भारतीय क्रिकेट इस समय अपने खेल से ज़्यादा कोच के पद की वजह से चर्चा में है। खिलाड़ियों और समर्थकों के बीच एक ही बात हर वक़्त हो रही है, और वो ये कि कौन होगा टीम इंडिया का अगला कोच? क्या वो भारतीय होगा या विदेशी? सभी खिलाड़ी इसी दुविधा में हैं कि क्या उनका कोच उनके अनुसार होगा या फिर उन्हें कोच के अनुसार खुद को ढालना पड़ेगा? भारतीय कोच की दौड़ में कई दिग्गजों ने अपने कदम आगे बढ़ाए हैं। अब इस दौड़ में एक नया नाम और जुड़ गया है। अब एक और दिग्गज खिलाड़ी शामिल हुए जिन्हें हम वेंकटेश प्रसाद के नाम से जानते हैं। प्रसाद किसी भी तारीफ के मुहताज नहीं हैं, जिस तरह से उन्होंने भारतीय क्रिकेट में अपना योगदान दिया है वो वाकई में काबिल-ए-तारीफ है। कोच की दौड़ में प्रसाद पहले भारतीय नहीं हैं इनसे पहले 1983 की विश्व विजेता भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रवि शास्त्री, संदीप पाटिल और बलविंदर सिंह संधू इस पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ा चुके हैं। इन पूर्व खिलाड़ियों को इस रेस में देख बीसीसीआई जूनियर चयन समिति के अध्यक्ष प्रसाद भी आगे आए हैं। प्रसाद बीते समय में भारतीय टीम के गेंदबाज़ी कोच भी रह चुके हैं। और खुशी की बात ये भी है कि उन्हीं के कार्यकाल में भारतीय टीम ने 2007 में आयोजित पहला टी-20 वर्ल्ड कप भी जीता था। कोच के पद की इस दौड़ में प्रसाद के शामिल होने के बाद वैसे तो ये मुक़ाबला चतुष्कोणीय हो गया है लेकिन इस पूर्व तेज़ गेंदबाज़ की सीधी टक्कर शास्त्री के साथ है। पर इन सब के अलावा अगर प्रसाद मुख्य कोच न बन पाये तो उनके सामने गेंदबाज़ी कोच का भी विकल्प मौजूद होगा। अब ये तो वक़्त ही बताएगा कि भारतीय टीम के कोच की कमान किसके हाथ में जाती है, लेकिन अबतक जितने भी खिलाड़ियों ने इस पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की है उनमें से कोई भी विदेशी नहीं है, जिससे एक बात तो तय है कि भारतीय टीम को इस बार एक स्वदेशी कोच मिलना तय है।