#1 एमएस धोनी 91* बनाम श्रीलंका, विश्वकप फाइनल, 2011
एमएस धोनी पड़ोसी देश के खिलाफ उच्च दबाव वाले मैच का पीछा करने में बेहतरीन प्रतीत होते है। 2011 विश्व कप भारतीय क्रिकेट के इतिहास के साथ-साथ धोनी के नेतृत्व में नया इतिहास रचने वाला मौका था। विश्व कप भारत में आयोजित होने वाला था और सचिन तेंदुलकर के लिए आखिरी विश्व कप होने के साथ ही खिलाड़ियों में इसे लेकर एक भावनात्मक लगाव था। युवराज सिंह, सचिन तेंदुलकर और कप्तान एमएस धोनी की सामरिक शक्ति पर सवार होकर भारत ने टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनायी थी। हालांकि भारतीय गेंदबाजों ने एक अनुशासित प्रयास किया फिर भी महेला जयवर्धने के क्लासिक शतक के साथ पारी का पुनर्निर्माण किया और स्कोर बोर्ड पर 274/6 रन खड़ा कर दिया। जवाब में, भारत ने अपने सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को 0 पर खो दिया और वानखेड़े दर्शक जल्द ही सचिन तेंदुलकर के आउट होने पर शोक में डूब गया। 83 रनों के बाद भारत ने विराट कोहली के रूप में तीसरे विकेट खो दिया। इस बिंदु पर एमएस धोनी, जो हमेशा कुछ अलग सोचने के लिए जाने जाते हुए उन्होंने फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह की जगह खुद को आगे लाने का फैसला किया। उन्होंने गंभीर के साथ पारी का सामना किया और मुथैया मुरलीधरन के ओवरों की जमकर क्लास लगायी। एमएसडी अंत तक क्रीज पर टिके रहे और अपने ट्रेडमार्क शैली के छक्के के साथ पारी समाप्त कर दी, एक शॉट जिसमें वर्षों से दबे भावनाओं का सैलाब ला दिया व मास्टर ब्लास्टर और एक अरब भारतीयों के सपनों को पूरा कर दिया। धोनी ने 79 गेंदों में खेली 91* रन की सनसनीखेज पारी के लिए मैन ऑफ द फाइनल चुना गया। लेखक- इशान जोशी अनुवादक- सौम्या तिवारी