आंकड़े झूठे नहीं होते- लेकिन ये ज्यादा मैटर करता है कि आपने किया क्या है मित्र-भेद, दोस्तों का अलग होना जंगल के राजा पिन्गालाका शेर और संज्वाका सांड दोनों में दोस्ती है। कराताका और दमनका दो डरावने और लड़ाकू सियार हैं। कराताका, दमनका को शेर और सांड की दोस्ती में दरार डालने की सलाह देता है। इसके पीछे सिर्फ इर्ष्या होती है। “विराट की सफलता आपको हैरान नहीं करती है। लेकिन जब वह असफल होते हैं वह हमें हैरत में डाल देता है।” -संजय मांजरेकर मैं उस तरह का व्यक्ति नहीं हूं जो आंकड़ों पर भरोसा रखता है। हम सभी को पता है कि हर लड़ाई सिर्फ ताकतवर पंच से जीती है। सभी क्लब और अंतर्राष्ट्रीय टीमों के फैन इन्हीं सब बातों में अलग-अलग राय बनाते हैं। जो हमें सोशल मीडिया और कई अन्य प्लेटफार्म पर देखने को मिल जाया करती है। बहरहाल मेरा मानना है कि तथ्य का काम सिर्फ चीजों को समझाने के लिए होता है। या फिर किसी को इसके बदौलत बदनाम किया जा सकत है। वास्तव में क्रिकेट के इतिहास में कोई भी ऐसा नहीं है, जो कभी हारा नहीं हो। अपवाद के तौर फ्लोयड मेवेदर नहीं हारे हैं लेकिन मैं यहां माफ़ी चाहता हूं। मैं उनसे इसलिए सहमत नहीं हूं वहां जज हर अंक को गिनता रहता है। आंकड़े तब बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाते हैं, जब कोई पुरुष या महिला उच्च स्तर पर एक निश्चित समय तक निरंतर बेहतरीन प्रदर्शन करता है। उसें बोल्ट 100 मी, 200 मी, 400 मी में ओलम्पिक में गोल्ड हासिल कर चुके हैं। तो वहीं लौरेस आईएएएफ चैंपियनशिप के चैंपियन लगातार तीन साल तक बने रहे थे। इन लोगों की कोई भी खेल में इस तरह से प्रभावशाली नहीं रहा। बोल्ट इस मायने में पहले स्थान पर हैं। विराट कोहली- इस समय वह टी-20 में शीर्ष रैंक वाले बल्लेबाज़ हैं। उनका टी-20 में औसत 58.6 का है। वहीं उनके बाद फिंच 38.9 और डुमिनी 38.4 काफी पीछे हैं। ये आंकड़े विराट को नोवाक जोकोविच के करीब खड़ा करते हैं। जिनका एटीपी अंक 15,550 हैं। मरे 7,925 और फेडरर 7,535 उनसे काफी पीछे हैं। विराट कोहली भारत के लिए वनडे में सबसे अच्छे औसत 51.5 वाले रन मशीन रहे हैं। उनके बाद धोनी(50.8), सचिन(44.8) आते हैं। वह वनडे में नम्बर हाईस्कोरिंग मैच को चेज करने वाले बल्लेबाज़ हैं। उन्होंने हर 6.3 लक्ष्य का पीछा करने वाले मैचों में शतक बनाया है। वह ट्रेस्कोथिक(9.3) और दिलशान(9.89) से पीछे हैं। आइये आगे बढ़ते हैं, बढ़े? कभी हार न मानने वाला- आंख के बदले आंख क्कोल्यम, कौवा और उल्लू की तरह कौवा और उल्लू एक दूसरे के पारम्परिक दुश्मन हैं। कौवा का ग्रुप उल्लू को उजाड़ देना चाहता है और उल्लू उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं करने देता है। ये दोनों एक दूसरे के सीक्रेट को बखूबी जानते हैं। कौवे अक्सर उल्लू के अधिकार क्षेत्र में घुस जाते हैं और उनके घोसले को उजाड़ देता हैं। जिससे उनकी मौत हो जाती है। “ आप गंभीर नहीं हो सकते हैं , बिलकुल नहीं हो सकते! गेंद अगर लाइन पर है तो उसे उड़ा दो! ये पूरी तरह से अंदर थी! आप लोगों ने ये शब्द जरूर सुने होंगे।” जॉन