टेस्ट कप्तानी से सपने की शुरुआत
2014 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में होने वाले पहले टेस्ट के दौरान कप्तान एमएस धोनी चोट के कारण बाहर हो गये। जिसके बाद कप्तानी की जिम्मेदारी विराट के कंधों पर आ गयी। जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने 517/7 का रनों का पहाड़ खड़ा कर दिया और ऐसे में टीम इंडिया के ऊपर भार आना लाजमी था, जिसकी जिम्मेदारी युवा कप्तान पर थी।
भारत ने पहली पारी में 444 रन का स्कोर बनाये जिसमें कप्तान कोहली ने 115 रन का योगदान दिया। वहीं दूसरी पारी 290 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया ने घोषित कर दी और भारत को जीत के लिए 363 रन का टारगेट मिला. दूसरी पारी में एक बार फिर से कोहली का धमाल देखने को मिला। कप्तान ने कप्तानी पारी खेलते हुए सबसे ज्यादा 141 रन बनाए लेकिन यह रन भारत को जीत नहीं दिला सके और भारत को 48 रन से हार का सामना करना पड़ा।
धोनी कप्तान के तौर पर दो टेस्ट मैचों के लिए वापस आ गये लेकिन तभी सबको चौंकाते हुए तीसरे टेस्ट में धोनी ने संन्यास ले लिया। जिसके बाद कप्तानी का पदभार कोहली पर आ गया और सिडनी में चौथे टेस्ट के साथ विराट कोहली ने भारत की टेस्च कप्तानी संभाल ली।
सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में बनाए गए 572 रन के जवाब में भारत ने 475 के रन बनाये। जिसमें कप्तान कोहली के चौथी टेस्ट सेंचुरी शामिल रही, विराट ने 147 रन की पारी खेली। ऐसा करने के साथ विराट पहली तीन पारियों में लगातार तीन शतक लगाने वाले इतिहास में पहले ऐसे कप्तान बन गये। कोहली की कप्तानी में अबतक भारत ने 28 मैच खेले हैं जिसमें 18 में भारत को जीत मिली है और सिर्फ 3 में हार मिली हैं और 7 टेस्ट मैच ड्रॉ रहे हैं।