भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ही टीमों के लिए यह करो या मरो वाला मुकाबला था क्योंकि विजेता टीम विश्वकप के सेमीफाइनल में पहुंचती जबकि हारने वाली टीम का सफर खत्म हो जाता। पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने 20 ओवरों में 160 रन बनाये, जो अच्छा स्कोर दिख रहा था क्योंकि बाद में पिच धीमा होने की उम्मीद थी। एक बार फिर भारत की शुरुआत खराब हुई और 8 ओवरों में टीम का स्कोर 49/3 हो गया और उस समय कोहली 13 रन बनाकर पिच पर जमे थे। टीम की हालत और ज्यादा खराब हो गयी जब युवराज दूसरी ही गेंद खेलने में चोटिल हो गये और ना ही रन दौड़ पा रहे थे और ना ही उनसे चौके-छक्के लग रहे थे। दूसरे छोड़ पर कोहली थोड़ी बहुत जोखिम भरे शॉट खेलकर जरूरी रन रेट को बढ़ने नहीं दे रहे थे। जब युवराज 14वें ओवर की आखिरी गेंद पर आउट हुए उस समय भारत को जीत के लिए 6 ओवरों में 66 रन बनाने थे और कोहली 30 गेंदों में 35 रन बनाकर खेल रहे थे। लेकिन अंतिम 6 ओवरों में कोहली ने जादुई पारी खेलते हुए 51 गेंदों में 82 रन बनाये, जिसमें उन्होंने अंतिम 47 रन 20 गेंदों में बना डाले। इस पारी में कोहली का स्ट्राइक रेट 161 था और उन्होंने 9 चौके और 2 छक्के लगाये। इस पारी को कोहली कि सर्वश्रेष्ठ टी20 पारी माना जा सकता है क्योंकि उन्होंने अपनी इस पारी से अकेले दम पर टीम को सेमीफाइनल तक पहुंचा दिया। लेखक- साहिल जैन अनुवादक- ऋषिकेश सिंह