शुरूआती दिनों में लेदर गेंद से गेंदबाजी करना मुश्किल रहा : उमेश यादव

Rahul

भारत देश में क्रिकेट खेलने के लिए लोग अपना क्रिकेट करियर बचपन से शुरू कर देते हैं। 10 साल की उम्र से वह अपनी क्रिकेट किट खरीद लेते हैं और रोज अकादमी में प्रैक्टिस करने के लिए जाते हैं। बचपन से उनके हाथ में लेदर का बल्ला और गेंद होती है, जिसके जरिए वह अपने क्रिकेट करियर को आगे बढ़ाते हैं लेकिन भारतीय टीम के तेज गेंदबाज उमेश यादव ने हाल ही में यह खुलासा किया है कि उन्होंने 20 साल की उम्र में पहली बार लेदर की गेंद से गेंदबाजी की थी। उमेश ने bcci.tv को दिए गए इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया है। उमेश ने कहा "जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, तो मैं टेनिस, रबर की गेंदों से खेला करता था और मुझे उस गेंद से गेंदबाजी करने की अच्छी समझ थी। जब मैंने लेदर गेंद से पहली बार क्रिकेट खेलना शुरू किया, तो उसको पकड़ना मेरे लिए मुश्किल था क्योकिं मैंने काफी देरी से लेदर गेंद से खेलना शुरू किया था। शुरूआती दिनों में मुझे लेदर गेंद से गेंदबाजी करना मुश्किल लगता था। कुछ गेंदें स्विंग नहीं होती थी, तो कुछ अपने आप ही स्विंग हो जाती थी।" उमेश यादव ने लेदर की गेंद से शुरूआती दिनों को मुश्किल बताते हुए आगे कहा कि मैं गेंद को सीधा फेंकता था तो कुछ गेंदे अंदर की तरफ अपने आप स्विंग होती, तो कुछ बाहर की तरफ स्विंग होती। मैं लेदर की गेंद की इस तरह की हरकतों में उलझ गया था लेकिन फिर मेरे कोच ने मुझसे कहा कि यह प्रोफेशनल गेंदबाजी की आम बात है। तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं है। तुम अपनी सही लाइन और लेंथ से गेंदबाजी करो और मैंने बिलकुल वैसा ही करना शुरू किया। 20 साल की उम्र में पहली बार लेदर गेंद से गेंदबाजी करना मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा था। उमेश यादव मौजूदा समय में भारतीय टीम के सबसे उम्दा तेज गेंदबाज हैं। यादव ने भारत के लिए पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच 2010 में ज़िम्बाब्वे के विरुद्ध खेला था। उमेश अपने शुरूआती दिनों में 130-135 किमी प्रति घंटा की गति से गेंदबाजी करते थे लेकिन समय के साथ उनकी गति में भी वृद्धि देखने को मिली। मौजूदा समय में उमेश 140 से ऊपर की गति से गेंदबाजी करते हैं। भारत के लिए उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 190 से ऊपर विकेट लिए हैं।

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