टेस्ट इतिहास में 5 क्रिकेट खेलने वाले देश, जिनका सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजी आक्रमण रहा

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क्रिकेट में तेज गेंदबाजी काफी रोचकदार हिस्सा रही है। इतने वर्षों में दमदार तेज गेंदबाजी आक्रमण वाली टीमों ने टेस्ट क्रिकेट में काफी दबदबा बनाया है। 70 और 80 के दशक में वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजी विभाग का काफी दबदबा था। 2000 के करीब ऑस्ट्रेलिया का तेज गेंदबाजी विभाग काफी आक्रामक रहा जिससे इन टीमों की टेस्ट क्रिकेट में धाक बनी रही। टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाज वाकई टीम को अच्छा प्लेटफ़ॉर्म बनाकर देता है और बड़ा स्कोर बनाकर विरोधी टीम पर दबाव बनाता है। तेज गेंदबाजी विभाग टीम की बड़ी मदद करता है और विरोधी टीम को ऑलआउट करके टीम को टेस्ट मैच जिताता है। तेज गेंदबाज की निरंतरता और लंबा सफर तय करने की दास्तान साबित होती है इस बात से कि वह 100 से अधिक विकेट हासिल कर चुका हो। तेज गेंदबाजी संयोजन - टीम के पास स्थायी तेज गेंदबाजी आक्रमण हो जो लंबे समय तक खेले। इसमें गुणी तेज गेंदबाज को दूसरे छोर से बराबर की मदद मिले, वहीं बेहतर आक्रमण माना जाता है।

