विराट कोहली आज भले ही दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाज हों और भारतीय क्रिकेट टीम की कमान संभाल रहे हों लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब वो हज़ारों युवा हिंदुस्तानी खिलाड़ियों की तरह भारतीय क्रिकेट टीम में आने का सपना संजो रहे थे। वो महज़ दिल्ली की घरेलू टीम में खेलने वाले प्रथम श्रेणी बल्लेबाज थे। 2008 ही वो साल था जब उन्होने अंडर 19 क्रिकेट विश्व कप में भारत का नेतृत्व किया था। इस टूर्नामेंट ने उन्हें अगली पंक्ति के युवा खिलाड़ियों में शामिल कर दिया और उनके क्रिकेट करियर की दिशा और दशा बदल दी। उनके साथ और विरुद्ध जो खिलाड़ी खेले वो आज ज्यादातर अपनी-अपनी क्रिकेट टीमों का हिस्सा हैं । भारतीय अंडर-19 टीम न्यूजीलैंड में होने वाले अंडर-19 विश्व कप में हिस्सा लेने वाली है। ऐसे में कोहली ने अपने अंडर-19 के दिनों को याद किया और युवा खिलाड़ियों को सीख भी दी। उन्होंने कहा कि अंडर-19 वर्ल्ड कप उनके लिए मील का पत्थर साबित हुआ। ये खुद की प्रतिभा को परखने और दुनिया के सामने लाने का एक बेहतरीन माध्यम है। युवाओं को संदेश देते हुए उन्होनें कहा कि वे इस मौके का फायदा उठाएं और इसका सम्मान करें। गौरतलब है साल 2008 में मलेशिया में हुए अंडर-19 विश्व कप में भारतीय टीम ने विराट कोहली की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका को हराकर खिताब पर कब्जा किया था। उस दौरान कोहली ने न्यूजीलैंड टीम की तरफ से खेल रहे ट्रेंट बोल्ट, टिम साउदी के साथ-साथ वर्तमान न्यूजीलैंड टीम के कप्तान केन विलियमसन के खिलाफ भी मैच खेला था। भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नही खेली थी, इसलिए कोहली को स्टीव स्मिथ और जोश हेजलवुड के खिलाफ खेलने का मौका नहीं मिला था। इसे भी पढ़ें: विराट कोहली बने देश के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले खिलाड़ी कोहली ने याद करते हुए बताया कि केन विलियमसन अपनी टीम में एक अलग स्थान रखते थे। वो हमेशा विषम परिस्थितियों में उभरकर आने वाले खिलाड़ी थे। चूंकि उन्हें स्मिथ के विरुद्ध खेलने का मौका नहीं मिला ,इसलिए वो उनके बैटिंग स्टाइल से रूबरू नहीं हो पाए। 2008 अंडर-19 विश्व कप टूर्नामेंट से निकले हुए काफ़ी खिलाड़ी आज राष्ट्रीय टीमों का हिस्सा हैं। गौरतलब है 2018 का अंडर-19 विश्व कप 13 जनवरी से न्यूजीलैंड में शुरु हो रहा है और पृथ्वी शॉ की कप्तानी में भारतीय टीम ने भी कमर कस ली है।