दिसंबर 19, 2006 फिरोजशाह कोटला स्टेडियम, नई दिल्ली फिरोजशाह कोटला में रणजी ट्रॉफी मुकाबले के तीसरे दिन कर्नाटक के खिलाफ मेजबान दिल्ली 105 रन पर अपने 3 विकेट गंवा चुकी थी और उसे फोलोऑन रोकने के लिए 192 रन की जरूरत थी । अब दिल्ली की सारी उम्मीदें 18 साल के युवा बल्लेबाज विराट कोहली पर आकर टिक गई, जो उस दिन 40 रन पर नाबाद थे । अगले दिन कोहली की बल्लेबाजी करने की उम्मीद ना के बराबर थी क्योंकि उसी सुबह विराट कोहली के पिता की मौत हो गई थी और विराट को घर के लिए निकलना था। अगले दिन कोहली सभी को चौंकाते हुए मैदान पर उतरे, विराट ने अपने कल स्कोर 40 रन के आगे खेलते हुए उसमें 50 रन और जोड़े । विराट ने आउट होने से पहले 90 रन बनाए, और अपनी टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया । दिल्ली ने 308 रन बनाए, जिसके बाद कर्नाटक को जीत तक पहुंचने के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाया और मैच ड्रॉ हुआ । अपने पिता को खो देने के बाद भी उस दिन युवा विराट के चेहरे पर खेल के प्रति जो दृढ़ता और लगन थी उसी ने उन्हें आज इस मुकाम पर पहुंचाया है, जहां आज वो खड़े हैं। इसके बाद विराट अगले 10 साल में जिस बुलंदी पर पहुंचे उसके पीछे सबसे बड़ा रोल दृढ़ता और लगन इन्हीं दो शब्दों का है । आज के समय में विराट ऐसे एकलौते बल्लेबाज हैं जिनका औसत क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट्स में 50 से ऊपर का है । हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ विराट कोहली ने एक बार फिर अपने टैलेंट का नूमना पेश किया जब वानखेड़े में विराट ने 235 रन की शानदार पारी खेली और विराट के बल्ले से ये पारी उस समय निकली जब टीम को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी । कप्तान के इस दमदार पारी की बदौलत इंग्लैंड के पहली पारी में 400 रन बनाने के बाद भी भारतीय टीम ने उस पर शानदार जीत दर्ज की । ये 89 टेस्ट पारियों में कोहली का 15 टेस्ट शतक था । अगर भारतीय बल्लेबाजों की बात करें तो सुनील गावस्कर ने 15 टेस्ट शतक बनाने के लिए 77 पारियां खेलीं । जबकि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भी 15 टेस्ट शतक बनाने के लिए 89 पारियां ही खेली थी । वनडे क्रिकेट में तो विराट का रिकॉर्ड और भी अच्छा है । वनडे क्रिकेट में विराट ने 176 मैचों में 26 शतक जड़े हैं जिसे देखकर ये कहा जा सकता है कि विराट ही ऐसे बल्लेबाज हैं जो आने वाले समय में सचिन तेंदुलकर के 463 मैचों में 49 वनडे शतकों का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं । शुरूआती दिनों में विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ दाम्बुला में 2008 में अपना डेब्यू किया था । अपने पहले ही मैच में विराट कुलसेखरा की गेंद पर 12 रन बनाकर एल्बीडब्लयू आउट हो गए । जिस तरह उनका डेब्यू मैच लोगों का ध्यान उनकी तरफ नहीं खींच पाया ठीक वैसे ही उनका अतंर्राष्ट्रीय क्रिकेट का पहला साल भी कुछ खास नहीं रहा । विराट ने अपना वनडे शतक 2009 में श्रीलंका के खिलाफ लगाया । जिसके बाद श्रीलंका के खिलाफ विराट ने कई यादगार पारियां खेली । 