मैकेनरो जब ये रोल अदा करते थे, तो उनकी बांह, दिमाग, जीभ प्राय: सही और गलत को बयां कर देते थे। आप ऐसे खेल पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन आप जीतने के लिए तेज खेलते हैं। तो इसमें कोई बुरे नहीं है। अगर आपको दुनिया को दिखाना है कि आप हर उस मौके में गर्मजोशी ला सकते हैं। तो आपको एक निडर योद्धा की तरह खेलना होगा। हमने धोनी का शांत स्वभाव, द्रविड़ ठोस दीवार की तरह तीव्रता और स्टीव को बतौर कप्तान जनस समझा और देखा है। साथ ही अजहर को भी देखा है जिनके अंडर में खिलाड़ी काफी खुले से महसूस करते थे। लेकिन इन सबों में दर्शकों के नजरिये एक कमी रही थी। जो विराट ने बिलकुल ही नहीं छोड़ा है। वह मैदान पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तरह जवाबी हमले के लिए तैयार रहते हैं। विराट स्कोर का पीछा करने में काफी माहिर खिलाड़ी हैं। वह एक शिकारी की तरह सांड के सींग पर नियंत्रण रखना जानते हैं। उनका हर शतक और छक्का पहले से अच्छा होता है। जहाँ हर कोई उनकी क्षमता पर काफी यकीन करता है। विराट की तरह ही हमने नोवाक की आँखों में गेंद का पीछा करने की भूख देखी है। “कोहली में वह सबकुछ है। वह द्रविड़ जैसी तीव्रता, सहवाग जैसा साहस और तेंदुलकर जैसे शॉट की विविधता रखते हैं। ये उन्हें अच्छा नहीं बनाते हैं बल्कि उन्हें सबसे अलग लाकर खड़ा करते हैं।” -न्यूज़ीलैंड के भूतपूर्व कप्तान मार्टिन क्रो जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है कोहली वैसे-2 कोहली निरंतर परिपक्व आक्रामक खिलाड़ी होते जा रहे हैं। उनके दिमाग में क्या चल रहा है ये उनकी आंखे बताती हैं। ऐसी निष्ठुरता किसी दुसरे खिलाड़ी में देखने को नहीं मिल रही है। उनकी चमक इतनी तेज है जो विपक्षी खिलाड़ियों की नजरों में देखते ही बनती है। विराट क्रिकेट के नोवाक हैं। वह अपने खाने पीने और वर्कआउट पर भी काफी ध्यान देते हैं। वह ऐसी तैयारी करते हैं मानो वह किसी बॉक्सिंग रिंग में सांड से लड़ने जा रहे हों। वह जिस अंदाज में खेलते हैं उसके पीछे उनकी मेहनत का कमाल है। वह परिणाम में अहम किरदार की तरह हैं। वह इंच-इंच के लिए फाइट करते हैं और अंत फिनिश लाइन को पार करते हैं। जे ने सैस क़ोई – मार्केटेबल ड्रीम लाब्धाप्राम, लास ऑफ़ गेन ये कहानी एक बन्दर और मगरमछ की है। जब मगरमच्छ अपनी पत्नी को बचाने के लिए बन्दर के दिल को लेना चाहता है। लेकिन जब ये बात बन्दर को पता चल जाती है, तो वह एक गंभीर संकट से बच जाता है। आज के युग बहुत से ऐसे खिलाड़ी हैं जो मेहनत नहीं करना चाहते हैं वह सिर्फ स्पोर्ट्स के कपड़े पहनना पसंद करते हैं जिसमें लोगो और अन्य कम्पनियों के बिज़नेस को प्रोमोट करने के बारे में सोचते हैं। लेकिन फिर भी कुछ ऐसे युवा खेल से जुड़ते हैं जो वास्तव में आने वाले दिनों में अच्छा करेंगे। ड्रग्स, मैच फिक्सिंग और शराब के सेवन ने बहुत से खिलाड़ियों का करियर चौपट कर दिया है। ये जरूरी नहीं चैंपियन खिलाड़ी कैमरे के सामने आकर खुद का प्रचार करे। बहुत से खिलाड़ी तो जन्मजात शर्मीले होते हैं। साल 2015 में डेविड बेखम को