युवराज सिंह के आईसीसी टूर्नामेंटों में टॉप 5 शानदार प्रदर्शन

गेंद के सबसे अच्छे हिटरों में युवराज ऐसे खिलाड़ियों में से एक है जो अपनी बल्लेबाजी या गेंदबाज़ी, कभी-कभी दोनों के साथ टूर्नामेंट को चमका देते हैं। जब युवराज ने जूनियर और अंडर -19 क्रिकेट में अपनी पहचान बनाने की शुरुआत की, तो सभी का मानना था कि भविष्य के एक स्टार बल्लेबाज आए हैं। आईसीसी नॉकऑट टूर्नामेंट में अपना पहला प्रदर्शन करने के बाद उन्होंने रह रहकर वो प्रदर्शन करके दिखाया भी जिसकी उनसे उम्मीद की गयी थी।

जब भारतीय क्रिकेट में बदलाव का दौर चला था तब अपनी बल्लेबाजी के अलावा, मैदान पर चुस्त फील्डिंग और बाये हाथ की स्पिन ने उन्हें एक महत्वपूर्ण एकदिवसीय खिलाड़ी बनाया। भारत के महानतम सीमित ओवरों के बल्लेबाजों में से एक होने के अलावा, युवराज को अपने प्रदर्शन को हमेशा बड़े अवसरों पर और भी ज्यादा उच्च स्तर तक ले जाने की आदत थी।

आईये एक नज़र डालते हैं आईसीसी के आयोजनों में इस 'पंजाबी तूफान' के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनों में से कुछ पर:

#84 बनाम ऑस्ट्रेलिया, आईसीसी नॉकआउट ट्राफी 2000

टूर्नामेंट में केन्या के खिलाफ आगाज़ करने के बाद युवराज को बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला। अगला मौका उन्हें क्वार्टरफाइनल में बड़े प्रतिदवंद्वी ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ मिला था। भारत ने तेज़ शुरुआत भी की और सचिन ने ग्लेन मैक्ग्रा एक ओवर में 2 छक्के लगाते हुए ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी का सामना किया। मगर जल्द ही 'बिग थ्री' की विदाई के बाद भारत 90/3 पर रेंगने लगा, तब युवराज ने मैदान पर आते ही अपना दम दिखाया। उन्होंने ग्लेन मैकग्रा, जेसन गिलेस्पी और ब्रेट ली जैसे गेंदबाजों से सजे आस्ट्रेलियाई आक्रमण पर आक्रमण करते हुए 84 रनों की पारी खेली।

उनकी पारी तेज़ ड्राइव और साहसी पुल शॉट्स से सजी थी। युवराज को अन्य बल्लेबाजों से थोड़ा ही साथ मिला, लेकिन अकेले भारत को 265 के एक सम्मानजनक स्कोर तक ले गये। उन्होंने अपनी शानदार पारी के साथ ही माइकल बेवन को शानदार रन आउट किया जिसके लिये उन्हें मैन ऑफ़ द मैच अवॉर्ड भी मिला।#इंग्लैंड के खिलाफ 14 गेंदों में 58, आईसीसी विश्व ट्वेंटी 20 2007

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पहला आईसीसी विश्व ट्वेंटी 20 कई रोमांचक क्षणों से भरा हुआ था। क्रिस गेल ने टी -20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का पहला शतक जड़ सभी की नजरें अपनी ओर कर लीं लेकिन जल्द ही युवराज सिंह ने सारा जलवा अपने नाम कर लिया। भारत सहवाग (68) और गंभीर (58) की सलामी जोड़ी के बीच 136 रन की बेहतरीन शुरूआत के कारण एक अच्छे स्कोर की ओर जा रहा था।

युवराज 17 वें ओवर में क्रीज़ पर आये और जल्द ही एंड्रू फ्लिंटॉफ के साथ गर्म बहस के चलते सारा ध्यान उनकी ओर चला गया। युवा स्टुअर्ट ब्रॉड की ख़राब किस्मत थी, जो उन्हें युवराज के क्रोध का सामना करना पड़ा। 18 वें ओवर में जब वो गेंदबाजी करने आये, तो युवराज ने उन्हें 6 गेंदों में लम्बे लम्बे 6 छक्के जड़ दिए, जिससे सिर्फ 12 गेंदों पर युवराज ने सबसे तेज टी -20 अर्धशतक बनाया।

भारत ने कुल 218 रन बनाकर अंत में 18 रन की जीत दर्ज की।

https://youtu.be/5SkBZcvuuQs

#70 बनाम ऑस्ट्रेलिया, आईसीसी 2007 विश्व ट्वेंटी 20

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युवराज ने अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा, और भारत भी पहली बार ट्वेंटी -20 के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आया था। एक सुस्त शुरुआत के बाद, भारत ने युवराज सिंह और रॉबिन उथप्पा के बीच एक मैच में बदलने वाली साझेदारी के माध्यम से मैच में वापसी की। युवराज ने ब्रेट ली, मिशेल जॉनसन और नाथन ब्रेकन के ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण को ध्वस्त कर दिया, जिसमें उन्होंने 38 गेंदों पर 233.33 की शानदार स्ट्राइक रेट से 70 रन बनाए। उनकी पारी ने भारत को 188 रनों तक पहुंचाया, जिसने फिर एक अच्छे गेंदबाजी प्रदर्शन के बाद फाइनल में भारत का स्थान पक्का कर दिया था।

#50* और 5/31 बनाम आयरलैंड, आईसीसी विश्व कप 2011

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आईसीसी विश्व कप 2011 वास्तव में युवराज सिंह का विश्व कप था। टूर्नामेंट के दौरान कैंसर से जूझते हुए भी युवराज ने प्रत्येक मैच में अपना सौ प्रतिशत योगदान दिया। टूर्नामेंट के 22 वें मैच में आयरलैंड के खिलाफ एक ऑलराउंडर के रूप में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सामने आया।

सिंह ने पूरी तरह से आयरिश टीम की पारी 5/31 के आंकड़े के साथ खत्म कर दी। 207 रनों का पीछा करते हुए, युवराज ने एक शांत 108 गेंदों पर 50* की पारी खेली, जिसने किसी भी उलटफेर की उम्मीद को खत्म कर दिया।

#57 * बनाम ऑस्ट्रेलिया, आईसीसी विश्व कप 2011

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ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हमेशा युवराज सिंह का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बाहर आता है। भारत की अहमदाबाद में क्वार्टरफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से मुलाकात हुई और पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने कप्तान रिकी पोंटिंग के शानदार शतक से 260 का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया, भारत ने सचिन और गंभीर दोनों के अर्धशतकों के चलते अच्छी शुरूआत की। फिर भी यह खेल बराबरी का लग रहा था जब धोनी का विकेट 187 के स्कोर पर गिर गया। जीतने के लिए 70 रन जरुरत थी और फिर युवराज और रैना के बीच एक साझेदारी ने भारत की जीत सुनिश्चित की और वे सेमीफाइनल में अपने चरम प्रतिद्वंद्वियों पाकिस्तान का मुकाबला करने को तैयार हो गये।

यह तो विश्व कप के दौरान उनके द्वारा किए गए कई महत्वपूर्ण योगदानों/ प्रदर्शनों में से बस एक था और यही वजह थी कि उन्हें मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट अवार्ड को अपने नाम भी किया था।

लेखक: अनोश सुबावाला

अनुवादक: राहुल पाण्डे