जैसा कि हर एक खिलाड़ी मैदान में अपनी चमक दिखाने के लिए तैयार होता है और उसका एक ही सपना होता है, वो होता है दुनिया के आगे अपनी पहचान बनाना। लगातार महान खिलाड़ियों की चमकती हुई तस्वीर उसके आंखों के सामने से गुजरती है और वह इस खेल के महान लोगों के बीच अपना स्थान बनाने के लिए इंतजार कर रहा होता है।
देश के लिए खेलने के साथ ही उसके सपनों के सफर की शुरुआत होती है। पहले ही शतक से वह दुनिया के आगे अपनी काबिलियत को दिखाता है और अपने करियर में ऊंचाई तक पहुंचने के लिए एक छोटे से मील के पत्थर को सेट करता है। हालांकि कई बार लोग इस सफलताओं से खुश होकर अपना ध्यान भटका लेते हैं लेकिन वह लगातार अपनी मेहनत से आगे बढ़ता रहता है भले ही उनके आसपास की दुनिया उनके प्रयासों की सराहना ही क्यूं ना करती रहे।
उच्च शिखर के लिए आगे बढ़ते हुए ये खिलाड़ी धीरे-धीरे सभी को जीतकर अपने खुद के रिकॉर्ड को तोड़ने और बनाते रहना जारी रखता है। विरासत की कसौटी पर खरे उतरते हुए वह खिलाड़ी अपने योगदान के साथ अपना नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज कराता है।
ऐसे ही सफर की दास्ता है उस खिलाड़ी की जो आज भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान है, वह है विराट कोहली। अपनी योग्यता, अटूट मेहनत, काबिलियत और शासन के बल पर आज विराट आधुनिक युग में दुनिया के सबसे बेहतरीन क्रिकेटर हैं। कोहली ने अपने खेल के बदौलत क्रिकेट के भगवान को भी कई मायनों में पीछे छोड़ दिया है। रनों की भूख ने विराट को रन मशीन का तगमा पहना दिया है। आज के समय में विराट के नाम ऐसे कई अविश्वसनीय रिकॉर्ड दर्ज है जिन्हें तोड़ना मुश्किल ही नहीं बल्कि बेहद मुश्किल है।
आईये बात करते हैं कोहली के कुछ ऐसे ही रिकार्ड्स
सफल दोहरे शतक की कहानी
जुलाई 2016 से मार्च 2017 तक भारतीय टीम द्वारा खेले 17 मैचों में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने आगे बढ़कर सामने से लीड करते हुए दोहरे शतकों की झड़ी लगा दी। दिल्ली के इस खिलाड़ी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपनी दोहरे शतक की पारी शुरुआत की और एंटिगुआ में अपना पहला दोहरा शतक लगाया। इस प्रकार वह अपने घर से दूर दोहरा शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी बन गये।
वेस्टइंडीज के खिलाफ बनाये गये दोहरे शतक को अगली सीरीज में न्यूजीलैंड के खिलाफ जारी रखते हुए एक और दोहरा शतक जड़ दिया। इंदौर में न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे शतक के दौरान कप्तान कोहली ने बेहद शानदार 211 रन बनाए। कप्तान कोहली ने अपने प्रदर्शन में वहीं निरंतरता बरकरार रखते हुए इंग्लैंड के खिलाफ भी कोई चूक नहीं की और इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई टेस्ट के दौरान एक और दोहरा शतक जमा डाला। कोहली ने मुंबई टेस्ट में अदभुत 235 रन की पारी खेली।
जब बिरादरी ने सर्वसम्मति से उन्हें वर्तमान युग के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के रूप में करार दिया, तो उन्होंने इस सम्मान को हाथों हाथ लेते हुए इंग्लैंड की श्रृंखला के बाद बांग्लादेश के खिलाफ एकमात्र टेस्ट में 204 रन की पारी खेल कर खुद को मिले सम्मान को सही साबित कर दिया।
