5 बातें जो दिलीप ट्रॉफ़ी में हुए प्रयोग के बाद रहीं महत्वपूर्ण

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गौतम गंभीर की कप्तानी में भारत ब्लू ने ख़िताबी भिड़ंत में युवराज सिंह के नेतृत्व वाली भारत रेड को 355 रनों से शिकस्त देकर दिलीप ट्रॉफ़ी पर क़ब्ज़ा कर लिया। ये कहना ग़लत नहीं होगा कि ख़िताब टूर्नामेंट की सर्वश्रेष्ठ टीम ने अपने नाम किया। दिलीप ट्रॉफ़ी इस बार बिल्कुल अलग थी, पहली बार गुलाबी गेंद और दुधिया रोशनी में सारे मुक़ाबले खेले गए। साथ ही कई अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के खेलने से ये घरेलू टूर्नामेंट इस बार सुर्ख़ियों में भी रहा। स्टार खिलाड़ियों के आकर्षण के साथ साथ युवा और प्रतिभावान खिलाड़ियों ने इस मंच पर शानदार प्रदर्शन करते हुए भारतीय क्रिकेट के बेंच स्ट्रेंथ की ताक़त बढ़ाई। भारत के लिए ये घरेलू सीज़न काफ़ी लंबा और अहम होने वाला है, ऐसे में युवा खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन सुनहरा भविष्य साबित हो सकता है। हम आपके सामने ऐसी 5 बातें रखने जा रहे हैं जो दिलीप ट्रॉफ़ी में हुए प्रयोग के बाद सामने आईं। #1 गुलाबी गेंद का प्रयोग कैसा रहा दिलीप ट्रॉफ़ी में हुआ सबसे बड़ा प्रयोग था, दुधिया रोशनी के अंदर गुलाबी गेंद से क्रिकेट। इस टूर्नामेंट का सबसे ज़्यादा चर्चित विषय भी यही रहा। सभी की नज़र इसी बात पर टिकी थी कि गुलाबी गेंद का बरताव कैसा रहता है। कुछ खिलाड़ियों को ख़ास तौर से गौतम गंभीर को गुलाबी और लाल गेंद में कोई फ़र्क नज़र नहीं आया। जबकि चेतेश्वर पुजारा और युवराज सिंह जैसे स्टार खिलाड़ियों ने रात में इस गेंद को सही तरीक़े से देख पाने में दिक्कत बताई। हालांकि सभी खिलाड़ी इस प्रयोग और बदलाव को स्वीकार करने से हिचकिचा नहीं रहे, क्योंकि वह जान रहे हैं कि इसका मक़सद टेस्ट क्रिकेट को बढ़ाना है। क्रिकेटर्स इन प्रयोगों को अपना तो रहे हैं, साथ ही अपनी राय रखने से भी पीछे हट नहीं रहे। अब जब टूर्नामेंट ख़त्म हो गया है ऐसे में गुलाबी गेंद के हिसाब से पिच बनाने पर भी ज़ोर दिया जाएगा। साथ ही दोनों वक़्त मिलने के समय उस गेंद को कैसे देखा जाए और उसके लिए क्या उपाय किए जाएं, इस पर भी विचार ज़रूर होगा। उसके बाद ही भारत में टेस्ट क्रिकेट गुलाबी गेंद से खेली जाएगी। #2 अंतर्राष्ट्रीय सितारों का फ़ॉर्म yuvi-1473865070-800 दिलीप ट्रॉफ़ी में वैसे खिलाड़ी जो टीम से बाहर चल रहे हैं और उम्मीद में थे कि अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं को रिझा सकते हैं और टीम में वापसी कर सकते हैं। गौतम गंभीर, सुरेश रैना और अभिनव मुकुंद जैसे खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए चयनकर्ताओं को लंबे सीज़न के लिए अपनी याद दिला दी है। जबकि युवराज सिंह के लिए दिलीप ट्रॉफ़ी बेहद निराशाजनक रही, बल्ले और कप्तानी दोनों ही जगह युवराज फ़्लॉप साबित हुए। दिलीप ट्रॉफ़ी में अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन और वर्तमान फ़ॉर्म चयनकर्ताओं को ये सोचने पर ज़रूर मजबूर करेगी कि आगे अगर अनुभव को टीम में शामिल करने की नौबत आई तो इनमें से किसे वापस लाना बेहतर होगा। #3 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से