भारतीय कप्तान विराट कोहली अभी बल्लेबाज और कप्तान दोनों ही भूमिकाओं में मैदान पर खूब रंग जमा रहे हैं। उनके अनुसार वे अभी हर दिन कुछ नया सीखकर अनुभव प्राप्त कर रहे हैं। 28 वर्षीय कोहली ने कहा कि यह घरेलू सत्र उनके लिए सीखने की दृष्टि से अच्छा रहा और विभिन्न सीरीज में वे कुछ नया सीखे। ऑस्ट्रेलिया सीरीज को मध्येनजर रखते हुए उनके लिए एक मुख्य सकारात्मक बात खुद को शांत रखना है। रविवार को कोहली ने कहा “कभी-कभी मैं फील्ड में खड़ा होकर सोचता हूं कि विकेट नहीं गिर रहे हैं, उस समय आप कप्तान के रूप में कुछ नहीं कर सकते। जो चल रहा होता है, उसे आपको स्वीकार करना होता है। शायद आपको फील्ड और गेंदबाजी पर लगातार ध्यान देना होता है। पहले मैं फील्ड को लेकर अधिक नहीं सोचता था लेकिन अब मैं रन बनाने वाली जोड़ियों को आउट करने के लिए फील्ड को अंदर रखता हूं। 4 या 5 बाउंड्री लग जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता।" भारतीय कप्तान ने बड़े खरे शब्दों में कहा कि कप्तान का काम सिर्फ फील्डिंग सेट करना ही नहीं होता है बल्कि टीम को ऊर्जावान बनाए रखने के साथ ही उनका ध्यान मैच पर रखने का भी होता है। खासकर जब चीजें योजनबद्ध तरीके से नहीं चल रही हो तब ऐसा करना जरूरी है। उन्होंने बेहिचक यह भी कहा कि वे पहले कप्तानी में निराश हो जाते थे लेकिन जल्दी ही इस पर प्रगति की है और हमेशा चीजों को बिना पहचाने आगे ले जाने, और उनमें अंतर जानने की तरफ देखेंगे। दिल्ली से आने वाले कोहली वेस्टइंडीज के खिलाफ किंगस्टन में जल्द घबरा गए थे और आपा खो बैठे थे। उन्होंने इस बात पर ज़ोर देकर कहा कि उन्हें अपने पुराने अनुभवों से सीख मिली है और शांत बने हैं। भारत ने घर में काफी रन बनाए हैं और विराट कोहली के नेतृत्व में पिछले 19 टेस्ट मैचों में टीम अविजित रही है। इसके साथ ही यह टीम विश्व की उन टॉप पांच टीमों में शामिल हो गई जिन्होंने लगातार अविजित रहने का रिकॉर्ड बनाया हो। 27 मैचों में अविजित रहने वाली वेस्टइंडीज इस लिस्ट में अभी टॉप पर है। कैरेबियाई टीम 1982 से 1984 के दौरान 27 टेस्ट मैचों में एक भी नहीं हारी थी। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 4 टेस्ट मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मुक़ाबला 23 फ़रवरी से पुणे में खेला जाएगा। इसके बाद दूसरा टेस्ट बेंगलुरु, तीसरा रांची और चौथा मैच धर्मशाला में खेला जाएगा।