भारत और श्रीलंका के बीच हुए 5 सबसे बेहतरीन टेस्ट मैच

भारत और श्रीलंका पिछले 35 वर्षों से टेस्ट मैचों में एक दूसरे से भिड़ रहे हैं। दोनों टीमों एक दूसरे के खिलाफ बेहतरीन क्रिकेट खेला है। लेकिन दोनों पड़ोसी देशों के बीच जब भी टेस्ट सीरीज हुई है, मुकाबले की चर्चा खूब हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों देश 207 बार(41 टेस्ट, 155 वनडे व 11 टी-20) एक दूसरे का सामना कर चुके हैं। जिसमें जीत के मामले में भारतीय टीम ने तीनों प्रारूप में बढ़त बनाकर रखा है। भारत और श्रीलंका के बीच अबतक 41 टेस्ट मैच हुए हैं, जिनमें से भारत ने 19 बार जीत दर्ज की है, तो 7 बार हार का सामना करना पड़ा है। इसके बावजूद भी श्रीलंका और भारत के बीच टेस्ट मुकाबले रोचक रहे हैं। आज इस लेख में हम 5 सबसे बेहतरीन मुकाबलों के बारे में बता रहे हैं: मुंबई-1997 1997 में भारत और श्रीलंका के बीच चार महीने की लम्बी अवधि में 5 टेस्ट मैच हुए थे। हैरानी की बात ये है कि ये सभी मुकाबले ड्रा पर छूटे थे। पहला टेस्ट मोहाली में अगस्त में हुआ था, भारत का पलड़ा इस मैच में भारी रहा था। जिसमें दूसरा मैच नागपुर में हुआ था, जो बारिश से प्रभावित रहा था। उसके बाद वानखेड़े में सीरीज का निर्णायक मुकाबला हुआ। गेंदबाजों के मददगार विकेट पर भारत ने सौरव गांगुली के 173 और सचिन के 148 रन की पारी की बदौलत 512 रन का स्कोर बनाया था। सचिन-गांगुली के बीच इस मैच में चौथे विकेट के लिए 256 रन की साझेदारी निभाई थी। लेकिन निचले क्रम के बल्लेबाजों के निराशाजनक प्रदर्शन की वजह से भारतीय टीम 512 रन सिमट गयी और आखिरी 7 विकेट सिर्फ 41 रन ही जोड़ पाए थे। जवाब में श्रीलंकाई टीम ने बढ़िया शुरुआत की और एक समय उनका स्कोर 180-2 था। लेकिन कोई भी बल्लेबाज़ बड़ी पारी नहीं खेल पाया जिसकी वजह से मेहमान टीम 361 रन पर ऑलआउट हो गयी थी। दूसरी पारु में भारतीय बल्लेबाजों का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं और श्रीलंका को जीत के लिए 94 ओवर में 333 रन का लक्ष्य मिला। जवाब में सलामी बल्लेबाज़ मर्वन अट्टापट्टू और सनथ जयसूर्या ने पहले विकेट के लिए 58 रन की साझेदारी निभाई। लेकिन उसके बाद श्रीलंका के नियमित अन्तराल पर विकेट जाते रहे और टीम को आखिरी दिन मैच बचाने की चुनौती मिली। लेकिन किस्मत भारत के साथ नहीं थी और बारिश व खराब लाइट ने मैच को श्रीलंका की तरफ मोड़ दिया। साथ ही कप्तान अर्जुन रणतुंगा और रोशन महानामा ने किसी तरह से श्रीलंका के विकेटों को बचाकर रखा और मैच ड्रा हो गया। श्रीलंका ने 7 विकेट खोकर 166 रन बनाए थे। जबकि मैच के 12 ओवर शेष रह गये थे। इस तरह एक बड़ी सीरीज ड्रा हो गयी और उसके बाद भारत और श्रीलंका के बीच दोबारा 5 मैचों की टेस्ट सीरीज नहीं हुई। कैंडी- 2001 गाले के मैदान पर विकेट भी हल्की हरी थी, लेकिन भारत के तेज गेंदबाज़ जवागल श्रीनाथ चोट की वजह से मुकाबले से बाहर थे। कप्तान गांगुली ने टॉस जीतकर पहले टेस्ट मैच की तरह ही इस मैदान पर भी पहले गेंदबाज़ी का निर्णय लिया। मेजबान टीम ने किसी तरह अपनी पहली पारी में 274 रन बनाये, जिसमें महेला जयवर्धने ने 104 रन की पारी खेली थी। पहले टेस्ट जहाँ भारतीय बल्लेबाज़ दोनों पारियों में बेबस नजर आए थे और टीम 200 का आंकड़ा भी छूने में असफल रही थी। तो वहीं इस बार टीम ने किसी तरह से 232 रन का स्कोर बनाया। वास ने 65 रन देकर 4 विकेट लिए और श्रीलंका को 42 रन की लीड दिला दी। ज़हीर खान और वेंकटेश प्रसाद ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए श्रीलंका की दूसरी पारी को 221 रन पर रोक दिया और भारत को जीत के लिए 264 रन का लक्ष्य मिला। लेकिन सीरीज की पहली तीन पारियों में भारतीय बल्लेबाजों की बल्लेबाज़ी को देखने से ऐसा लग रहा था कि भारत ये स्कोर हासिल नहीं कर पायेगा। लेकिन राहुल द्रविड़ 75 और कप्तान गांगुली के नाबाद 98 रन की पारी के बदौलत भारत ने मुकाबला 79 ओवर में ही जीत लिया। कोलंबो (पीएसएस)- 2010 साल 2010 में भारत और श्रीलंका के बीच टेस्ट सीरीज हुई थी, जो मुथैय्या मुरलीधरन के करियर की आखिरी सीरीज थी। गाले में पहला टेस्ट था और मुरलीधरन इस मैच के बाद क्रिकेट से अलविदा ले रहे थे। श्रीलंका के इस दिग्गज ने इस मैच में अपने 800 विकेट भी पूरे किए थे। पहले टेस्ट मैच में खराब प्रदर्शन के बावजूद भारतीय टीम ने दूसरे टेस्ट में वापसी की और सीरीज को बराबरी पर ला दिया। श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए समरवीरा के नाबाद 137 और महेला के 56 व संगकारा के 75 रन की पारी की बदौलत 425 रन बनाये थे। जवाब में भारतीय टीम ने सहवाग के 109, लक्ष्मण के 56, रैना के 62 और तेंदुलकर के 41 रन की बदौलत 11 रन की लीड हासिल की थी। लेकिन दूसरी पारी में श्रीलंका की हालत बिलकुल अलग थी और उनकी टीम एक समय 125 रन पर 8 विकेट गवांकर संघर्ष कर रही थी। लेकिन एक बार समरवीरा ने 83 और स्पिनर अजन्ता मेंडिस ने 78 रन की पारी खेलकर भारत के सामने जीत के लिए 257 रन का टारगेट सेट किया। टेस्ट में चौथी पारी में बल्लेबाज़ी करना आसान नहीं होता है और भारतीय टीम ने 62/4 विकेट गवां दिए थे। लेकिन लक्ष्मण ने 103 रन की शतकीय पारी खेली, जिसे तेंदुलकर 54 और रैना 41 नाबाद का भरपूर सहयोग मिला। जिसके बदौलत भारत ने मैच को ड्रा करवा दिया। गाले -2015 साल 2015 में श्रीलंका और भारत के मध्य 5 साल बाद टेस्ट सीरीज हुई, ये सीरीज इसलिए खास थी क्योंकि श्रीलंकाई दिग्गज कुमार संगकारा क्रिकेट को अलविदा कह रहे थे और विराट कोहली बतौर कप्तान पहली बार किसी सीरीज में उतर रहे थे। पहले मैच में टॉस हारने के बावजूद भारतीय टीम इस मुकाबले में पूरी तरह हावी रही। पहली पारी में लंका 183 रन पर ऑलआउट हो गयी थी। उसके बाद भारत ने धवन के 134 और कोहली 104 रन के शतकों की मदद से भारत ने 192 रन की लीड हासिल की। श्रीलंका की दूसरी पारी में 95 रन पर 5 विकेट गिर गये थे। लेकिन दिनेश चंदिमल ने जवाबी हमला बोलते हुए इस मैच में 162 रन की मैराथन पारी खेली। जिससे भारत के सामने जीत के लिए श्रीलंका ने 175 रन का लक्ष्य रखा। सभी को लग रहा था कि भारत मुकाबला आराम से जीत लेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि रंगना हेराथ ने शानदार गेंदबाज़ी और भारतीय टीम 112 रन पर ऑलआउट हो गयी। इस तरह मेजबानों ने 1-0 की लीड हासिल कर ली। हालाँकि भारत ने वापसी और इस सीरीज को अपने नाम किया।