पहले मैच प्रैक्टिस pu-1473865387-800 दिलीप ट्रॉफ़ी के आगे जाकर क़रीब क़रीब सारे अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को खेलने का मौक़ा मिला। बीसीसीआई का मक़सद था कि न्यूज़ीलैंड क ख़िलाफ़ टेस्ट सीरीज़ से पहले इन खिलाड़ियों को मैच प्रैक्टिस का मौक़ा मिल सके। नेट में भले ही आप जितना पसीना बहा दें और जितनी देर खेल लें, लेकिन किसी भी खिलाड़ी के लिए मैच में खेलना और वह भी अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ, एक बेहतरीन विकल्प होता है। भारतीय खिलाड़ियों के लिए न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ 22 सितंबर से शुरू हो रहे पहले टेस्ट के लिए इससे बेहतरीन तैयारी और कुछ नहीं हो सकती थी। #4 कुलदीप यादव और नाथू सिंह जैसे उभरते सितारे kuldeep-1473865488-800 दिलीप ट्रॉफ़ी के सकारात्मक पहलुओं में से एक रहा 21 वर्षीय चाइनामैन गेंदबाज़ कुलदीप यादव का प्रदर्शन। बाएं हाथ के इस लेग स्पिन गेंदबाज़ ने तीनों ही मैचो में अपनी घूमती गेंदो से सभी बल्लेबाज़ों को ख़ूब छकाया। कुलदीप की ख़ासियत ये रही कि जब पिच उनकी मददगार नहीं थी, तब भी वह हिम्मत नहीं हारे और लगातार कोशिश करते रहे, जिसका नतीजा उन्हें झोली भरके विकेटों से मिला। अपनी गेंदो से उन्होंने अच्छे से अच्छे बल्लेबाज़ों को नचाया। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ भले ही कुलदीप यादव 15 सदस्यीय दल में शामिल न हो पाएं हों, लेकिन उनके इस प्रदर्शन को चयनकर्ता नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। आज नहीं तो कल कुलदीप यादव को इसका फ़ायदा ज़रूर मिलेगा। कुलदीप की ही तरह एक और गेंदबाज़ नाथू सिंह ने भी सभी का दिल जीत लिया। राजस्थान के दाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ ने अपनी रफ़्तार और स्विंग से बल्लेबाज़ों को ख़ूप परेशान किया। ख़ास तौर से लाइट्स में नाथू सिंह को खेल पाना बल्लेबाज़ों के लिए क़रीब क़रीब नमुमकिन साबित हो रहा था। #5 भारतीय क्रिकेट टीम का चयन gg-1473865636-800 न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तीन टेस्ट मैचो की सीरीज़ के लिए भारतीय चयनकर्ता ग्रेटर नोएडा में खेले गए दिलीप ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल मैच में शुरू से ही मौजूद थे। चयनकर्ता चाहते थे कि 22 सितंबर से शुरू हो रही तीन टेस्ट मैचों की सीरीज़ के लिए टीम का चयन खिलाड़ियों के प्रदर्शन के आधार पर हो। हालांकि 15 सदस्यीय भारतीय दल में चयनकर्ताओं ने कई ऐसे खिलाड़ियों को नज़रअंदाज़ कर दिया, जिनका प्रदर्शन दिलीप ट्रॉफ़ी में बेहतरीन रहा था। जिनमें सबसे पहला नाम आता है टीम इंडिया से बाहर चल रहे बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज़ गौतम गंभीर का। गंभीर ने 3 मैचो की 5 पारियों में 4 अर्धशतक और 2 90+ के स्कोर के साथ 356 रन बनाए, जिसमें उनकी औसत क़रीब 71 की रही। लेकिन इसके बावजूद चयनकर्ताओं ने गंभीर के नाम पर चर्चा तक नहीं की। बाएं हाथ के बल्लेबाज़ गंभीर के अलावा शेल्डन जैक्सन, मयंक अग्रवाल और कुलदीप यादव ने भी लाजवाब प्रदर्शन किया। हालांकि भारत को इस सीज़न 13 टेस्ट खेलने हैं, लिहाज़ा इन्हें मौक़ा मिल सकता है।