अंडर-19 विश्व कप में एक कप्तान और एक बल्लेबाज के रूप में सफल होने के बाद 2008 में जब विराट कोहली ने उसी वर्ष भारतीय टीम में एंट्री पायी तो सभी ने देखा कि इस लड़के में कुछ विशेष जरूर है। लेकिन किसी ने इस बात का अंदाजा नहीं लगाया होगा कि वह एक दिन तीनों प्रारूपों में आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक बन जायेगा। सीमित ओवरों के खेल में कोहली एक अलग ही ज़ोन में खेलते हैं। 194 पारियों (202 मैचों) में 32 एकदिवसीय शतक (एकदिवसीय क्रिकेट के इतिहास में दूसरा सबसे ज्यादा) और एक लगभग 56 का औसत व 92 की स्ट्राइक-रेट, ये चौंकाने वाले आंकड़े हैं जिनके द्वारा कोहली दिन प्रतिदिन विराट बनते जा रहे हैं। वास्तव में, कुछ क्रिकेट जानकारों ने उन्हें 'सर्वश्रेष्ठ एकदिवसीय बल्लेबाज' करार दिया है। आज वर्तमान भारतीय कप्तान अपना 29 वां जन्मदिन मना रहे हैं, इसलिए आज उनके जन्मदिन पर हम उनके कुछ बेहतरीन वनडे पारियों की एक झलक पेश कर रहे हैं। हालांकि विराट की कई शानदार इनिंग सामने आयी हैं, लेकिन यहां 5 बेस्ट पारियों को शामिल किया गया है। विशेष उल्लेख- 35 बनाम श्रीलंका (विश्व कप फाइनल, मुंबई)- 2011 किसी को उम्मीद नहीं होगी कि किसी खिलाड़ी की 35 रन की पारी को सर्वश्रेष्ठ इनिंग्स में कैसे गिना जा सकता है। लेकिन कोहली ने इस बात को खुद स्वीकार किया है और वह विश्व कप में खेली गई 35 रन की पारी को अपनी बेहतरीन पारी में से एक गिनते हैं। 2011 के विश्व कप के फाइनल में श्रीलंका ने तेजी के साथ अपनी पारी की शुरुआत की और 10 ओवर में 91 रन का स्कोर भी खड़ा कर दिया और 274/6 के अच्छे स्कोर के साथ श्रीलंकाई पारी की समाप्ति हुई। लेकिन जवाब में, भारतीय पारी की शुरुआत निराशजनक रही, भारत ने पारी की दूसरी गेंद पर वीरेंद्र सहवाग का विकेट खो दिया और जल्द ही सचिन तेंदुलकर भी ड्रेसिंग रूम में अपने सलामी जोड़ीदार के पीछे लौट गये। मलिंगा ने अपने पहले स्पेल की एक शानदार शुरुआत कर ली थी। भारत ने 31 रन पर अपने दो बेहद महत्वपूर्ण विकेट खो दिये थे और मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में सन्नाटा छाया हुआ था। जिसके बाद गौतम गंभीर का साथ देने के लिए 22 वर्षीय युवा बल्लेबाज क्रीज पर आया। जिस तरह से कोहली ने बड़े फाइनल में दबाव को झेला वह बेहद सराहनीय था। गौतम गंभीर के साथ मिलकर कोहली ने टीम की नैय्या को आगे बढ़ाया। दोनो के बीच 83 रन की अच्छी साझेदारी हुई जिससे भारत 275 रनों का पीछा करते हुए ट्रैक पर वापस आ सका। 35 रन का उसका योगदान शायद इतना बड़ा न लग सके लेकिन भारत की स्थिति को देखते हुए यह एक ऐसी पारी थी जिसने भारत को मुश्किल की घड़ी से बाहर निकाला। कोहली की आउट होने के बाद धोनी की 91 और गंभीर ने 97 रनों की मदद से भारत अपना दूसरा विश्व कप जीतने में सफल रहा। #5 107 बनाम पाकिस्तान, विश्व कप (एडिलेड)- 2015
भारत पाकिस्तान के बीच खेला जाने वाला कोई भी मैच हाई वोल्टेज मैच होता है और अगर बात विश्व कप की हो तो खेल का दबाव व तीव्रता और भी अधिक बढ़ जाती है। एडिलेड में ओवल का मैदान उस दिन जंगी मैदान में तब्दील हो चुका था। ड्रम की ध्वनि, हॉर्न की तेज आवाजें, चारों तरफ नाच और गाने के माहौल में जीत से ज्यादा एक दूसरे को हराने की धुन थी। एक विशेष वातावरण में एक विशेष प्रदर्शन अनिवार्य था और इस दौरान विराट कोहली ने एक विशेष पारी खेली। विराट इस पारी से भी ज्यादा बेहतर और भी पारियां हो सकती हैं लेकिन मंच, अवसर, दबाव और विपक्ष को देखते हुए यह एक इसे एक विशेष पारी में गिना जायेगा। रोहित शर्मा के आउट होने के बाद विराट कोहली भारतीय पारी के 8वें ओवर में बल्लेबाजी करने आये। