अनिल कुंबले की अगुवाई वाली आईसीसी क्रिकेट समिति ने फैसला किया है कि टेस्ट मैचो में टॉस पर रोक नहीं लगेगी। इसका मतलब ये हुआ कि जुलाई 2019 से शुरु होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में भी टॉस होगा। आईसीसी की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि समिति ने चर्चा की कि क्या टॉस का अधिकार सिर्फ दौरा करने वाली टीम के सुपुर्द कर दिया जाए, लेकिन बाद में महसूस किया गया कि यह टेस्ट क्रिकेट का अभिन्न हिस्सा है, जो खेल की शुरुआत में मैच की भूमिका तय करता है। गौरतलब है इससे पहले 2019 में होने वाली वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप में टॉस समाप्त करने की योजना पर विचार हो रहा था। लेकिन अब आईसीसी की क्रिकेट समिति ने इसे खारिज कर दिया है। ऐसा माना जाता रहा है कि टेस्ट क्रिकेट में घरेलू टीम के लिए पिच मददगार रहती है और मेहमान टीम को टॉस हारने के बाद नुकसान होता है। क्रिकेट कमेटी के कुछ सदस्य टॉस को समाप्त करने के पक्ष में थे। समिति में हालांकि पूर्व अंतरराष्ट्रीय कप्तान जैसे माइक गेटिंग, महेला जयवर्द्धने, माइक हेसन और पूर्व ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज और मैच रैफरी डेविड बून भी शामिल थे। ये सब इस बात पर सहमत थे कि मेजबान देश को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप को ध्यान में रखते हुए बेहतर स्तर की पिचें तैयार करनी चाहिए। पूर्व भारतीय कप्तान की अगुआई में समिति ने खिलाड़ियों के व्यवहार के संबंध में सिफारिशें भी की और विश्व क्रिकेट संचालन संस्था से कड़े कदम उठाने तथा खिलाड़ियों और प्रतिस्पर्धी टीम के बीच ‘ सम्मान की संस्कृति को बरकरार रखने की वकालत की। इसने गेंद से छेड़छाड़ में शामिल होने के लिए कड़ी सजा की भी बात कही। आचार संहिता के संबंधित कुछ सुझाव इस प्रकार हैं - 1.गेंद से छेड़छाड़ से जुड़े प्रतिबंध को बढ़ाना 2.अपमानजनक, व्यक्तिगत और आक्रामक अपशब्दों के लिये नए उल्लंघन बनाना 3.अनुचित फायदा उठाने का प्रयास करने के लिये नये अपराध को शामिल करने पर विचार करना 4.सम्मान संहिता बनाना 5. मैच रैफरी को किसी अपराध या उल्लंघन के स्तर को बढ़ाने या घटाने का अधिकार देना