#2 मोहम्मद कैफ 87*, नैटवेस्ट फाइनल, 2002
यह मैच कप्तान सौरव गांगुली के खुशी मनाने के अनूठे तरीके के लिए क्रिकेट प्रशंसकों द्वारा याद किया जाता है। हालांकि, वह पल कभी संभव नहीं हो सकता था अगर इस अवसर पर दो युवा खिलाड़ी आगे निकल कर सामने नहीं आते। टॉस जीतने के बाद इंग्लैंड ने फाइनल में पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। मार्कस ट्रेस्कोथिक और इंग्लिश कप्तान नासिर हुसैन की शतक के साथ-साथ एंड्रयू फ्लिंटॉफ निचले क्रम में अटैक करके इंग्लैंड को 50 ओवरों में 325/5 का लक्ष्य खड़ा किया। भारतीय सलामी बल्लेबाज सौरव गांगुली और वीरेंद्र सहवाग ने भारत को तेज शुरुआत दी और सिर्फ 14 ओवरों में 100 रन बना डाले। हालांकि, गांगुली के विकेट गिरने के बाद अचानक विकेट झड़ने लगे और भारत ने अगले 40 रनों पर अपने शीर्ष 5 बल्लेबाज खो दिये। जब 180 रन शेष रहते हुए सचिन तेंदुलकर आउट हो गये, तो अधिकांश प्रशंसकों ने जीत की उम्मीद पीछे छोड़ दी। हालांकि दो युवा नायकों ने वैश्विक स्तर पर उनके आगमन की घोषणा की। अंडर-19 के स्टार युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ ने 121 रन की साझेदारी कर क्लास और परिपक्वता का प्रदर्शन किया और उनकी यह साझेदारी मैच बदलने वाली साबित हुई। अभी भी 80 रनों शेष रहते हुए युवराज का विकेट गिर गया लेकिन कैफ ने अपने विकेट को संभाल कर रखा और लॉर्ड्स में एक प्रसिद्ध भारतीय जीत की इबादत लिखी। 1983 विश्वकप के बाद क्रिकेट के मक्का में इस घटना ने भारतीय प्रभुत्व में एक और मील का पत्थर स्थापित कर दिया।