आठ साल पहले दिमित्री मैस्करेनहस ने नैटवेस्ट सीरीज में भारत के खिलाफ ओवल के मैदान पर छठे एकदिवसीय मैच में अलग ही नजारा पेश किया था। श्रीलंकन मूल के इस अंग्रेज खिलाड़ी ने मैच के पचासवें ओवर में युवराज सिंह की लगातार पांच गेंदों पर पांच छक्के लगाए थे, सात मैचों की इस सीरीज को इंग्लैंड ने जीता था। इस मैच में इंग्लैंड की हालत एक समय काफी नाजुक थी, उसके 4 ओवर में 20 रन पर दो विकेट गिर गये थे। इयान बेल ने किसी तरह से 49 रन बनाये थे, लेकिन वह जब आउट हुए तब इंग्लैंड का स्कोर 79 रन ही पहुँच पाया था। इसके बाद पॉल कॉलिंगवुड मात्र 4 रन बनाकर आउट हो गये, केविन पीटरसन और ओवैस शाह ने 54 रन की भागीदारी की ही थी, तभी पीटरसन 31वें ओवर में रन आउट हो गये और तब स्कोर 137-5 ही था। शाह जबरदस्त फॉर्म में थे और उन्होंने ल्युक राईट के साथ 106 रन की बेहतरीन साझेदारी की, लेकिन 45वें ओवर में राईट 50 रन बनाकर आउट हो गये। इंग्लैंड का स्कोर 243-6 था तब शाह का साथ देने मैस्करेनहस आये जो शुरू में थोड़े धीमा खेल रहे थे और शुरू की 9 गेंदों पर उन्होंने मात्र 6 रन बनाये थे। विध्वंसक ओवर पहली पारी का आखिरी ओवर करने के लिए भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ ने युवराज सिंह को गेंद थमाई, लेकिन ओवर की समाप्ति के बाद भारतीय कप्तान को अपने निर्णय पर काफी पछतावा हुआ। पहली गेंद बीट होने के बाद ओवर की दूसरी गेंद पर मैस्करेनहस का बेहतरीन कैच पीयूष चावला ने पकड़ तो लिया लेकिन शरीर का संतुलन न बना पाने के कारण वह गेंद को हाथ में लेकर सीमा रेखा तक फिसल गये जिसे अंपायर ने छक्का घोषित किया। उसके बाद उन्होंने बाकी की 4 गेंदों पर लगातार 4 छक्के लगाये जिसकी मदद से इंग्लैंड ने 316 रन का स्कोर बना लिया जिसमे ओवैस शाह ने 95 गेंदों में 107 रन की नाबाद पारी खेली। इतने बड़े स्कोर के बावजूद भी इंग्लैंड और मैस्करेनहस को आखिरी हंसी नसीब नही हुई। भारत ने सचिन की 94 रन की तेजतर्रार पारी और कुछ अन्य बेहतरीन पारियों की बदौलत दो गेंद रहते हुए इस मैच को दो विकेट से जीत लिया और सीरीज को 3-3 की बराबरी पर ले आया।