जब वर्ल्ड क्रिकेट की ऑल टॉइम इलेवन खिलाड़ियों की लिस्ट बनाते हैं तो उन खिलाड़ियों को अपनी लिस्ट में जगह जरुर देते हैं जिन्होंने मजबूत टीमों के खिलाफ घरेलू और विदेशी सरजमीं पर रन अच्छा प्रदर्शन किया हो। इन सबमें अगर किसी खिलाड़ी ने दुनिया की सबसे मजबूत टीम के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया हो या फिर वो उसकी पसंदीदा टीम बन गई हो तो निश्चित उस खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन में जगह मिलेगी। इसका उदाहरण है इंग्लैंड के खिलाफ ब्रेडमैन की बल्लेबाजी, वेस्टइंडीज के खिलाफ गावस्कर, भारत और श्रीलंका के खिलाफ एंडी फ्लावर। मेरे लिए इनमें सबसे में वीवीएस लक्ष्मण की ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई पारियां सबसे ज्यादा अच्छी लगती हैं। अजेय ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ लक्ष्मण ने काफी रन बनाए। शेन वॉर्न ने इस बात का जिक्र किया था कि सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी उनके सपने में आते है लेकिन देखा जाए तो वीवीएस लक्ष्मण ने भी वॉर्न के खिलाफ कम रन नहीं बनाए। अपने दिनों में लक्ष्मण बल्लेबाजी करते हुए काफी खूबसूरत लगते थे। कलाइयों का जिस तरह से वो उपयोग करते थे वो अद्भुत था। भारतीय पिचों पर लक्ष्मण ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ काफी सफल रहे हैं। 57.04 की औसत से लक्ष्मण ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत में 1198 रन बनाए। आइए आपको बताते हैं वीवीएस लक्ष्मण की भारत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 बेहतरीन पारियों के बारे में। #1 2008 में दिल्ली टेस्ट की पहली पारी में नाबाद 200 रन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान की बैटिंग पिच पर भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। सहवाग और द्रविड़ का विकेट जल्दी गिर गया। 27 रनों पर भारत के 2 विकेट गिर चुके थे। इसके बाद सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर ने पारी को संभाला और टीम का स्कोर 157 रन तक ले गए। 157 रनों पर तीसरा विकेट गिरने के बाद वीवीएस लक्ष्मण बल्लेबाजी करने के लिए आए। भारतीय टीम सीरीज में 1-0 से आगे थी और उन्हें पता था कि ऑस्ट्रेलिया टीम कमबैक करने में माहिर है। इन हालात में मैच किसी भी तरफ मुड़ सकता था, ऑस्ट्रेलिया भी जीत सकती थी और भारत भी जीत सकता था। ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी भारत को 300 रनों तक सीमित करने के लिए। मिचेल जॉनसन और ब्रेटली इस मिशन पर लग गए। भारत की तरफ से ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण को नेस्तनाबूद करने का जिम्मा वेरी-वेरी स्पेशल लक्ष्मण ने उठाया। लक्ष्मण ने जमकर बल्लेबाजी करते हुए दोहरा शतक ठोक दिया। उन्होंने तेज गेंदबाजों को अपना निशाना बनाया और उन पर कवर ड्राइव ऐसे खेले जैसे कि नेट में बल्लेबाजी की प्रैक्टिस कर रहे हों। लक्ष्मण के बेहतरीन दोहरे शतक की बदौलत भारत ने अपनी पारी में 613 रनों का स्कोर खड़ा किया। लेकिन मैच ड्रॉ हो गया। उस मैच में गौतम गंभीर ने भी दोहरा शतक लगाया लेकिन उस मैच को लक्ष्मण के शानदार शॉट और गेंदबाजी आक्रमण की धज्जियां उड़ाने के लिए जाना जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया ने पहले दिन 8 विकेट पर 291 रन बनाए। उम्मीद थी कि दूसरे दिन ऑस्ट्रेलियाई पारी जल्द ही सिमट जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं कप्तान स्टीव स्मिथ ने जेसन गेलेस्पी के साथ मिलकर पारी को संभाल लिया और भारतीय टीम का इंतजार काफी लंबा कर दिया। इन दोनों प्लेयरों की शानदार साझेदारी की बदौलत कंगारु टीम 291 रन से 445 रन बनाने में सफल रही। दूसरे दिन भारतीय टीम जब बल्लेबाजी के लिए उतरी तो चाय तक 31 रन पर 1 विकेट गंवा दिया। भारत के सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ का विकेट सस्ते में गिर गया। जल्द ही भारतीय टीम का स्कोर 88 रनों पर 4 विकेट हो गया। इस मुश्किल परिस्थिति में वेरी-वेरी स्पेशल वीवीएस लक्ष्मण बल्लेबाजी के लिए क्रीज पर आए। दूसरे छोर पर विकेट लगातार गिरते रहे और जल्द ही महज 97 रनों पर भारतीय टीम ने अपने 7 विकेट गंवा दिए। ऐसा लगा कि जल्द ही भारतीय पारी समाप्त हो जाएगी लेकिन दूसरे छोर पर उम्मीद की किरण के रुप में वीवीएस लक्ष्मण अभी भी क्रीज पर डटे हुए थे। उस मैच में लक्ष्मण ने शायद अपने क्रिकेट की बेहतरीन पारी खेली और मुश्किल परिस्थिति में जब लगातार विकेट गिर रहे थे 59 रन बनाए। अपनी इस पारी में उन्होंने 12 चौके लगाए। उनका विकेट काफी विवादास्पद रहा। रिप्ले में वो नॉट आउट लग रहे थे। हालांकि उनके आउट होने के बाद जल्द ही भारतीय पारी 177 रनों पर सिमट गई और टीम को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। #3 2004 में मुंबई टेस्ट की दूसरी पारी में 69 रन ये एक ऐतिहासिक टेस्ट मैच था जो आज भी भारतीय फैंस और खिलाड़ियों के जेहन में ताजा हैं। उस दौरे पर रिकी पोंटिंग की अगुवाई में नंबर एक ऑस्ट्रेलियाई टीम सीरीज पहले ही जीत चुकी थी। 2-0 से कंगारु टीम सीरीज जीत चुकी थी और मुंबई में सीरीज का आखिरी मैच खेला जा रहा था। भारतीय टीम वानखेड़े में अपना सम्मान बचाने के लिए खेल रही थी इसलिए ग्रांउड्समैन ने टर्न विकेट पिच तैयार की। भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। लेकिन शुरुआत में ही भारतीय बल्लेबाजी ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। ग्लेन मैक्ग्रा, जेसन गेलस्पी और कास्प्रोविच ने खतरनाक गेंदबाजी की और 33 रनों तक भारत के 5 विकेट गिरा दिए। द्रविड़ ने सिर्फ पहली पारी में कंगारु गेंदबाजों का सामना किया फिर भी भारतीय पारी मात्र 104 रनों पर सिमट गई। हार्टिज का वो डेब्यू मैच था और अपने डेब्यू मैच में ही उन्होंने शानदार गेंदबाजी की। 104 रनों के जवाब में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपनी पहली पारी में आक्रामक बल्लेबाजी की। भारतीय स्पिनरों ने भी शानदार गेंदबाजी करते हुए कंगारु टीम को 209 रनों पर समेट दिया और इस तरह से ऑस्ट्रेलिया को 99 रनों की महत्वपूर्ण लीड मिली। दूसरी पारी में भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही और 14 रन पर 2 विकेट गिर गए। यहां पर बल्लेबाजी के लिए वीवीएस लक्ष्मण आए उन्होंने कंगारु गेंदबाजों का डटकर मुकाबला किया। लक्ष्मण ने विकेटों के पतझड़ के बीच 69 रनों की संयमित पारी खेली दूसरी पारी में भी इंडियन टीम जल्द सिमट गई। माइकल क्लार्क ने 6 विकेट निकालकर भारतीय बल्लेबाजी की रीढ़ ही तोड़ दी। ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 107 रनों का लक्ष्य मिला। यहां से ये मैच ऐतिहासिक हो गया। 107 रनों के मामूली से लक्ष्य का पीछा करते हुए कंगारु टीम मात्र 93 रनों पर ही सिमट गई और भारतीय टीम ने मैच जीत लिया। भारतीय स्पिनरों ने काफी शानदार गेंदबाजी की। लेकिन मैच के असली हीरो तो लक्ष्मण ही रहे। द्रविड़, पोटिंग, तेंदुलकर और क्लार्क जैसे बल्लेबाजों के होते हुए भी लक्ष्मण ने अपनी पारी से सबका दिल जीत लिया। #4 2010 में मोहाली टेस्ट की दूसरी पारी में 73 रन ये मैच कई मायनों में यादगार मैच रहा। विपरीत परिस्थितियों में भारतीय टीम ने जीत हासिल की। मुश्किल हालात में होते हुए भी एक खिलाड़ी ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। वॉटसन के शतक और पोंटिंग के अर्धशतक की बदौलत कंगारु टीम ने 428 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा किया। भारत ने इसका अच्छा जवाब दिया और सचिन तेंदुलकर के 98 रनों की बदौलत 405 रन बनाए। चोट की वजह से मैच में वीवीएस लक्ष्मण 10वें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे। इस वजह से वो पहली पारी में महज 2 रन ही बना सके। दूसरी पारी में भारतीय गेंदबाजों ने अनुशासित गेंदबाजी को और ऑस्ट्रेलियाई टीम को 192 रनों पर रोक दिया। भारतीय टीम को जीत के लिए 216 रनों का टार्गेट मिला। लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही और पहले ही ओवर में सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का विकेट गिर गया। इसके बाद भारतीय टीम के विकेटों की झड़ी लग गई और देखते ही देखते मात्र 76 रनों पर भारत के चोटी के 5 बल्लेबाज पवेलियन में थे। ऐसी नाजुक स्थिति में क्रीज पर बल्लेबाजी के लिए वीवीएस लक्ष्मण आए। लक्ष्मण अब भी चोट से जूझ रहे थे। लक्ष्मण के क्रीज पर आने के बाद 3 और विकेट गिर गए। भारत की सबसे बड़ी उम्मीद सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी और हरभजन सिंह भी आउट हो गए। 128 रनों पर भारत के 8 विकेट गिर चुके थे। जीत अभी भारतीय टीम से कोसों दूर थी। 8वां विकेट गिरने के बाद इशांत शर्मा बल्लेबाजी के लिए आए। भारत को जीत के लि 92 रन चाहिए थे। एक चोटिल बल्लेबाज और 2 पुछल्ले बल्लेबाजों के लिए टेस्ट मैच के 5वें दिन ये रन बनाना एकदम असंभव सा लग रहा था। खासकर जब सामने ऑस्ट्रेलिया के कहर बरपाते गेंदबाज हों। वेरी-वेरी स्पेशल लक्ष्मण ने यहीं से अपना क्लास दिखाना शुरु कर दिया। चोटिल होने के बावजूद लक्ष्मण ने रिकी पोटिंग के हर एक आक्रमण का करारा जवाब दिया। लक्ष्मण ने कंगारू गेंदबाजों को विकेट से महरुम रखा दूसरी तरफ तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा भी लक्ष्मण का साथ बखूबी निभा रहे थे। धीरे-धीरे ये बल्लेबाज टीम के स्कोर को बढ़ाते गए और टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचा दिया। लेकिन यहीं से ऑस्ट्रेलियाई टीम ने फिर से वापसी की और इशांत शर्मा को पवेलियन भेज दिया। अब भारत के पास सिर्फ 1 विकेट बचे थे और जीत के लिए अभी भी 11 रन चाहिए थे। क्रीज पर बल्लेबाज थे प्रज्ञान ओझा और वीवीएस लक्ष्मण। मैच काफी रोमांचक स्थिति में पहुंच चुका था। ऐसे में रन दौड़ने को लेकर ओझा और लक्ष्मण के बीच थोड़ी बहस भी