टेस्ट क्रिकेट में इन 5 गेंदबाजों ने जीते हुए मैचों में झटके सबसे ज़्यादा विकेट

KUMBLE

क्रिकेट के खेल में हार-जीत काफी मायने रखती है। इसके अलावा टीम को जीत दिलवाने में खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी काफी अहम रहता है। खिलाड़ी जितनी जी-जान से खेलेंगे, मैच में उनकी पकड़ उतनी ही मजबूत हो जाती है। क्रिकेट के खेल में बल्लेबाजों के रन स्कोर करने के अलावा गेंदबाजों की गेंदबाजी भी काफी मायने रखती है। अगर गेंदबाज ही टीम को विकेट दिलाने में सफल नहीं होते हैं तो कोई भी टीम जल्द ही दबाव में आ जाएगी और विपक्षी टीम को हावी होने का मौका मिल जाएगा। क्रिकट में किसी भी टीम का गेंदबाजी आक्रमण काफी मायने रखता है। गेंदबाजी आक्रमण जितना मजबूत होगा, टीम को उतना ही ज्यादा फायदा होगा। टेस्ट क्रिकेट में ऐसे कई गेंदबाज हुए हैं जिन्होंने अपनी खतरनाक गेंदबाजी की बदौलत विपक्षी टीम पर दबाव बनाया और टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। अपनी शानदार गेंदबाजी के कारण कई गेंदबाजों को आज भी याद किया जाता है। आइए जानते हैं ऐसे ही टॉप 5 टेस्ट गेंदबाजों के बारे में जिन्होंने जीते हुए टेस्ट मैचों में सबसे ज्यादा विकेट हासिल किए। सभी आंकड़े 4 जनवरी 2018 तक के हैं।

#5 अनिल कुंबले- 43 टेस्ट मैचों में 288 विकेट

भारतीय टीम में अनिल कुंबले की गेंदबाजी को आज भी याद भी याद किया जाता है। अपनी शानदार गेंदबाजी के कारण अनिल कुंबले विरोधी टीमों के बल्लेबाजों के नाक में दम करके रख देते थे। अनिल कुंबले जब फॉर्म में होते थे तो बड़े से बड़ा बल्लेबाज भी उनके सामने नाकाम साबित होता। अपने टेस्ट करियर में अनिल कुंबले ने शानदार गेंदबाजी की बदौलत टीम की जीत में कई बार अहम भूमिका निभाई है। लेग स्पिनर अनिल कुंबले ने अपने करियर में 132 टेस्ट मुकाबले खेले। इनमें से उन्होंने 43 मैचों में टीम को जीत दिलाई। साल 1990 में टेस्ट में पदार्पण करने वाले अनिल कुंबले ने साल 2008 तक अपनी शानदार गेंदबाजी जारी रखी। अपने पूरे टेस्ट करियर में 619 विकेट लेने वाले अनिल कुंबले ने जीते हुए मैचों में टीम के लिए 288 विकेट हासिल किए हैं। इनमें उनकी औसत 18.75 और स्ट्राइक रेट 44.4 की रही। अनिल कुंबले की शानदार गेंदबाजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपने करियर में अनिल कुंबले ने 35 बार पारी में 5 विकेट लिए। इनमें से 20 बार पारी में 5 विकेट उन्होंने जीते हुए मैचों में हासिल किए। कुंबले ने अपने करियर में कुल 8 बार मैच में 10 विकेट लिए हैं। इसमें से 5 बार टीम को जीत हासिल हुई थी। उनका करियर में सर्वश्रेष्ठ 74/10 रहा है।

#4 डेल स्टेन- 44 टेस्ट मैचों में 291 विकेट

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दुनिया के सबसे खतरनाक गेंदबाजों में से एक दक्षिणअफ्रीका के तेज गेंदबाज डेल स्टेन की गेंदबाजी से बड़े-बड़े बल्लेबाज भी खौफ खाते हैं। डेल स्टेन की गेंदबाजी के कारण कई बार दक्षिण अफ्रीका की टीम ने मुश्किल मैचों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है। अपनी शानदार गेंदबाजी के चलते डेल स्टेन ने 44 मैचों में टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। इन मैचों में डेल स्टेन ने 291 विकेट अपने नाम किए हैं। इसके साथ ही डेल स्टेन की औसत 16.03 की और स्ट्राइक रेट 31.4 की रही है। अपने टेस्ट करियर में 26 बार पारी में 5 विकेट लेने वाले डेल स्टेन के सिर्फ 4 बार पारी में लिए 5 विकेट बेकार गए हैं , 22 फाइव विकेट हॉल लिए मैचों में उनकी टीम को जीत हासिल हुई थी। इसके अलावा डेल स्टेन ने 5 बार मैच में 10 विकेट भी अपने नाम किए हैं और इन सभी मैचों में ही उनकी टीम को जीत हासिल हुई है। अपनी शानदार गेंदबाजी के दम पर डेल स्टेन गेम चेंजर की भूमिका अदा करते हैं। डेल स्टेन के पास अभी इन आकंड़ों में सुधार लाने के लिए और भी मौके हैं।

