#2 श्रीलंका के खिलाफ, 6/59 (कोलंबो - 2005) इंडियन ऑयल कप के फाइनल में, भारत का सामना श्रीलंका से। श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया। विकेट सपाट था और गेंदबाजों को बिल्कुल भी मदद नहीं मिल रही थी, लेकिन ऐसे विकेट पर भी नेहरा ने अपनी क्षमता साबित की और 6 विकेट लिए। इस स्पेल के साथ ही नेहरा पहले भारतीय गेंदबाज बने, जिन्होंने वनडे करियर में 2 बार 6 विकेटों का स्पेल किया। टूर्नामेंट के फाइनल मैच भारत की ओर से सिर्फ नेहरा ही विकेट ले पाए थे। श्रीलंका ने 9 विकेट खोकर 281 रन बनाए थे। बाकी सभी विकेट रन-आउट के तौर पर गिरे। भारत को फाइनल मुकाबले में हार जरूर मिली, लेकिन दोनों ही टीमों की गेंदबाजों पर गौर करें तो नेहरा का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ था। #1 इंग्लैंड के खिलाफ, 6/23 (डरबन– 2003 विश्व कप) 2003 विश्व कप के वक्त तक नेहरा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को बहुत अधिक समय नहीं दिया था। अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू किए हुए उन्हें सिर्फ 4 साल ही हुए थे और वनडे क्रिकेट में उन्होंने 2 साल का ही समय बिताया था। इतना ही नहीं, इतने कम वक्त में भी फिटनेस की वजह से वह ज्यादातर वक्त टीम से दूर ही रहे थे। भारत को सुपर-सिक्स में जगह बनाने के लिए लीग मैच में इंग्लैंड का सामना करना था। 250 रनों के लक्ष्य का बचाव करते हुए, जवागल श्रीनाथ और जहीर खान ने इंग्लैंड की शुरूआती पारी को डगमगाया और उन्हें सात ओवरों में 18/2 के पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया। इसके बाद कप्तान गांगुली ने 13वें ओवर में नेहरा को आजमाया और फिर नेहरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ओवर द विकेट गेंदबाजी करते हुए नेहरा ने औसत रूप से 140 किमी/घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी की और बेहतरीन स्विंग गेंदबाजी की। नेहरा ने बल्लेबाजों को खुलकर खेलने का मौका ही नहीं दिया। एड़ी में चोट होने के बाद भी नेहरा ने पूरे 10 ओवरों का स्पेल किया और महज 23 रन देकर, 6 विकेट चटकाए। 6 में से पांच विकेट कीपर या स्लिप पर कैच की बदौलत लिए गए, जिससे साफ हुआ कि नेहरा ने कितनी सधी हुई गेंदबाजी की। नेहरा के इस बेजोड़ स्पेल की बदौलत भारत ने इंग्लैंड पर 82 रनों की शानदार जीत दर्ज की। लेखकः साहिल जैन अनुवादकः देवान्श अवस्थी