श्रीलंका के महानतम स्पिनर मुथैया मुरलीधरन को टेस्ट क्रिकेट से रिटायर हुए 7 साल हो गए हैं। मगर आज तक कोई भी स्पिनर उनके 800 टेस्ट विकेटों के रिकॉर्ड के आस-पास भी नहीं पहुंच पाया। मुरलीधरन ने अपनी शानदार गेंदबाजी के दमपर श्रीलंका को दुनिया को टॉप टीमों में जगह दिलाई थी। मुथैया मुरलीधरन ने 2010 में क्रिकेट को अलविदा कहा था। रिटायरमेंट से पहले मुरली ने सिर्फ 133 टेस्ट मैचों में 800 खिलाड़ियों को अपना शिकार बनाया था। मुरली क्रिकेट इतिहास में ये कारनामा करने वाले पहले गेंदबाज बने। मुरली के रिटायरमेंट के बाद से कोई भी गेंदबाज ऐसा नहीं हुआ है, जिसकी तुलना इस दिग्गज खिलाड़ी से की जाए। हालांकि कुछ स्पिनर्स अपने खेल से जरूर प्रभावित किया लेकिन उनकी गेंदबाजी में वो खौफ नहीं था, जिसके लिए मुरली जाने जाते थे। आइए एक नजर डालते हैं मुरली विजय के रिटायरमेंट के बाद 7 सबसे कामयाब स्पिन गेंदबाजों पर :
#7 यासिर शाह -124 विकेट
सईद अजमल के बैन के बाद यासिर शाह ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम के स्पिन अटैक की कमान संभाली। 30 साल के इस लेग स्पिनर टेस्ट क्रिकेट में अक्टूबर 14 में मुथैया मुरलीधरन के रिटायरमेंट के 4 साल बाद ऑस्ट्रेलियाई के खिलाफ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में डेब्यू किया था। डेब्यू के बाद से यासिर शाह ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यासिर शाह ने अपनी अगली ही सीरीज में न्यूजीलैंड के खिलाफ 5 विकेट चटकाए। इसके बाद उसी साल पाकिस्तान ने श्रीलंका का दौरा किया। उस दौरे में यासिर पाकिस्तान के लिए सबसे तेज 50 विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। ये रिस्ट स्पिनर धीरे-धीरे अपने रिकॉर्ड को और बेहतर करता रहा और जल्द ही टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 100 विकेट लेने वाला दूसरा गेंदबाज बना। यासिर के नाम सिर्फ 23 टेस्ट मैचों में 31.52 की औसत से 124 विकेट दर्ज हैं। इसमें कोई शक नहीं कि यासिर में टैलेंट कूट-कूट कर भरा हुआ है। लेकिन पाकिस्तान की टीम दूसरी क्रिकेट टीमों के मुकाबले बहुत टेस्ट क्रिकेट खेलती है, जिसकी वजह से यासिर के लिए मुथैया मुरलीधरन के रिकॉर्ड तक पहुंचना संभव नहीं है। #6 रविंद्र जडेजा -129 विकेट रविंद्र को पहली बार टीम में जगह 2012 में जगह मिली थी। जब उन्होंने 2012 में रणजी ट्रॉफी में 2 तिहरे शतक जड़कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। जडेजा ने 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ चौथे टेस्ट मैच में डेब्यू किया था। रविंद्र को शुरुआत में टीम में एक बैटिंग ऑलराउंडर के तौर पर शामिल किया गया था। लेकिन धीरे-धीरे वो टीम के टॉप क्लास स्पिनर बन गए। जडेजा टेस्ट क्रिकेट में आर अश्विन का बखूबी साथ निभाते और दोनों दिग्गज स्पिनर्स ने मिलकर टीम इंडिया को भी टेस्ट क्रिकेट में नंबर 1 टीम बनाया। इस लेफ्ट आर्म ऑर्थोडोक्स स्पिनर ने 28 टेस्ट मैचों में 23.44 की औसत 129 विकेट हासिल किए हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली जा रही मौजूदा टेस्ट सीरीज में तो जडेजा अपने प्रदर्शन के दमपर आईसीसी की गेंदबाजों की रैंकिंग में अश्विन के साथ टॉप पर काबिज हैं। इस 28 साल के स्पिनर को मुथैया मुरलीधरन की बराबरी करने के लिए अभी काफी क्रिकेट खेलनी होगी। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं कि जडेजा क्रिकेट इतिहास के कामयाब लेफ्ट आर्म स्पिनरों में अपना नाम जरूर दर्ज करवाएंगे। #5 सईद अजमल -160 विकेट
हमारी इस लिस्ट में एक और पाकिस्तानी स्पिनर अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा है। सईद अजमल दूसरा को नए आयाम दिए। हालांकि आईसीसी ने अजमल के बॉलिंग एक्शन पर बैन लगा दिया। जिसके चलते उनका क्रिकेट करियर छोटा हो गया। अजमल ने टेस्ट क्रिकेट में 31 साल की उम्र में 2009 में श्रीलंका के खिलाफ डेब्यू किया। अजमल ने डेब्यू भले ही देर में किया हो लेकिन उन्होंने विकेट लेने में बिल्कुल भी देरी नहीं की। अजमल ने सिर्फ 19 टेस्ट मैचों में 100 विकेट हासिल किए। बॉलिंग एक्शन में बैन से पहले अजमल ने 33 टेस्ट मैचों में 169 विकेट अपने नाम किए। जिसमें से 160 विकेट उन्होंने 2010 में मुथैया मुरलीधरन के रिटायरमेंट के बाद लिए। अगर सईद अजमल को उनके बॉलिंग एक्शन को लेकर परेशानी का सामना ना करना पड़ता तो वो क्रिकेट इतिहास के बेहतरीन स्पिन गेंदबाजों में से एक होते। #4 ग्रीम स्वान – 164 विकेट
हमारी इस लिस्ट में सिर्फ 1 ही गेंदबाज ऐसा है, जो टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट ले चुका है। और वो है इंग्लैंड का सबसे कामयाब टेस्ट स्पिनर ग्रीम स्वान। स्वान को पहली बार इंग्लैंड की टीम में 1999 में जगह मिली थी। हालांकि इस ऑफ स्पिनर को टेस्ट टीम में अपनी जगह बनाने के लिए 2008 तक इंतजार करना पड़ा। 2008 में स्वान ने भारत के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया। उसी साल ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इंग्लैंड को एशेज सीरीज जिताने में भी स्वान ने अहम रोल निभाया। स्वान ने इंग्लैंड के लिए गेंद और बल्ले दोनों से अच्छा प्रदर्शन किया। उस सीरीज को इंग्लैंड ने 2-1 से अपने नाम किया था। 2011 में इंग्लैंड ने एक बार फिर 3-1 से एशेज सीरीज पर कब्जा जमाया। उस समय भी स्वान ने इंग्लैंड को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2013 में कोहनी की चोट की वजह से स्वान ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। स्वान ने 60 टेस्ट मैचों 255 विकेट हासिल किए। हालांकि स्वान के 164 विकेट 2010 में मुरलीधरन के रिटायरमेंट के बाद आए। #3 नाथन लायन -241 विकेट नाथन लायन ऑस्ट्रेलियाई टीम के मुख्य स्पिनर हैं। इस ऑफ स्पिनर ने हाल में भारत के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट की पहली पारी में 8 विकेट चटकाए थे। नाथन लायन गेंद को स्पिन करने के साथ-साथ किसी भी पिच से बाउंस भी हासिल कर सकते हैं और उनकी यही क्षमता उन्हें मौजूदा दौर के टॉप स्पिनर्स