ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट क्रिकेट में सफलता उच्च तौर पर तेज गेंदबाजों के कारण निर्भर रही। 40 और 50 के दौर में रे लिंडवाल व कीथ मिलर की जोड़ी ने कमाल किया। इसके बाद एलन डेविडसन आए और फिर 60 के दशक में ग्राहम मैकेंजी व नील हॉक को बोलबाला रहा। 70 के दशक में डेनिस लिली और जेफ थोम्पसन की खतरनाक तेज गेंदबाजी आक्रमण जोड़ी ने राज किया। इसके साथ ही रॉडनी हॉग, जोफ लॉसन, टेरी एल्डरमैन और मैक्स वॉकर ने भी काफी नाम किया। 80 के दशक के अंत में ऑस्ट्रेलिया को मर्व ह्यूजेस और क्रेग मैकडरमोट की शानदार जोड़ी मिली। इस समय पर साइमन ओ डोनेल, ब्रूस रीड और कार्ल रैकमन भी काफी लोकप्रिय हुए। फिर ऑस्ट्रेलिया के सर्वकालिक महान तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा आए। उनकी सटीक लाइन और लेंथ का हर कोई दीवाना हो गया। मैक्ग्रा को डेमियन फ्लेमिंग, पॉल रिफेल, माइकल कासप्रोविच और एंडी बिकेल का अच्छा सहारा मिला। इसके बाद जेसन गिलेस्पी , मिचेल जॉनसन और शॉन टैट ने भी घातक गेंदबाजी की। दिग्गजों के संन्यास के बाद रेयान हैरिस, पीटर सिडल, बेन हिल्फेनहास और स्टुअर्ट क्लार्क ने स्विंग गेंदबाजी का प्रचलित किया। नाथन ब्रेकन भी सीमित ओवरों के जाबाज गेंदबाज बने। मौजूदा समय में मिचेल स्टार्क शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। जोश हेजलवुड, जेम्स पेटिनसन और पेट कमिंस भी अपनी गेंदबाजी का कहर फैला रहे हैं।