सबसे सेक्सी मर्द चुना गया था। क्रिस्टियानो रोनाल्डो को उनकी सेक्सी आँखों के लिए जाना जाता है। बहुत से सेलेब्रिटीज की जिन्दगी लार्जर दैन लाइफ होती है। कुछ ऐसे होते हैं जो जीवन के हरपल को एन्जॉय करते हैं। इसके लिए जे ने सैस कोई की जरूरत होती है.... विराट कोहली को मैदान पर कैमरे का आकर्षण तो मिलता ही है, इसके आलावा वह सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव रहते हैं। वह भारतीय मार्किट के सुपरस्टार हैं, जो अब सचिन और धोनी को भी पीछे छोड़ गये हैं। वह दुनिया भर के सभी खिलाड़ियों की इस लिस्ट में शामिल हैं। करोड़ों के विज्ञापन एमआरएफ, एडिडास, बूस्ट और पेप्सी सचिन से अब सीधे विराट कोहली की झोली में आ गिरे हैं। साथ ही वह एफसी गोवा और यूएई रॉयल्स के क्लोथिंग ब्रांड के मालिक हैं। उनके गेराज में ऑडी, लाम्बोर्गिनी गल्लार्डो और रेंज रोवर जैसी गाड़ियाँ हैं। कोहली की इस समय लहर चल रही है। हम यही आशा करते हैं कि इस खिलाड़ी के लिए कठिन समय में आराम से बीते। आने वाली ठंडक इस चैंपियन खिलाड़ी की असल परीक्षा होगी। खेलने की इच्छा: घर और मंदिर सब एक जैसा एपार्किटाक्रका, फुर्तीला ब्राह्मण अपने बेटे को नए नेवले के पास छोड़ देता है। लेकिन जब वह वापस आता है, तो वह नेवले के मुंह पर खून लगा देखता है। ऐसे जैसे उसके बच्चे को नेवले ने मारा हो। इस वजह से ब्राह्मण उस नेवले को मार देता है। जबकि उसका बच्चा जिंदा होता है। जिसे बचाने के लिए नेवला सांप को मारता है। इस वजह से ब्राह्मण को काफी ग्लानि होती है। ये कहानी हमे सिखाती है कि हमे अपने प्रदर्शन से निराश नहीं होना चाहिए बल्कि हमें उसमें सुधार करना चाहिए। जब आप पब्लिक लाइफ जीते हैं तो न चाहते हुए भी आपकी व्यक्तिगत लाइफ पब्लिक हो जाती है। “इधर मेरा खेल के प्रति जो अप्रोच है और मेरे खेल में बदलाव आया है। वह सिर्फ मेरे दिमाग आई एक बात से है। मेरा सपना था कि मैं डैड के लिए देश से खेले।”- कोहली के पिता की मौत जिस दिन हुई थी उन्हें उसी दिन दिल्ली के लिए मैच खेलने जाना था। ये कहानी सचिन से मिलती है जब उनके पिता की मौत 1999 के विश्वकप के दौरान हुई थी और उसके अगले मैच में उन्होंने शतक ठोंक दिया था। वह इस लिहाज से और खास हैं क्योंकि जब वह बल्लेबाज़ी के लिए मैदान पर जाते हैं, तो उनके उनसे करोड़ो फैन्स की उम्मीदें जुड़ी होती हैं। पूरी टीम संघर्ष कर रही होती है लेकिन वह कमजोर नजर नहीं आते हैं। वह दबाव को एक किनारे करके अपना प्राकृतिक खेल खेलने में लग जाते हैं। ऐसे में प्राय: मैच आपके भरोसे अलग ही परिणाम देता है। उम्मीदों पर जीने वाले इस क्रिकेट प्रेमी देश में लोग हिंसात्मक भी हो जाया करते हैं। उदहारण के तौर पर अनुष्का शर्मा को भारत के विश्वविजेता न बन पाने का कारण बता दिया गया था। मैदान पर खेलते हुए ये खिलाड़ी दुनिया को कुछ पल के लिए भूल जाते हैं और मैदान को ही अपना घर मान लेते हैं। हजारों घंटे के संघर्ष के बाद ये खिलाड़ी इस रैंक तक पहुँचते हैं। जहाँ यही उनका परिवार बन जाता है। ये ऐसा क्षेत्र है जहाँ दिमाग खुद भरोसा कर बैठता है। ऐसे