में शुमार करती है। लायन ने 2011 में श्रीलंका के खिलाफ डेब्यू किया था। अपने डेब्यू मैच में ही लायन ने पहली ही गेंद पर विकेट चटकाया। डेब्यू के बाद से आजतक लियोन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। लायन अभी 29 साल के हैं और अभी उनके पास काफी समय है। लायन ने 65 टेस्ट मैचों में 241 विकेट अपने नाम किए हैं। अब ये देखना होगा कि वो मुथैया मुरलीधरन के करीब पहुंच पाते हैं या नहीं। हालांकि ये सब इस बात पर भी निर्भर करेगा कि ऑस्ट्रेलिया आने वाले समय में सब कॉन्टिनेंट का कितना दौरा करती है। #2 रविचंद्रन अश्विन -269 विकेट 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने के बाद से आर अश्विन टीम इंडिया के सबसे कामयाब गेंदबाज बने। टेस्ट क्रिकेट में इस समय टीम इंडिया आईसीसी रैंकिंग में नंबर 1 टीम है तो इसमें सबसे अहम योगदान आर अश्विन का रहा है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही मौजूदा टेस्ट सीरीज में अश्विन ने अपने शानदार प्रदर्शन के दमपर बेंगलुरु टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के जबड़े से जीत छीनी। बेंगलुरु टेस्ट में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम को जीत के लिए 188 रन का लक्ष्य मिला था, तब अश्विन ने 6 विकेट लेकर पूरी टीम को 112 रन पर समेट दिया था। हालांकि पर कई क्रिकेट पंडित ये सवाल भी उठाते रहे हैं कि अगर सब कॉन्टिनेंट की पिचें स्पिन फ्रेंडली ना होती तो अश्विन इतने कामयाब स्पिनर ना बन पाते। इन सब आलोचनाओं का जवाब देते हुए अश्विन आगे बढ़ते रहे। उन्होंने बार-बार साबित किया है कि वो भारतीय टीम के मुख्य स्पिनर हैं और टीम इंडिया की कामयाबी में उनका अहम रोल रहता है। 30 साल के अश्विन ने सिर्फ 47 टेस्ट मैचों में 24.79 की औसत से 269 विकेट हासिल किए हैं। जाहिर तौर आंकड़ों खुद इस बात पर मुहर लगाते हैं कि अश्विन मुथैया मुरलीधरन के रिकॉर्ड के करीब पहुंचने का दम रखते हैं। # 1 रंगना हेराथ – 295 विकेट
मुरलीधरन के रिटायरमेंट के बाद रँगना हेराथ श्रीलंकाई टीम के मुख्य स्पिनर रहे हैं। कई बार तो हेराथ ने अकेले अपने दमपर पूरी लंकाई टीम को जीत दिलाई है। हाल ही में हेराथ ने डेनियन विटोरी के लेफ्ट आर्म स्पिनर के तौर पर सबसे ज्यादा विकेट लेने के रिकॉर्ड को भी तोड़ा। हेराथ ने 1999 में डेब्यू किया था। हालांकि 2 मैचों के बाद ही उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद हेराथ ने 10 साल बाद 2009 में वापसी की। अपने कमबैक मैच में हेराथ ने ‘मैन ऑफ द मैच’ का अवॉर्ड अपने नाम किया वहीं से हेराथ का एक कामयाब लेफ्ट स्पिनर बनने का सफर शुरू हुआ। लंकाई टीम में मुरलीधरन की कमी पूरी करना आसान बात नहीं है लेकिन हेराथ कुछ हदतक इस काम में सफल जरूर रहे हैं। हेराथ ने अबतक 366 विकेट चटकाए हैं। जिसमें से 295 विकेट उन्होंने मुरलीधरन के रिटायरमेंट के बाद लिए हैं। आंकड़े खुद ये बता रहे हैं कि टेस्ट क्रिकेट में रँगना हेराथ श्रीलंकाई टीम के लिए किसी ट्रंप कार्ड से कम नहीं हैं।