वेस्टइंडीज के खिलाफ पहला दोहरा शतक बनाने के बाद कोहली का फॉर्म थोड़ा नीचे गया और वो लगातार 7 पारियों में 50 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाये। न्यूज़ीलैंड के खिलाफ इंदौर में होने वाले तीसरे टेस्ट मैच से पहले कोहली ने फॉर्म में आने की झलक दिखा दी थी। दूसरे टेस्ट मैच में कोहली ने 45 और 72 रनों की पारी खेली थी। 45 रनों की उस पारी ने कोहली के आत्मविश्वास को काफी बढ़ाया होगा क्योंकि एक समय भारत का स्कोर 43/4 था। तीसरे टेस्ट में जब कोहली बल्लेबाजी करने उतरे तो भारत का स्कोर 60/2 था। शुरूआती दबाव से निकलने के बाद कोहली ने मनचाहा शॉट खेलना शुरू कर दिया। खराब फॉर्म से उभरते हुए कोहली ने अपनी दूसरी दोहरा शतकीय पारी खेल दी और टेस्ट मैचों में कप्तान के रूप में 2 दोहरा शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज बन गये। अपनी इस पारी की मदद से उन्होंने पहली पारी में भारत के स्कोर को 557 तक पहुँचने में काफी मदद की। इस पारी में कोहली ने सिर्फ बेबाक शॉट ही नहीं खेले बल्कि रहाणे के साथ जिम्मेदारी भारी साझेदारी भी निभाई। पारी में कई बार रहाणे छोटी गेंदों पर लचर दिख रहे थे उस दौरान कोहली ने रन बनाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली और इसलिए यह घरेलू सरजमीं पर उनकी सर्वश्रेष्ठ पारियों में एक है।