ऑस्ट्रेलिया ने पुणे के एमसीए स्टेडियम में भारत के खिलाफ पहले टेस्ट के पहले दिन सधी हुई शुरुआत की। खेले के पहले 90 मिनट में ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज हालांकि भारतीय स्पिनरों के सामने संघर्ष करते दिखे, लेकिन इस दौरान वह क्रीज पर डटे रहने में भी कामयाब रहे। एक ऐसा ही मौका आया जब जयंत यादव पारी के 15वां ओवर में डेविड वॉर्नर को क्लीन बोल्ड कर दिया, लेकिन यह आउट करार नहीं दिया गया। इसकी असली वजह हरियाणा के स्पिनर द्वारा नो बॉल डालना रहा।
भारतीय टीम ने इस मैच के लिए दो ऑफ़स्पिनरों को शामिल किया है और विकेट से भी स्पिनरों को मदद मिलने की अधिक संभावना है। वॉर्नर ने इस बात को ध्यान रखते हुए ऑफ़स्टंप का गार्ड लिया जबकि अपना लेग स्टंप पूरा दिखाया। वह तब तक सफल रहे जब तक जयंत ने उन्हें क्लीन बोल्ड नहीं किया। गेंद सीधे जाकर लेग स्टंप के ऊपर लगी और गिल्लियां बिखर गई। भारतीय टीम के विकेटकीपर ऋद्धिमान साहा विकेट का जश्न मानाने लगे जबकि डेविड वॉर्नर ने चुपचाप गेंद को बाउंड्री लाइन के पार जाते देखा। दरअसल, नजदीकी फील्डरों को यह एहसास करने में देरी हुई कि अंपायर रिचर्ड केटलबोरौघ ने नो बॉल का इशारा किया है और बाएं हाथ के बल्लेबाज को बड़ा जीवनदान दिया है। रीप्ले में स्पष्ट दिखा कि जयंत के आगे वाला पैर क्रीज के काफी आगे था और अंपायर ने बिलकुल सही फैसला दिया है। ऑस्ट्रेलियाई ओपनर उस समय 20 रन बनाकर खेल रहे थे। इस घटना से विराट कोहली काफी निराश हुए क्योंकि उन्हें इस बात का अच्छे से अंदाजा है कि वॉर्नर एक सत्र में खेल का नक्शा पलटने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, वॉर्नर इस जीवनदान का अधिक फायदा नहीं उठा सके और 38 रन के निजी स्कोर पर उन्हें उमेश यादव ने क्लीन बोल्ड कर दिया। उम्मीद के मुताबिक पुणे का विकेट स्पिनरों के लिए मददगार आ रहा है और इसका प्रमाण तब देखने को मिला जब इशांत शर्मा के साथ गेंदबाजी की शुरुआत आर अश्विन ने की। बता दें कि मेहमान टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया है।