विराट कोहली: लम्बे समय तक बने रहेंगे किंग

विनम्रता ही संतोष है
मित्र-सम्प्रप्ती, दोस्तों से सीखना rahul-dravid-virat-kohli-1463747855-800

जाल में जब कबूतर फंस जाते हैं तो कबूतरों का दोस्त कौवा चूहे की आपत्ति के बावजूद उससे दोस्ती करता है। कहानी ये दर्शाती है कि अपने दोस्तों हिरन के छोटे बच्चे और कछुओं को बचाने के लिए वह सभी एक साथ मिलकर काम करते हैं। जो जाल में फंसे हैं। ये खिलाड़ियों के लिए काफी कठिन होता है कि वह मैदान पर अपने विपक्षियों पर सफलतापूर्वक जीत हासिल करते हुए उनका सम्मान मैदान के बाहर भी हासिल करे। खिलाड़ियों से लोगों को उम्मीदें होती हैं कि वह खेल से समय मिलने के बाद लोगों से मिले भी खासकर उन लोगों से जो किसी बीमारी से ज़िन्दगी और मौत से जूझ रहे होते हैं। साथ ही वह तस्वीर भी सबके साथ क्लिक करवाए। इसके साथ ही वह अपने दोस्तों और माता-पिता को गर्व करने का मौका दे। “मेरा क्रिकेट के प्रति नजरिया बहुत ही साधारण है। हम टीम को अपना शत प्रतिशत देने की कोशिश करते हैं। हम इस खेल को देश की आन के लिए खेल की भावना से खेलते हैं। मुझे आशा है कि मैं इसमें सफल और कई बार असफल भी रहा हूँ। लेकिन मैंने कभी भी हिम्मत नहीं हारी। इसे छोड़ना दुखद है लेकिन सम्मान भी है।”- राहुल द्रविड़ द्रविड़ जिस तरह बोले हैं उसमें उनका चरित्र पूरी तरह से नजर आता है। ये मजाक था लेकिन एक आदमी कभी भी प्रकृति को नहीं खो सकता है। ये विचार द्रविड़ के भारत के लिए टेस्ट में खेले स्ट्रोक की तरह हैं, उनकी बातों में सच्चाई और जमीनी हकीकत थी। उन्होंने 15 साल तक भारतीय क्रिकेट की सेवा की। द्रविड़ ने ये स्पीच ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के सामने ब्रेडमैन ओरेशन में दिया था। “मैं कैसे शुरू करूं। मैं अपने घर से अपनी बाइक से निकलता था। मुझे 10 से 5 मिनट लगते थे। और मैं दिन भर बॉलबॉय बना रहता था। और वापस अपने घर आ जाता था। इसलिए मेरे साथ हमेशा एक परम्परा जुड़ी रही है फाइनल के बाद हमारे सभी साथी पिज़्ज़ा खाते हैं। ऐसा अबतक 11 बार हो चुका है। मैं पूरी कोशिश करता हूँ अब जीत मिले या हार।”-रोजर फेडरर विराट कोहली काफी आक्रामक हैं और उनका रवैया उनसे कुछ न कुछ गलतियाँ करवा देता है। लेकिन अभी तक वह इसमें फंसे नहीं हैं। वह मैदान की बात मैदान पर ही खत्म कर देते हैं। “मुझे पता है इसमें समय लगता है लेकिन मुझे पता है मैं अब पर्याप्त मेच्योर हो गया हूँ। मैं एक बच्चों की संस्था भी शुरू करना चाहूँगा जिसमे खेल और शिक्षा की व्यवस्था होगी। ” उन्होंने कहा, “अगर मैं बच्चों से कुछ सीख पाता हूँ तो ये मेरे लिए बड़ी उपलब्धि होगी।” –विराट कोहली उन्होंने अपना कहा अब पूर कर दिया है वह देर ही सही लेकिन अपने समर्थकों से सम्मान पाने लगे हैं। जो उनके पर्सनालिटी को और अच्छा नजरिया देगा। जिसमें उनके करियर की परछाई सबको नजर आएगी। जिससे उनके खेल में और निखार आयेगा। तब तक के लिए अपनी कुर्सी पर अच्छे से बैठकर आनन्द लें आशा है कि कोहली के जादुई युग की शुरुआत हो गयी है- किंग कोहली यहाँ लम्बे समय के लिए रहेंगे। लेखक: अनिरुद्ध नायक, अनुवादक: मनोज तिवारी

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