2008 से 2011 तक कोहली ने सचिन तेंदुलर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे दिग्गजों के साथ खेला । कोहली ने रन भी स्कोर किए लेकिन ऐसी कोई बड़ी पारी नहीं खेली, जिसे याद किया जाए । कोहली 2011 की वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के अहम सदस्य भी रहे और उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मुकाबले में लक्ष्य का पीछा करते हुए 35 रन की अहम पारी भी खेली, लेकिन उस मुकाबले को महेन्द्र सिंह धोनी की 79 गेंदों में नाबाद 91 रनों की पारी के लिए ज्यादा याद किया जाता है । ऐतिहासिक दौरा कोहली के करियर का टर्निंग प्वाइंट 2011-12 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर आया, जहां पर टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में क्लीव स्वीप झेलना पड़ा लेकिन एडिलेड में खेले गए आखिरी टेस्ट में कोहली ने शतकीय पारी खेली, इससे पहले पर्थ में हुए तीसरे टेस्ट में कोहली ने 44 और 75 रन की पारियां खेली थी इन पारियों की बदौलत ही कोहली का कद ना सिर्फ भारतीय टीम विराट हुआ बल्कि ऑस्ट्रेलिया खिलाड़ियों की नजरों में कोहली ने अपनी एक अलग जगह बना ली थी। कोहली का ऐतिसहासिक होबार्ट में एक ट्राई सीरीज के दौरान आया । श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 320 रन बनाए । भारत ने उस मैच में 40 ओवर में ही 321 रन का लक्ष्य हासिल कर लिया साथ फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से लोहा लेने के लिए अपना स्थान पर सुरक्षित कर लिया । पिछले कुछ मैचों में बल्लेबाजों के खराब प्रदर्शन के बाद 50 ओवर में चेज करना नामुमकिन लग रहा था । सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग भी कुछ खास योगदान नहीं दे पाए । लेकिन विराट कोहली तो जैसे किसी दूसरे ही ग्रह से आए हैं उन्होंने 8 प्रति ओवर के हिसाब से बल्लेबाजी की । कोहली ने लंकाई गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते हुए 86 गेंदों में 133 रन जड़े । यहां तक की श्रीलंका की यॉर्कर मशीन लसिथ मलिंगा ने 7.4 ओवर में 1 विकेट के झटक कर 96 रन दिए । 2016 विराट कोहली के लिए शानदार रहा पिछले 3 साल से विराट ने शानदार प्रदर्शन करते हुए खेल के तीनों फॉर्मेट्स में अपना जलवा बरकरार रखा । टेस्ट क्रिकेट में विराट कोहली ने ना सिर्फ भारतीय पिचों पर जमकर रन बटोरे हैं बल्कि विदेशों में कोहली के बल्ले का जवाब नहीं । खासकर वनडे क्रिकेट में तो वो जबरदस्त फॉर्म में चल रहे हैं । साथ ही आईपीएल और दूसरे इंटरनेशनल टी 20 मैचों में भी कोहली का प्रदर्शन अच्छा रहा है । खासकर 2016 तो कोहली के लिए शनादर साबित हुआ । कोहली ने साल की शुरूआत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 वनडे मैचों की सीरीज में 2 जबरदस्त शतकों के साथ की । 2016 में मार्च-अप्रैल में भारत में ही खेले गए वर्ल्ड टी 20 में भी कोहली को प्लेयर ऑफ द मैच के अवॉर्ड से नवाजा गया । आईपीएल के नौवें सीजन में कोहली की कप्तानी में रॉयल चैलेंजर बैंगलोर ने फाइनल तक का सफर तय किया । कोहली ने आईपीएल के 9वें सीजन में 16 टी 20 मैचों में 81.08 की औसत से 973 रन बनाए थे । टेस्ट क्रिकेट में तो जैसे कप्तानी के दबाव में कोहली के प्रदर्शन में और ज्यादा निखार आया । 2016 में खेले गए 11 टेस्ट मैचों में कोहली ने 80 की औसत से 1200 रन बनाए । बतौर बल्लेबाज तो कोहली का प्रदर्शन अच्छा रहा ही, कप्तानी के मोर्चे पर भी वो सुपरहिट रहे, इस साल विराट की कप्तानी में भारत ने लगातार 3 टेस्ट सीरीज जीती । भारत ने टेस्ट में वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड की टीमों को मात दी । क्रिकेट जगत में इतनी सारी उपल्बधियां हासिल करने वाले कोहली अभी सिर्फ 28 साल के हैं और अभी उनमें कम से कम 7 साल का इंटरनेशनल क्रिकेट बाकी है । और अगर आने वाले लंबे समय तक कोहली का ऐसा ही विराट प्रदर्शन जारी रहा तो इंटरनेशनल लेवल पर बतौर बल्लेबाज कोहली रिकॉर्ड्स की नई इबारत लिख डालेंगे ।