ऑस्ट्रेलिया के पूर्व महान खिलाड़ी शेन वार्न बड़ी जीत के लिए कुछ खोने को तैयार रहने की बात कहते रहते हैं। सकारात्मक सोच वाले खिलाड़ियों में इस प्रतिष्ठित पूर्व लेग स्पिनर के लिए भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली सबसे सटीक है। महेंद्र सिंह धोनी के बाद कप्तानी करते हुए इस स्टार बल्लेबाज ने लगातार 18 मैचों में बिना मैच गंवाए कप्तानी करते हुए राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। एक खुले खत के जरिये 28 वर्षीय भारतीय क्रिकेटर ने देश के तमाम लोगों को साहसिक कार्य के लिए पीछे नहीं हटने की सलाह दी, तथा 2014 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एडिलेड टेस्ट की चौथी पारी में खुद की मानसिकता के बारे में भी बताया। कोहली लिखते हैं "किसी भी तरह लोग विश्वास करते हैं कि मैं जो कर रहा हूँ उसका मुझे अच्छी तरह पता है, उन्हें लगता है कि ये मुझे पता है कि मेरे फैसले किस प्रकार परिणाम देंगे। वर्तमान सफलता का विश्वास इस राष्ट्र के लिए व्यापक है। लेकिन सत्य यह है कि मैं नहीं जानता। जब मैं परंपरा के खिलाफ जाकर कोई फैसला लेने वाला होता हूं, तो मुझे पता नहीं होता कि यह सही जाएगा, मुझे मालूम नहीं होता कि यह सफल होगा।" आगे भारतीय टेस्ट कप्तान ने लिखा "मैं यह जानता हूं कि यह कितने भी भयावह फैसले हो, समय के साथ मुझे कदम बढ़ाने का मौका मिला है। मुझे मेरे डर को दूर करके आगे बढ्न है। जैसे 2 वर्ष पहले एडिलेड टेस्ट में, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हमने ड्रॉ के लिए खेलने की बजाय जीत के लिए गए, और हम हार गए। उस दिन हम इतिहास बदल सकते थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।" 2014 में चार टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले टेस्ट में कोहली को चोटिल धोनी की जगह टीम की अगुआई करने का मौका मिला। बल्लेबाजों के लिए मददगार एडिलेड की पिच पर मेजबान टीम ने पारी घोषित करने से 4 रन प्रति ओवर की औसत से रन बनाते हुए 517 रन बनाए। बड़े स्कोर के दबाव से बेफिक्र रहते हुए दिल्ली के इस बल्लेबाज ने उत्तेजक शतक बनाया और विपक्षी टीम को करारा जवाब दिया। 73 रनों की बढ़त के साथ कंगारू टीम ने अपनी दूसरी पारी को 290 रन बनाकर घोषित की और पांचवें दिन भारतीय टीम को बल्लेबाजी के लिए कहा गया। तेजी से बिगड़ती हुई पिच पर अधिकतर कप्तान ड्रॉ कराने के लिए सोचते हैं। लेकिन कोहली ने कठिन फैसला लेते हुए 364 रनों के लक्ष्य का पीछा करना उचित समझा। मेजबान टीम के स्पिनर नाथन लायन को ऑफ स्टम्प से बाहर बने रफ क्षेत्र से मदद मिल रही थी लेकिन कोहली ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए मास्टर क्लास दर्शा दी। उनके साथ मुरली विजय भी क्रीज़ पर टिके रहे और दोनों मिलकर भारत को जीत के करीब ले गए, लेकिन ऑस्ट्रेलिया अंत में 48 रन से जीत गया। कोहली के इस फैसले ने सभी पूर्व क्रिकेटरों और कप्तानों के दिल जीत लिया, तब से लेकर अब तक कोहली की वही आक्रामक शैली रही है। उम्दा प्रतिस्पर्धा के धनी कोहली के अनुसार "क्या मुझे अपने उठाए गए कदमों के लिए पछतावा करना चाहिए, मुझे जब भी मौका मिलेगा, मैं ऐसे कदम फिर उठाऊंगा। सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, इस तरह के निर्णय नहीं लेने के लिए अफसोस भी होता है।" नए वर्ष से एक सप्ताह पहले उन्होंने मेसेज दिया "नए वर्ष के लिए मेरा मंत्र यही है कि मैं वही करूंगा, जो मैं हमेशा करता आया हूं। खुद की प्रवृति का पालन करें और विकल्प बनाएं। 'क्योंकि किसे पता है, कल हम कौनसी मंजिल और कौनसा मुकाम पाएंगे? पर एक बात जरूर है, अगर आक्रामक नहीं खेलेंगे, तो कभी न जान पाएंगे।"