4 सीरीज और 4 दोहरे शतक से सर डॉन ब्रैडमैन और राहुल द्रविड़ को पीछे छोड़ दिया जिन्होंने लगातार तीन सीरीज में तीन दोहरे शतक जड़े थे। कोहली एक सत्र में 3 या उससे अधिक डबल शतक लगाने वाले पहले टेस्ट कप्तान बने।
घर में 12 मैचों में बेहतरीन 1252 रन बनाने के बाद कप्तान कोहली एक होम सीजन में सर्वाधिक रन बनाने वाले कप्तान बन गये। इसके पहले ये रिकॉर्ड ग्राहम गूच के नाम था। 28 साल के इस खिलाड़ी ने ग्राहम गूच के 1058 रन के आंकड़े को पीछे छोड़ दिया जो उन्होंने 1990 में बनाया था। हालांकि आज के समय में कोहली जिस प्रकार से खेल रहे हैं वह दिन भी अब दूर नहीं होगा जब भारत की तरफ से सबसे ज्यादा दोहरे शतक लगाने वाले विरेन्द्र सहवाग के 6 दोहरे शतक के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे।
रनों का पीछा करने वाला सबसे बड़ा खिलाड़ी
किसी भी क्रिकेटर की असली ताकत का अंदाजा तभी लगाया जा सकता है जब दबाव और मुश्किल परिस्थितियों में होता है। लक्ष्य का पीछा करते हुए एक खिलाड़ी को अपनी भावनाओं और तंत्रिकाओं को संभालते हुए, बढ़ते हुए रनरेट का पीछा करने की क्षमता और टीम को जीत के अंत तक पहुंचने में तालमेल बैठाना और उन्हें गाइड करते रहना, यह चैपिंयन का गुण होता है और फिर यहां से कोहली बनता है।
कोहली को चेज़ मास्टर के नाम से जाना जाता है। 109 वनडे मैचों में लक्ष्य का पीछा करते हुए कोहली ने सिर्फ 102 पारी में 18 शतक लगाए हैं। कोहली ने सचिन तेंदुलकर द्वारा लक्ष्य का पीछा करते हुए बनाए गए 17 शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।
उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि लक्ष्य का पीछा करते हुए लगाये गये 18 में से 16 शतकों के कारण टीम इंडिया को जीत मिली है। एक बार फिर से इस मामले में भी विराट ने तेंदुलकर को पीछे छोड़ दिया है। सचिन ने लक्ष्य का पीछा करते हुए लगाए गये 15 शतकों से टीम को जीत दिलायी थी।
लक्ष्य का पीछा करते हुए वनडे में कोहली की औसत 66.26 है जोकि कम से कम 17 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके किसी भी बल्लेबाज में सबसे अधिक है। ये सभी आंकड़े एक ऐसे व्यक्ति की ओर इशारा करते हैं जो उनके बेहतरीन कौशल को प्रदर्शन करने में कभी भी दबाव को आगे आने नहीं देता है और विरोधियों की चाल में ना फंसते हुए टीम को जीत की मंजिल तक पहुंचाता है।
टेस्ट कप्तानी से सपने की शुरुआत
2014 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में होने वाले पहले टेस्ट के दौरान कप्तान एमएस धोनी चोट के कारण बाहर हो गये। जिसके बाद कप्तानी की जिम्मेदारी विराट के कंधों पर आ गयी। जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने 517/7 का रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया और ऐसे में टीम इंडिया के ऊपर भार आना लाजमी था, जिसकी जिम्मेदारी युवा कप्तान पर थी।
भारत ने पहली पारी में 444 रन का स्कोर बनाये जिसमें कप्तान कोहली ने 115 रन का योगदान दिया। वहीं दूसरी पारी 290 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया ने घोषित कर दी और भारत को जीत के लिए 363 रन का टारगेट मिला. दूसरी पारी में एक बार फिर से कोहली का धमाल देखने को मिला। कप्तान ने कप्तानी पारी खेलते हुए सबसे ज्यादा 141 रन बनाए लेकिन यह रन भारत को जीत नहीं दिला सके और भारत को 48 रन से हार का सामना करना पड़ा।