हुई। लेकिन दोनों ही बल्लेबाजों ने अंत में भारतीय टीम को एतिहासिक जीत दिला दी। चोट से परेशान होने के बावजूद लक्ष्मण की ये यादगार मैच जिताऊ पारी लंबे समय तक याद रखी जाएगी। #5 2001 में कोलकाता टेस्ट की दूसरी पारी में 281 रन इस मैच में लक्ष्मण की पारी को सालों तक याद रखा जाएगा। भारतीय क्रिकेट ही नहीं बल्कि वर्ल्ड क्रिकेट के इतिहास में इस पारी को सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। एक ऐसी पारी जिसने वर्ल्ड क्रिकेट में भारतीय टीम के टेस्ट क्रिकेट की परिभाषा ही बदल दी और ये ऐतिहासिक पारी खेली वेरी-वेरी स्पेशल वीवीएस लक्ष्मण ने। पहली पारी में भारतीय टीम ज्यादा स्कोर नहीं खड़ा कर पाई। इसलिए ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने भारतीय टीम को फॉलोआन खेलने के लिए कहा। दूसरी पारी में भी भारत की शुरुआत अच्छी नहीं रही। सलामी बल्लेबाज सदगोपन रमेश को शेन वॉर्न ने आउट कर भारत को पहला झटका दिया। उस समय टीम का स्कोर 52 रन था। पहला विकेट जल्द गिरने के बाद भारतीय कप्तान गांगुली ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया और वीवीएस लक्ष्मण को नंबर 6 की बजाए प्रमोट कर नंबर 3 पर बल्लेबाजी के लिए भेज दिया। लक्ष्मण ने पहली पारी में जहां पर खत्म किया था दूसरी पारी में वहीं से शुरुआत की। इसी बीच ऑस्ट्रेलिया ने कुछ और विकेट चटका दिए। महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलक भी आउट हो चुके थे और भारत का स्कोर 3 विकेट पर 115 रन था। मैच में भारत की पकड़ कमजोर होती जा रही थी। ऐसे में वीवीएस लक्ष्मण ने एक छोर संभाले रखा। उन्होंने कमजोर गेंदों को अपना निशाना बनाया और कप्तान गांगुली के साथ 100 रनों की साझेदारी की। दोनों बल्लेबाज 232 रनों तक भारतीय पारी को ले गए। इसी स्कोर पर मैक्ग्रा ने गांगुली को आउट कर भारतीय टीम को चौथा झटका दिया। गांगुली के आउट होने के बाद मिस्टर भरोसेमंद राहुल द्रविड़ बल्लेबाजी के लिए आए। दोनों ही बल्लेबाजों ने सधी हुई बल्लेबाजी की और दिन का खेल खत्म होने तक और कोई विकेट नहीं गिरने दिया। तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक भारतीय टीम का स्कोर 4 विकेट पर 254 रन था। पहली पारी के आधार पर भारतीय टीम अब भी ऑस्ट्रेलियाई टीम से एक पारी और 232 रनों से पीछे थी। जबकि चोटी के 4 बल्लेबाज आउट भी हो चुके थे। भारतीय टीम मैच में काफी मुश्किल हालात में थी। लेकिन मैच के चौथे दिन जो हुआ उस पर आज भी यकीन नहीं होता। वीवीएस लक्ष्मण ने चौथे दिन ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की जमकर धुनाई की। तेज गेंदबाज हों या फिर स्पिनर लक्ष्मण ने किसी को नहीं छोड़ा। मैच में लक्ष्मण ने पहले अपना शतक पूरा किया फिर दोहरा शतक और अंत में 281 रनों की मैराथन पारी खेलकर आउट हुए। राहुल द्रविड़ ने भी लक्ष्मण का बखूबी साथ दिया और उन्होंने भी 180 रनों की मैराथन पारी खेली। फॉलोआन खेलने के बावजूद भारतीय टीम ने ये मैच 171 रनों से जीत लिया। इस मैच में लक्ष्मण की 281 रनों की पारी को टेस्ट क्रिकेट की सबसे ऐतिहासिक पारियों में से एक माना गया। लक्ष्मण की ये पारी आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। हालांकि द्रविड़ की पारी को भी इस मैच में भुलाया नहीं जा सकता है।