जिस तरह से रूडी कोर्ट्जन बल्लेबाज को आउट देने के लिए अपना बायां हाथ उठाते थे, उसके कारण उन्हें "धीमी मौत" के नाम से भी जाना जाता है। रूडी कोर्ट्जन ने साल 1992 में अपने अंतर्राष्ट्रीय अंपायरिंग करियर की शुरुआत की। वह साल 2002 से 2010 तक आईसीसी एलिट पैनल ऑफ एम्पायर्स का भी हिस्सा थे। रूडी कोर्ट्जन ने अपने करियर में 209 वनडे इंटरनेशनल और 108 टेस्ट को मिलाकर कुल 317 मैचों में अंपायरिंग की है। वह दो विश्व कप सेमीफाइनल में और आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2004 और 2006 के फाइनल में भी अंपायर के तौर पर खड़े हो चुके हैं। अंपायर के रूप में उनका आखिरी मैच साल 2010 में श्रीलंका और जिम्बाब्वे के बीच हरारे में था। रूडी कोर्ट्जन को 100 टेस्ट मैचों में अंपायरिंग करने के लिए आईसीसी गोल्डन बेल्स और 200 वनडे में अंपायरिंग करने के लिए सिल्वर बेल्स अवॉर्ड्स से भी नवाजा जा चुका है। वहीं वैन अभी तक 100 टेस्ट और 200 वनडे मैचों में अंपायरिंग करने वाले अब तक एक मात्र अंपायर हैं। लेखक: सुजीत मोहन अनुवादक: हिमांशु कोठारी