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार टेस्ट सीरीज़ के बाद कोहली रनों से कम थे, वह त्रिकोणीय सीरीज और वार्म-अप मैच में भी कुछ भी अच्छा नहीं कर पाए थे। इस प्रकार, कोहली ने धीमी शुरुआत की। लेकिन एक बार सेट होने के बाद उन्होंने सुनिश्चित किया कि वह एक बड़ी पारी खेलेंगे और फिर कोहली ने अपना 22 वां वनडे शतक जड़ दिया। धवन (73) और रैना (74) के साथ तत्कालीन भारतीय उप-कप्तान ने 100 रन की भागीदारी की और भारत का स्कोर 300 के पार पहुंचाया। एक शानदार 107 रन बनाने के बाद कोहली ने कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में सैकड़ा जमाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।
#4 115 बनाम ऑस्ट्रेलिया (नागपुर) - 2013
2013 में विराट कोहली सबसे प्रतिभावान बल्लेबाजों में से एक थे और तब तक वह बल्लेबाजी लाइन-अप में भारतीय टीम के मजबूत स्तंभ बन गए थे। वह धीरे धीरे एक एक चेस मास्टर के रूप में बदल चुका था। उन्होंने बड़े पैमाने के स्कोर का पीछा करते हुए 18 महीनों में 3 अलग-अलग जगहों पर 3 मास्टरक्लास स्कोर बनाए थे। 2013 में ऑस्ट्रेलिया के भारत में सीमित ओवरों के दौरे के दौरान प्रत्येक मैच में 300 रन बनाए गए थे। भारत के खिलाफ 2-1 से आगे चल रही ऑस्ट्रेलिया ने नागपुर के छठे वनडे में 350 का विशाल स्कोर बनाया था। जवाब में, भारत ने सलामी बल्लेबाज के साथ 178 रनों की मजबूत शुरुआत की। 30वें ओवर में भारत का स्कोर 178-1 होने पर कोहली बल्लेबाजी करने उतरे। इससे पहले श्रृंखला में उन्होंने किसी भारतीय द्वारा सबसे तेज शतक जमाया था जो भारत को 360 रनों का पीछा करने में कारगर साबित हुआ था। लेकिन यहां भारत को अभी भी 20 ओवर में 173 रन की जरूरत थी। लेकिन कोहली ने उम्मीद से बेहतरीन प्रदर्शन का नजारा पेश किया। विराट ने सिर्फ 66 गेंद पर 115 रन की जानदार पारी खेलकर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण को ध्वस्त कर दिया था। जयपुर और नागपुर की पारियों के बीच का मुख्य अंतर भारत की स्थिति का था। जयपुर में रोहित शर्मा ने पूरी पारी में बल्लेबाजी की लेकिन यहां नागपुर में अच्छी शुरुआत के बाद भारत ने नियमित अंतराल पर विकेट गंवाए और जिस दौरान कोहली ने अपना धुआंधार प्रदर्शन किया। मैदान के चारों ओर रन बनाने के दौरान उन्होंने 66 गेंद में 18 चौके और 1 छक्के लगाए। एक अन्य बेहतरीन चेस करते हुए मास्टरक्लास बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया और भारत ने सीरीज 2-2 से बराबर कर दी जिसके बाद भारत ने आखिरी वनडे में जीत हासिल करके सीरीज अपने नाम की। #3 122 बनाम इंग्लैंड (पुणे)- 2017
2016 के अंत में इंग्लैंड (घर पर) के खिलाफ एक शानदार टेस्ट सीरीज़ के बाद कोहली को तीनों प्रारूपों का पूर्णकालिक कप्तान बनाया गया था क्योंकि धोनी ने एकदिवसीय फॉर्मेट की कप्तानी से इस्तीफा दे दिया था। 4-0 की हार के बाद इंग्लैंड टीम क्रिसमस ब्रेक के बाद अपने दौरे के सीमित ओवरों के चरण को पूरा करने के लिए वापस आयी। इंग्लैंड ने पुणे की फ्लैट पिच पर 350 रनों का विशाल स्कोर बनाया। जवाब में, भारत की शुरुआत बेहद खराब रही और 12वें ओवर तक भारत का स्कोर 63-4 हो गया था। तब तक, कोहली अच्छी शुरुआत कर चुके थे लेकिन दूसरे छोर से लगातार विकेट गिर रहे थे। इसके बाद केदार जाधव बीच मझधार में भारतीय कप्तान का साथ देने आये। कोहली जिन्होंने 2016 में शानदार प्रदर्शन किया वह इस मैच में अपनी सर्वोच्चता पर दिख रहे थे। पारी और रनों का पीछा करने के दौरान उनका पूरा नियंत्रण था। जाधव ने भी कप्तान के भरोसे को पूरा करते हुए 120 रन की पारी खेली और दोनों के बीच 200 रन की अद्भुत साझेदारी हुई। कोहली ने शानदार टाइमिंग के साथ 122 रन बनाकर भारत को रिकॉर्ड जीत तक पहुंचाया। 