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#5) इंग्लैंड

एलेक बेड्सर ने वर्ल्ड वॉर युग के बाद इंग्लैंड में तेज गेंदबाजी की शुरुआत की। 1950 के करीब से बेड्सर ने अपने कंधों पर तेज गेंदबाजी की जिम्मेदारी उठाई। उन्हें फ्रेड ट्रूमैन और ब्रायन स्टथम का बखूबी साथ मिला। स्टथम अपनी सटीक लाइन और लेंथ के लिए काफी लोकप्रिय थे। 70 के दशक में जॉन स्नो, क्रिस ओल्ड, जोफ अर्नाल्ड, जॉन लीवर और बॉब विलिस की जोड़ी बनी। 1980 में विलिस और इयान बोथम ने विरोधी टीमों पर कहर बरपाया। 90 में एंगस फ्रेसर, फिल डेफ्रेटस, क्रिस लेविस और डेवोन मालकोम की जोड़ी बनी। 90 के मध्य में डैरेन गौफ और एंड्रू कैडिक भी आ गए। फिर डोमिनिक कॉर्क व एलन मुलाली ने गेंदबाजी आक्रमण को मजबूती दी। शताब्दी बदलने के बाद मैथ्यू होगार्ड इंग्लैंड के नंबर एक तेज गेंदबाज बने। उनके साथ स्टीफन फ्लेमिंग की जोड़ी बनी। फिर जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्रॉड ने कमान संभाली। इस बीच स्टीवन फिन की गेंदबाजी ने भी काफी प्रभावित किया। #4) दक्षिण अफ्रीका allan-donald-1471332584-800 प्रोटीज टीम में भी तेज गेंदबाजों का बोलबाला रहा है। नील एडकॉक दक्षिण अफ्रीका के पहले तेज गेंदबाजी स्टार थे। पीटर पोलाक फिर 60 के दशक में चमके। 1991 में क्रिकेट में वापसी के बाद एलन डोनाल्ड विश्व के सबसे तेज गेंदबाज बने। वह दक्षिण अफ्रीका के प्रमुख हथियार रहे और विश्व में उनका दबदबा रहा। डोनाल्ड को फैनी डीविलियर्स का साथ मिला। इसके अलावा उन्हें रिचर्ड स्नेल, ब्रेट स्चुल्त्ज़, क्रेग मैथ्यूज और मेरिक प्रिंगल का भी साथ मिला। 90 के दशक में शॉन पोलाक और ऑलराउंडर लांस क्लुसनर ने तेज गेंदबाजी का मोर्चा संभाला और बखूबी निभाया। 2000 में मखाया एनटिनी आ गया और उन्होंने टीम के गेंदबाजी आक्रमण को बहुत मजबूत किया। जैक्स कैलिस की ऑलराउंड प्रतिभा से सभी वाकिफ हैं। पिछले दशक में डेल स्टेन ने आकर्षक और रफ़्तार के बल पर अपनी छवि बनाई। उन्हें मोर्ने मोर्केल का बखूबी साथ मिला। इस बीच वेर्नोन फिलेंडर भी चके। कागिसो रबाडा, वेन पार्नेल समेत कई गेंदबाज अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। #3) पाकिस्तान imran-khan-1471333332-800 पाकिस्तान को तेज गेंदबाजी आक्रमण का गढ़ कहा जाता है। यह उपमहाद्वीप की एकमात्र टीम है जहां से विश्व क्रिकेट के दिग्गज तेज गेंदबाज निकलकर सामने आए। फज़ल महमूद ने पाकिस्तान में तेज गेंदबाजी की शुरुआत की। 50 के समय में महमूद ने खान मोहम्मद के साथ अच्छी साझेदारी बनाई। 70 में सरफराज नवाज़ ने रिवर्स स्विंग की कला को उजागर किया और टेस्ट क्रिकेट में पाकिस्तान की गेंदबाजी का इसे पर्याय बना दिया। फिर 80 के दशक में सबसे हैंडसम क्रिकेटर इमरान खान आए। उन्होंने पाकिस्तान के गेंदबाजी स्तर को एक अलग मुकाम पर पहुंचा दिया। पाकिस्तान को फिर वसीम अकरम के रूप में नई तेज गेंदबाज सनसनी मिली। इमरान खान और वसीम अकरम ने शानदार साझेदारी की। वसीम को स्विंग का सुलतान की उपाधि मिली। फिर अकरम को वकार यूनिस का साथ मिला। दोनों ने विश्व क्रिकेट में अपनी पहचान बनाई। आकिब जावेद, अता-उर-रहमान, मोहम्मद अकरम, मोहम्मद जाहिद, शहीद नज़ीर भी पाकिस्तान के लिए समय-समय पर अपना कमाल दिखाया। रावलपिंडी एक्सप्रेस नाम से मशहूर शोएब अख्तर की भी विश्व क्रिकेट में धूम रही। मोहम्मद आसिफ ने भी कमाल किया था, लेकिन वह मैच फिक्सिंग में दोषी पाए गए। मोहम्मद सामी भी अच्छे गेंदबाज रहे और उन्होंने दमदार वापसी भी की। हाल ही में मोहम्मद इरफान, जुनैद खान, वहाब रियाज और मोहम्मद आमिर ने भी बागडोर संभाल रखी है। #2) ऑस्ट्रेलिया dennis-lillee-and-jeff-thompson-1471333652-800 ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट क्रिकेट में सफलता उच्च तौर पर तेज गेंदबाजों के कारण निर्भर रही। 40 और 50 के दौर में रे लिंडवाल व कीथ मिलर की जोड़ी ने कमाल किया। इसके बाद एलन डेविडसन आए और फिर 60 के दशक में ग्राहम मैकेंजी व नील हॉक को बोलबाला रहा। 70 के दशक में डेनिस लिली और जेफ थोम्पसन की खतरनाक तेज गेंदबाजी आक्रमण जोड़ी ने राज किया। इसके साथ ही रॉडनी हॉग, जोफ लॉसन, टेरी एल्डरमैन और मैक्स वॉकर ने भी काफी नाम किया। 80 के दशक के अंत में ऑस्ट्रेलिया को मर्व ह्यूजेस और क्रेग मैकडरमोट की शानदार जोड़ी मिली। इस समय पर साइमन ओ डोनेल, ब्रूस रीड और कार्ल रैकमन भी काफी लोकप्रिय हुए। फिर ऑस्ट्रेलिया के सर्वकालिक महान तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा आए। उनकी सटीक लाइन और लेंथ का हर कोई दीवाना हो गया। मैक्ग्रा को डेमियन फ्लेमिंग, पॉल रिफेल, माइकल कासप्रोविच और एंडी बिकेल का अच्छा सहारा मिला। इसके बाद जेसन गिलेस्पी , मिचेल जॉनसन और शॉन टैट ने भी घातक गेंदबाजी की। दिग्गजों के संन्यास के बाद रेयान हैरिस, पीटर सिडल, बेन हिल्फेनहास और स्टुअर्ट क्लार्क ने स्विंग गेंदबाजी का प्रचलित किया। नाथन ब्रेकन भी सीमित ओवरों के जाबाज गेंदबाज बने। मौजूदा समय में मिचेल स्टार्क शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। जोश हेजलवुड, जेम्स पेटिनसन और पेट कमिंस भी अपनी गेंदबाजी का कहर फैला रहे हैं। #1) वेस्टइंडीज west-indies-1471334016-800 टेस्ट क्रिकेट में शुरुआत से ही वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजो का दबदबा रहा। 50 के दशक में वेस्ट हॉल और रॉय गिलक्रिस्ट ने नई गेंद से जिम्मेदारी संभाली। 60 के दशक में चार्ली ग्रिफिथ ने अपनी रफ़्तार से बल्लेबाजों पर खौफ जमाया। 70 के दशक में वेस्टइंडीज के पास तेज गेंदबाजी का बेहतर संतुलन नहीं था, लेकिन फिर कॉलिन क्रॉफ्ट की एंट्री हुई। 80 के दशक में वेस्टइंडीज के पास विश्व के सबसे घातक चार तेज गेंदबाज मौजूद थे। क्रॉफ्ट के अलावा माइकल होल्डिंग, जोएल गार्नर और एंडी रोबर्ट्स का खौफनाक तेज गेंदबाजी आक्रमण बना। इसी में मालकोम मार्शल को सबसे ज्यादा तारीफे मिली। 90 में वॉल्श और कर्टली एम्ब्रोस ने अपना धावा बोला। दोनों ने तेज गेंदबाजी की नई परिभाषा लिखी। इस बीच इयान बिशप का करियर चोट के कारण जल्दी समाप्त हो गया। एम्ब्रोस-वॉल्श युग के बाद मर्विन डिल्लन, निक्सन मैकलीन, फ्रेंक्लिन रोस और रेयोन किंग ने प्रतिभा दर्शायी। शताब्दी के बदलते ही, पेड्रो कॉलिन्स, डैरेन पॉवेल, फिडेल एडवर्ड्स और जेरोम टेलर आए, लेकिन कोई उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। वहीं, एंडरसन कमिंस, कैमरून कफी, कोरे कॉलीमोर, इयान ब्रैडशॉ, वस्बेर्ट ड्रैक्स, टिनो बेस्ट और रवि रामपॉल ने सीमित ओवरों में बेहतर प्रदर्शन किया। मौजूदा समय में केमार रोच और शेनन गेब्रियल इस परंपरा को बढ़ा रहे हैं। स्टार ऑलराउंडर ड्वेन ब्रावो अपने मिश्रण की वजह से काफी सफलता हासिल कर रहे हैं।

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