में खिलाड़ी अपनी पर्सनल लाइफ खो देता है। विनम्रता ही संतोष है मित्र-सम्प्रप्ती, दोस्तों से सीखना जाल में जब कबूतर फंस जाते हैं तो कबूतरों का दोस्त कौवा चूहे की आपत्ति के बावजूद उससे दोस्ती करता है। कहानी ये दर्शाती है कि अपने दोस्तों हिरन के छोटे बच्चे और कछुओं को बचाने के लिए वह सभी एक साथ मिलकर काम करते हैं। जो जाल में फंसे हैं। ये खिलाड़ियों के लिए काफी कठिन होता है कि वह मैदान पर अपने विपक्षियों पर सफलतापूर्वक जीत हासिल करते हुए उनका सम्मान मैदान के बाहर भी हासिल करे। खिलाड़ियों से लोगों को उम्मीदें होती हैं कि वह खेल से समय मिलने के बाद लोगों से मिले भी खासकर उन लोगों से जो किसी बीमारी से ज़िन्दगी और मौत से जूझ रहे होते हैं। साथ ही वह तस्वीर भी सबके साथ क्लिक करवाए। इसके साथ ही वह अपने दोस्तों और माता-पिता को गर्व करने का मौका दे। “मेरा क्रिकेट के प्रति नजरिया बहुत ही साधारण है। हम टीम को अपना शत प्रतिशत देने की कोशिश करते हैं। हम इस खेल को देश की आन के लिए खेल की भावना से खेलते हैं। मुझे आशा है कि मैं इसमें सफल और कई बार असफल भी रहा हूँ। लेकिन मैंने कभी भी हिम्मत नहीं हारी। इसे छोड़ना दुखद है लेकिन सम्मान भी है।”- राहुल द्रविड़ द्रविड़ जिस तरह बोले हैं उसमें उनका चरित्र पूरी तरह से नजर आता है। ये मजाक था लेकिन एक आदमी कभी भी प्रकृति को नहीं खो सकता है। ये विचार द्रविड़ के भारत के लिए टेस्ट में खेले स्ट्रोक की तरह हैं, उनकी बातों में सच्चाई और जमीनी हकीकत थी। उन्होंने 15 साल तक भारतीय क्रिकेट की सेवा की। द्रविड़ ने ये स्पीच ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के सामने ब्रेडमैन ओरेशन में दिया था। “मैं कैसे शुरू करूं। मैं अपने घर से अपनी बाइक से निकलता था। मुझे 10 से 5 मिनट लगते थे। और मैं दिन भर बॉलबॉय बना रहता था। और वापस अपने घर आ जाता था। इसलिए मेरे साथ हमेशा एक परम्परा जुड़ी रही है फाइनल के बाद हमारे सभी साथी पिज़्ज़ा खाते हैं। ऐसा अबतक 11 बार हो चुका है। मैं पूरी कोशिश करता हूँ अब जीत मिले या हार।”-रोजर फेडरर विराट कोहली काफी आक्रामक हैं और उनका रवैया उनसे कुछ न कुछ गलतियाँ करवा देता है। लेकिन अभी तक वह इसमें फंसे नहीं हैं। वह मैदान की बात मैदान पर ही खत्म कर देते हैं। “मुझे पता है इसमें समय लगता है लेकिन मुझे पता है मैं अब पर्याप्त मेच्योर हो गया हूँ। मैं एक बच्चों की संस्था भी शुरू करना चाहूँगा जिसमे खेल और शिक्षा की व्यवस्था होगी। ” उन्होंने कहा, “अगर मैं बच्चों से कुछ सीख पाता हूँ तो ये मेरे लिए बड़ी उपलब्धि होगी।” –विराट कोहली उन्होंने अपना कहा अब पूर कर दिया है वह देर ही सही लेकिन अपने समर्थकों से सम्मान पाने लगे हैं। जो उनके पर्सनालिटी को और अच्छा नजरिया देगा। जिसमें उनके करियर की परछाई सबको नजर आएगी। जिससे उनके खेल में और निखार आयेगा। तब तक के लिए अपनी कुर्सी पर अच्छे से बैठकर आनन्द लें आशा है कि कोहली के जादुई युग की शुरुआत हो गयी है- किंग कोहली यहाँ लम्बे समय के लिए रहेंगे। लेखक: अनिरुद्ध नायक, अनुवादक: मनोज तिवारी