एकदिवसीय मैचों में बात-बात में ही शतक ठोक देते हैं। अब तो ऐसा लगता है कि अगर कोहली शतक नहीं बनाते है तो वह फॉर्म में ही नहीं हैं। कोहली लक्ष्य का पीछा करते और भी खतरनाक हो जाते हैं और ज्यादातर मौकों पर शतक ठोक कर टीम को जीत दिलाते हैं। सचिन तेंदुलकर की बात करें तो उन्होंने अपने करियर की 452 पारियों में 49 शतक जमाये थे और उन्होंने एक शतक के लिए 9.22 पारियां ली थी। यह संख्या उनसे पहले वाले खिलाड़ियों से काफी अधिक थी लेकिन कोहली अभी तक मात्र 192 पारियों में ही 32 शतक लगा चुके हैं और वो किसी भी सीरीज में शतक ना लगाये लगभग नामुमकिन ही है। कोहली ने एक शतक के लिए 6 पारियां ली हैं तो वहीं वर्तमान के बाकी खिलाड़ियों को देखें तो हाशिम आमला ने एक शतक के लिए 5.96 पारियां, क्विंटन डिकॉक ने 6.76 पारियां, शिखर धवन ने 8.36 पारियां और एबी डीविलियर्स ने 8.6 पारियां ली है। जबकि बाबर आज़म ने तो 35 पारियों में ही 7 शतक लगा दिए हैं। इससे यह बात साफ हो जाता है कि पहले के मुकाबले अब एकदिवसीय मैचों में शतक लगाना आसान हो गया है। पिचें सपाट हो गयी हैं, बल्ले पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गये हैं, बाउंड्री छोटी हो चुकी है। विराट, सचिन के शतकों के रिकॉर्ड से मात्र 18 शतक पीछे हैं और वह इसी गति से शतक जमाते रहे तो 160 मैचों में वो 26 और शतक ठोक देगें और अगर उन्होंने शतक के लिए 8 पारियां भी ली फिर भी वो 20 शतक बना देंगे, जो सचिन के शतकों से ज्यादा है। वर्तमान परिदृश्य को देख कर लगता है कि कोहली आसानी से सचिन के आगे निकल जायेंगे लेकिन देखने वाली बात होगी कि कितना आगे।