेट कम रहा। उन्होंने 75।20 की औसत से रन बनाए। सचिन 91 रन बनाकर आउट हुए तब टीम इंडिया का स्कोर 205 रन था। सचिन की सशक्त पारी के बलबूते भारत ने 258 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर बनाया।
भारतीय गेंदबाजों ने शानदार गेंदबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया को रोमांचक मैच में 249 रन पर रोककर मैच और सीरीज पर कब्ज़ा किया। सचिन की बेहद दबाव में खेली गई यह सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक है।
#4) शारजाह में 143 रन, 22 अप्रैल 1998
1998 में शारजाह में कोका-कोला कप के फाइनल में पहुंचने के लिए भारत को जीत या फिर बहुत ही करीबी हार की जरुरत थी। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए माइकल बेवन के दमदार शतक की बदौलत 284 रन का विशाल स्कोर बनाया।
भारत की स्थिति सुखद नहीं थी, लेकिन सचिन उनके बचाव में उतरे। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की जमकर धुनाई की। एक जोरदार बवंडर ने कुछ देर खेल रोका और फिर भारत को फाइनल में क्वालीफाई करने के लिए 46 ओवर में 236 रन बनाने की दरकार थी। 'लिटल मास्टर' ने पहली गेंद पर एक दमदार शॉट खेला जो प्यार से 'डेजर्ट स्टॉर्म' शॉट के नाम पर जाना जाता है।
सचिन ने 131 गेंदों पर 9 चौके और 5 छक्कों की बदौलत 143 रन बनाए। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों पर जमकर प्रहार किए। भारत 242 रन बनाकर फाइनल के लिए क्वालीफाई कर चुका था।
भारत इस मैच में जीत तो नहीं सका लेकिन फाइनल में जरुर प्रवेश कर लिया। यह सचिन की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहतरीन पारियों में से एक है। महान बल्लेबाज ने अकेले के दम पर ही ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों से लोहा लिया।
#3) हैदराबाद में 175 रन, 5 नवंबर 2009
यह पारी तेंदुलकर के बल्ले से सीरीज के निर्णायक मैच में निकली थी, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की। भारत का गेंदबाजी विभाग बहुत ही पस्त नजर आया और मेहमान टीम ने 350 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया।
भारत की पूरी उम्मीद सचिन पर टिकी थी और महान बल्लेबाज ने निराश भी नहीं किया। तेंदुलकर ने मैदान के चारों कोनों में दमदार शॉट घुमाकर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दी। सचिन 141 गेंदों में 19 चौकों और तीन छक्कों की मदद से 175 रन बनाकर आउट हुए।
जब सचिन आउट हुए तब भारत को 19 रन की दरकार थी। मगर भारत का निचला क्रम बुरी तरह फ्लॉप रहा और टीम 4 रन से मैच हार गई। हालांकि यह मैच सचिन की शानदार पारियों में से एक के लिए आज भी प्रशंसकों के जेहन में ताजा है।
#2) सिडनी में 117*, 2 मार्च 2008
2008 में कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज का पहला फाइनल भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी में खेला जा रहा था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी की 50 ओवर में 239 रन बनाए। भारत पर बहुत दबाव था और सचिन पर सबकी निगाहें टिकी थी।
ऑस्ट्रेलिया में नाथन ब्रेकन, ब्रेट ली और मिचेल जॉनसन जैसे धाकड़ गेंदबाज मौजूद थे। सचिन ने रॉबिन उथप्पा के साथ ओपनिंग करके भारत को 50 रन की बेहद मजबूत शुरुआत दिलाई। इसके बाद भारत को जल्दी-जल्दी झटके लगे तब तेंदुलकर को युवा रोहित शर्मा का साथ मिला।
सचिन पूरी पारी के दौरान मैदान पर छाए रहे और यह पारी उनके वन-डे करियर की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक मानी जाती है। उन्होंने 10 चौकों की मदद से नाबाद 117 रन बनाए और भारत ने पहला फाइनल शाही अंदाज में जीता। सीरीज के दूसरे फाइनल में भी सचिन ने उम्दा पारी खेली और भारत ने सीबी सीरीज अपने नाम की।
#1) शारजाह में 134 रन, 24 अप्रैल 1998
कोका कोला कप के फाइनल में भारत को ऑस्ट्रेलिया के मजबूत गेंदबाजी आक्रमण के सामने 273 रन का मुश्किल लक्ष्य हासिल करना था। एक फाइनल में वो भी उस युग में जब 250 रन का स्कोर भी हासिल करना बड़ी उपलब्धि माना जाता था, प्रशंसक आश्चर्य में पड़ गए।
सचिन तेंदुलकर की योजना कुछ अलग ही थी। वह सौरव गांगुली के साथ पारी की शुरुआत करने के लिए मैदान में आए। इस मैच में सचिन ने शेन वॉर्न की जमकर धुनाई की। वॉर्न का विश्लेषण 10 ओवर में 61 रन देना था। कास्प्रोविच और डेमियन फ्लेमिंग भी सचिन के प्रहारों का शिकार बने। सचिन ने 131 गेंदों में 134 रन बनाए और भारत को जीत के बेहद करीब पहुंचा गए।
यह पारी इन मायनो में खास मानी जाती है कि छोटे कद के बल्लेबाज ने भारत को अपने दम पर जीत दिलाई। यह पारी क्रिकेट के इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो गई।