सफलता ऐसी चीज है जो किसी भी व्यक्ति को अंधा कर सकती है। विराट कोहली अभी उसी सफलता की दौर से गुजर रहे हैं लेकिन वह इस सफलता को प्रेरणा स्वरूप लेकर और बेहतर करने की कोशिश करते हैं। सेंचुरियन टेस्ट की पहली पारी में कोहली ने मुश्किल परिस्थिति में बल्लेबाजी करके यह साबित कर दिया कि बाउंस हो या स्विंग वो आसानी से रन बना सकते हैं। केपटाउन टेस्ट टेस्ट की दोनों पारियों में असफल रहे और भारतीय टीम को मैच गंवाना पड़ा और कोहली की तरफ उंगलिया उठने लगी। इसलिए दूसरे टेस्ट में भारतीय कप्तान ने बल्ले से जवाब देना सही समझा। टॉस हारने के बाद ही कोहली नाखुश दिखे थे क्योंकि वह यहाँ पहले बल्लेबाजी ही करना चाहते थे। पहली पारी में अफ्रीका की शुरुआत अच्छी रही लेकिन पिच स्पिन को मदद कर रही थी और अश्विन के 4 विकेटों की बदौलत भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका को 335 पर रोकने से सफल रही। भारत की पहली पारी के शुरुआत में राहुल और विजय काफी अच्छे दिख रहे थे लेकिन 28 पर पहले राहुल आउट हुए और फिर पहले ही गेंद पर पुजारा रन आउट हो गये। भारत का स्कोर 28/0 से 28/2 हो गया और फिर से पहले टेस्ट की यादें ताजा होने लगी। चौथे क्रम पर बल्लेबाजी करने पिच पर पहुंचे भारतीय कप्तान विराट कोहली। पहली ही गेंद को सीधे बल्ले से कवर में खेलकर दिखा दिया की वह आज आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं। दक्षिण अफ्रीका तेज गेंदबाज लगातार चौथी और पांचवी स्टंप्स के आसपास गेंदबाजी कर रहे थे और कोहली या तो गेंद को छोड़ रहे थे या मजबूती से रोक रहे थे। इससे परेशान होकर गेंदबाजों ने विकेट पर गेंद डालने की कोशिश की और कोहली मिड विकेट कर फ्लिक करने से नहीं चुके। दिन के समाप्ति तक कोहली 65।38 की स्ट्राइक रेट से 85 रन बना चुके थे और उनके साथ पिच पर मौजूद थे हार्दिक पांड्या। कोहली भले ही पिच कर ठीके थे लेकिन दूसरे छोर से 3 और विकेट गिर चुके थे। उन दिन कोहली ने 130 गेंदें खेली लेकिन किसी भी गेंद पर ऐसा नहीं लगा कि उन्हें बल्लेबाजी करने में कोई परेशानी हो रही है। दिन के समाप्ति के बाद इशांत शर्मा ने कहा “जिस तरह से विराट ने खेला है वह बिल्कुल अलग तरीके का है”। तीसरे दिन की सुबह कोहली ने अपना शतक पूरा कर लिया और दिखा दिया कि वह किसी भी पिच किसी भी परिस्थिति में शतक जड़ सकते हैं। लेकिन उनके शतक पूरा होने के तुरंत बाद हार्दिक पांड्या गैरजिम्मेदाराना तरीके से रन आउट हो गये और दक्षिण अफ्रीका पहली पारी में बड़ी बढ़त की तरफ देखने लगा। उसके बाद बल्लेबाजी करने आये अश्विन ने कई आकर्षक शोर्ट खेले और रन गति को तेजी दी। उनके भी पता था कि रोक कर खेलने में कभी भी विकेट गिर सकता है इसलिए वह लगातार रन बनाने की ओर देख रहे थे। अब कोहली ने भी अपना गियर बदल लिया और हर गेंद पर रन बनाने को देखने लगे। दक्षिण अफ्रीका की टीम बड़ी बढ़त को अब लगभग भूल ही चुकी थी। लेकिन, जैसे ही दक्षिण अफ्रीका ने नया गेंद लिया अश्विन चले बने। उसके तुरंत बाद शमी भी ज्यादा देर नहीं ठीक पाये। इशांत शर्मा कुछ देर पिच पर टिके और इसी बीच कोहली ने अपना 150 रन पूरा कर लिया। लेकिन दक्षिण अफ्रीका की तेज गेंदबाजी के सामने इशांत कहाँ ज्यादा देर टिकने वाले थे। मोर्केल की गेंद पर वह भी चले बने। पिच पर अंतिम खिलाड़ी के रूप में कोहली के साथ बुमराह थे और तेजी से खेलने के चक्कर में कोहली ने गेंद डीप मिड विकेट पर सीधे डिविलियर्स के हाथों में मार दिया। कोहली पवेलियन लौट रहे थे और दक्षिण अफ़्रीकी खिलाड़ी उनकी इस पारी के लिए उन्हें शाबासी दे रहे थे। उनकी यह पारी सीरीज की पहली शतकीय पारी थी। दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज घरेलू पिच होने के बावजूद अभी तक शतक नहीं लगा पाये हैं और भारतीय कप्तान ने 153 रनों की पारी खेल दी। विराट कोहली लगातार असफलताओं से सीख लेकर अपने आप को और बेहतर बना रहे हैं और धीरे-धीरे महानता के उस स्तर पर पहुँच रहे हैं जहाँ अभी तक चन्द खिलाड़ी ही पहुँच पाये हैं।