105-बॉल की पारी में कोहली ने कुछ शानदार स्ट्रोक खेले। लेकिन एक शॉट जो एक सबसे असाधारण शॉट्स में से एक था। वोक्स ने बैक ऑफ लेंथ की धीमी गेंद डाली जिसके परिणामस्वरूप कोहली ने बैक फुट ड्राइव लगायी (सीधे बल्ले के साथ) जो सीधे मिड विकेट में खड़े खिलाड़ी के हाथ में गई। हालांकि कोहली 122 रन पर आउट हो गए लेकिन उन्होंने रन-चेज़ अच्छी तरह करते हुए जीत के करीब ला दिया। भारत 350 के लक्ष्य का तीन बार सफलतापूर्वक पीछा करने वाली पहली टीम है और संयोग से कोहली ने तीनों ही मौकों पर 100 रन बनाए हैं।
#2 183 बनाम पाकिस्तान (एशिया कप, ढाका)- 2012
भारत और पाकिस्तान के बीच मैच दोनों देशों के बीच राजनीतिक तनाव के कारण दुर्लभ हो गया था इसलिए यह एक बहुसंख्यक टीम का इवेंट था, जिसमें दो कट्टर-प्रतिद्वंदी टीमों ने एक-दूसरे का सामना किया था। यह लगभग एक वर्ष बाद था जब दोनों टीमें एकदूसरे के आमने सामने थी क्योंकि इन दोनों का आखिरी बार सामना 2011 के विश्व कप के सेमीफाइनल में हुआ था और इस चरण को भारत के लिए जरूरी मैच जीतने के साथ फिर से सेट किया गया था। सलामी बल्लेबाज मोहम्मद हफीज और नासिर जमशेद की शतकीय पारियों की बदौलत पाकिस्तान ने 329 का बेहतरीन स्कोर बनाया। 330 के लक्ष्य के साथ भारत ने पहले ही ओवर में गौतम गंभीर का विकेट खो दिया। जब कोहली नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने आये तो उसका इरादा स्पष्ट था। विराट कोहली ने सभी गेंदबाजों की जमकर खबर ली और अपने बल्लेबाजी के हर एक तीर को जमकर चलाया। सचिन तेंदुलकर और रोहित शर्मा के साथ महत्वपूर्ण रन जोड़े और कोहली ने आवश्यक रन-रेट को हमेशा बनाए रखा। कोहली ने समझदारी भरी और परिपक्व बल्लेबाजी करते हुए समय समय पर सुनियोजित जोखिम लिये। विराट ने 211 मिनट के लिए बल्लेबाजी की और 148 गेंदों पर लाजवाब 183 रनों के साथ भारत को 2 ओवर शेष रहते हुए 330 के आंकड़े को पार करने में अपनी यादगार भूमिका निभायी।
#1 133 बनाम श्रीलंका (सीबी सीरीज, होबार्ट)-2012
2011-12 में भारत एक कठिन दौर से गुजर रहा था। ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट श्रृंखला 0-4 से हारने के बाद भारत को त्रिकोणीय सीरीज में श्रीलंका के खिलाफ अपने अंतिम ग्रुप स्टेज मैच में जरूरी जीत की आवश्यकता थी। इसके अलावा, उन्हें एक बोनस प्वाइंट जीत की जरूरत थी (अंक के साथ श्रीलंका से आगे रहने के लिए)। भारतीय गेंदबाजों को ध्वस्त करने के बाद श्रीलंकाई टीम ने सोचा होगा कि अब वह फाइनल में पहुंचने की कगार पर है क्योंकि श्रीलंका के बल्लेबाजों ने 320/4 स्कोरबोर्ड पर टांग दिये थे। लेकिन कोहली के पास अलग ही सोच थी। भारत को 40 ओवर में लक्ष्य को पूरा करना था और भारत को अच्छी शुरुआत की जरूरत थी, लेकिन भारत ने खराब शुरुआत की और 10 ओवर के भीतर ही अपने दोनों ओपनर (सहवाग और सचिन) को खो दिया। 86/2 स्कोर के समय कोहली बल्लेबाजी करने उतरे और फिर चीजें नाटकीय रूप से बदल गईं। अपनी पारी की शुरुआत के साथ ही कोहली गेंदबाजों पर हावी हो गये। क्रीज पर 133 मिनट की अपनी पारी में, कोहली ने 16 चौके और दो छक्के लगाए जिसके बदौलत 133 रन बना डाले। जिस तरह से उन्होंने मलिंगा पर आक्रमण किया, किसी बल्लेबाज ने कभी भी लसिथ मलिंगा के खिलाफ इस तरह से वार नहीं किया था। (जिसमें एक ओवर में 24 रन शामिल थे) नाबाद 133 रन की पारी शायद उनके द्वारा खेली गई शायद सबसे बेहतरीन पारी रही है, क्योंकि उस पारी में विराट ने बल्लेबाजी की एक विस्तृत श्रृंखला दिखायी और श्रीलंका के गेंदबाजी आक्रमण को तहस नहस कर दिया। लेखक- साहिल जैन अनुवादक- सौम्या तिवारी