कोलम्बो (एसएससी) - 2015

साल 2015 में भारतीय टीम पहला मैच हार गयी थी, जिसके बाद टीम ने वापसी की और दूसरे मैच में जीत दर्ज की। ऐसे में तीसरा टेस्ट निर्णायक साबित होने वाला था। श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाज़ी करने का निर्णय लिया। जो सही भी साबित हो रहा था, क्योंकि भारतीय टीम का स्कोर एक समय 180 रन पर 7 विकेट था। लेकिन चेतेश्वर पुजारा(145) ने स्पिनर अमित मिश्रा (59) के साथ मिलकर भारत की मैच में वापसी करा दी। भारत ने पहली पारी में 312 रन बनाए। जवाब में श्रीलंकाई टीम इशांत शर्मा(54/5) के सामने घुटने टेकने को मजबूर हो गयी और 201 रन पर ऑलआउट हो गयी। भारत को 111 रन की लीड मिली। दूसरी पारी में भारतीय टीम ने 274 रन का स्कोर बनाया और श्रीलंका को जीत के लिए 110 ओवर में 386 रन का लक्ष्य मिला। चौथे दिन श्रीलंका के 67 रन पर 3 विकेट गिर गये, जिसके बाद ये मैच एक तरफा हो गया। लेकिन एंजेलो मैथ्यूज (110) व कुसल परेरा (70) ने 135 रन की बेहतरीन साझेदारी और मैच बचाने की कोशिश की। लेकिन श्रीलंका ये मैच नहीं बचा सका उसकी पूरी टीम 268 रन पर ऑलआउट हो गयी। भारत ने ये मुकाबला 117 रन से जीत लिया। 1993 के बाद भारत ने श्रीलंका में पहली बार टेस्ट सीरीज में विजय हासिल की। लेखक-साहिल जैन, अनुवादक-जितेन्द्र तिवारी

Edited by Staff Editor
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