#3 ग्लेन मैक्ग्रा- 84 टेस्ट मैचों में 414 विकेट

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ऑस्ट्रेलिया के शानदार गेंदबाजों में से एक ग्लेन मैक्ग्रा को आज भी याद किया जाता है। ग्लेन मैक्ग्रा की गेंदबाजी का हर कोई दिवाना था। अपनी शानदार गेंदबाजी के दम पर ग्लेन मैक्ग्रा विरोधी बल्लेबाजों को क्रीज पर जमने भी नहीं देते थे और पैवेलियन की राह दिखा देते थे। ग्लेन मैक्ग्रा के जरिए अपने करियर में खेले गए 124 मैचों में से 84 टेस्ट मैचों में उनकी टीम को जीत हासिल हुई है। जीते हुए मैचों में ग्लेन मैक्ग्रा ने 414 विकेट अपने नाम करने में कामयाबी हासिल की है। इनमें उनकी औसत 19.19 और स्ट्राइक रेट 47.7 रही है। अपनी शानदार तकनीक और लाइन-लेंथ की बदौलत ग्लेन मैक्ग्रा ऑस्ट्रेलिया के महान गेंदबाजों में से एक हैं। अपने करियर में उन्होंने 18 बार फाइव विकेट हॉल लेने में सफलता हासिल की है और 3 बार टेन विकेट हॉल लिया है। उनके करियर का शानदार गेंदबाजी स्पेल पाकिस्तान के खिलाफ साल 2004 में पर्थ में आया था जब उन्होंने दूसरी पारी में पूरी पाकिस्तान की टीम को 72 रनों पर समेट कर रख दिया था।

#2 मुथैया मुरलीधरन- 54 टेस्ट मैचों में 438 विकेट

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स्पिन के शानदार गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन श्रीलंका के ही नहीं बल्कि दुनिया के महानतम गेंदबाजों में से एक हैं। मुथैया मुरलीधरन की स्पिन गेंदबाजी के आगे अच्छे-अच्छे बल्लेबाज भी चकमा खा जाते थे और अपना विकेट गंवा बैठते थे। श्रीलंका के लिए कई अहम मैचों में मुथैया मुरलीधरन ने शानदार गेंदबाजी कर श्रीलंका को मजबूती प्रदान की है। अपनी शानदार गेंदबाजी के चलते मुथैया मुरलीधरन अपने टेस्ट करियर में 54 मैचों में टीम की जीत का हिस्सा रहे हैं और जीते हुए मैचों में मुथैया मुरलीधरन ने 438 विकेट अपने नाम किए हैं। इसमें उनका औसत 16.18 और स्ट्राइक रेट 42.7 का रहा है। मुथैया मुरलीधरन की शानदार गेंदबाजी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 67 बार पारी में 5 विकेट लिए हैं, जिसमें से 41 बार पारी में 5 विकेट लेने से उनकी टीम को जीत हासिल हुई है। इसके साथ ही उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 22 बार मैच में 10 विकेट लिए हैं जिनमें से 18 बार श्रीलंका को जीत हासिल हुई है। इसमें कोई शक नहीं है कि मुथैया मुरलीधरन के संन्यास लेने से श्रीलंका को काफी नुकसान हुआ।

#1 शेन वॉर्न- 92 टेस्ट मैचों में 510 विकेट लिए

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शेन वॉर्न ऑस्ट्रेलिया के स्पिन गेंदबाजी क्रम में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते थे। इसमें कोई दो राय नहीं है कि शेन वॉर्न जैसा गेंदबाज भविष्य में विश्व क्रिकेट को नहीं मिल सकता है। अपनी शानदार गेंदबाजी के कारण शेन वॉर्न ने कई बार ऑस्ट्रेलियाई टीम को हारे हुए मैचों में अपनी नाक बचाने में मदद की है। वहीं अक्सर ऑस्ट्रेलियाई टीम ने सिर्फ शेन वॉर्न की गेंदबाजी के बदौलत ही जीत हासिल करने में कामयाबी पाई है। ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा जीते हुए टेस्ट मैचों में रिकी पॉन्टिंग के बाद शेन वॉर्न का ही नाम आता है। शेन वॉर्न ने अपने टेस्ट क्रिकेट में 145 मैचों में से 92 ऐसे मैच खेल हैं जिनमें उनकी टीम को जीत हासिल हुई हो। इन जीते हुए मैचों में शेन वॉने 500 विकेटों का आकंड़ा भी पार कर लिया। जीते हुए मैचों में शेन वॉर्न ने 510 विकेट अपने नाम किए हैं। इसमें उनकी औसत 22.47 और स्ट्राइक रेट 51.2 रही है। वहीं शेन वॉर्न ने 37 बार फाइव विकेट हॉल अपने नाम किए हैं जिनमें से 27 बार उन्होंने जीते हुए मैचों में हासिल किए हैं। वहीं अपने करियर में लिए गए 10 टेन विकेट हॉल में से 7 बार उन्होंने जीते हुए मैचों में टेन विकेट हॉल लिए हैं। लेखक: राम कुमार अनुवादक: हिमांशु कोठारी