धोनी कप्तान के तौर पर दो टेस्ट मैचों के लिए वापस आ गये लेकिन तभी सबको चौंकाते हुए तीसरे टेस्ट में धोनी ने संन्यास ले लिया। जिसके बाद कप्तानी का पदभार कोहली पर आ गया और सिडनी में चौथे टेस्ट के साथ विराट कोहली ने भारत की टेस्च कप्तानी संभाल ली।
सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में बनाए गए 572 रन के जवाब में भारत ने 475 के रन बनाये। जिसमें कप्तान कोहली के चौथी टेस्ट सेंचुरी शामिल रही, विराट ने 147 रन की पारी खेली। ऐसा करने के साथ विराट पहली तीन पारियों में लगातार तीन शतक लगाने वाले इतिहास में पहले ऐसे कप्तान बन गये। कोहली की कप्तानी में अबतक भारत ने 28 मैच खेले हैं जिसमें 18 में भारत को जीत मिली है और सिर्फ 3 में हार मिली हैं और 7 टेस्ट मैच ड्रॉ रहे हैं।
भारतीय रन मशीन लीग
2016 में इंडियम प्रीमियर लीग के दौरान इस खिलाड़ी का तूफान देखने को मिला, जब विराट ने अपने बल्ले से आईपीएल में के 16 मैचों में चार शतकों के बदौलत 973 रन बना दिये। इसी के साथ विराट ने तूफानी बल्लेबाजी क्रिस गेल और माइकल हसी का रिकॉर्ड तोड़ा। गेल ने 2012 आईपीएल में सबसे ज्यादा 733 रन और हसी ने 2013 में यह रिकॉर्ड कायम किया था।
आईपीएल के नौवें संस्करण में कोहली के चार शतकों में दो शतक गुजरात लॉयन्स और एक- एक शतक राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स और किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ आये। पंजाब के खिलाफ लगाया गया शतक बेहद ही मुश्किल भरा और खास था क्योंकि कोहली ने उस मैच में जो शानदार खेल दिखाया वह टूटे हुए अंगूठे के साथ था। इसके अलावा कोहली ने उस ट्वेंटी- ट्वेटी खेल में अविश्वसनीय 50 गेदों में 113 रन जड़ दिये।
आईपीएल में चार शतक लगाने के साथ कोहली ने आईपीएल में क्रिस गेल द्वारा सबसे ज्यादा लगाये गये दो शतकों के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया। कोहली ने माइकल क्लिंजर के तीन शतकों के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया, जो कि उन्होंने 2015 में ग्लॉस्टरशायर के लिए नेटवेस्ट टी-20 में लगाया था, जो अब तक एक टी -20 टूर्नामेंट के किसी भी सीजन में एक खिलाड़ी द्वारा सबसे अधिक शतक में था।
फटाफट क्रिकेट में भी रिकॉर्ड के शिखर पर
कोहली ने ना सिर्फ टेस्ट और 50 ओवर के खेल में अपनी बादशाहद कायम की है बल्कि नये नये रिकॉर्डों को कायम करने का सिलसिला क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट यानि टी-20 में भी जारी है।
2016 का साल विराट के लिए अद्भुत साबित हुआ। 2016 में विराट ने एक कैलेंडर ईयर में सबसे ज्यादा 600 रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने। कोहली ने 13 पारियों में 106.83 की औसत से 641 रन बनाए। जिसमें 7 अर्धशतक और 140.26 का स्ट्राइक रेट शामिल था।
इन सबके अलावा विराट रन मशीन कोहली के बल्ले का जादू टी-20 में भी जारी है। विराट फटाफट क्रिकेट में 1000 रन के आंकड़े में सबसे जल्दी पहुंचने वाले पहले बल्लेबाज हैं। कोहली ने 1000 रन के आंकड़े को पार करने में सिर्फ 27 पारियों का सहारा लिया है और इस तरह से केविन पीटरसन को पीछे छोड़ा। पीटरसन ने 32 पारियों में 1000 रन को छूआ था। साथ कोहली के नाम टी-20 में सबसे ज्यादा 16 अर्धशतकों का भी रिकॉर्ड है इसके पहले सबसे ज्यादा 15 अर्धशतक क्रिस गेल के नाम रहे हैं।
लेखक- सारा वारिस
अनुवादक- सौम्या तिवारी