ये एक ऐतिहासिक टेस्ट मैच था जो आज भी भारतीय फैंस और खिलाड़ियों के जेहन में ताजा हैं। उस दौरे पर रिकी पोंटिंग की अगुवाई में नंबर एक ऑस्ट्रेलियाई टीम सीरीज पहले ही जीत चुकी थी। 2-0 से कंगारु टीम सीरीज जीत चुकी थी और मुंबई में सीरीज का आखिरी मैच खेला जा रहा था। भारतीय टीम वानखेड़े में अपना सम्मान बचाने के लिए खेल रही थी इसलिए ग्रांउड्समैन ने टर्न विकेट पिच तैयार की। भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। लेकिन शुरुआत में ही भारतीय बल्लेबाजी ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। ग्लेन मैक्ग्रा, जेसन गेलस्पी और कास्प्रोविच ने खतरनाक गेंदबाजी की और 33 रनों तक भारत के 5 विकेट गिरा दिए। द्रविड़ ने सिर्फ पहली पारी में कंगारु गेंदबाजों का सामना किया फिर भी भारतीय पारी मात्र 104 रनों पर सिमट गई। हार्टिज का वो डेब्यू मैच था और अपने डेब्यू मैच में ही उन्होंने शानदार गेंदबाजी की। 104 रनों के जवाब में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपनी पहली पारी में आक्रामक बल्लेबाजी की। भारतीय स्पिनरों ने भी शानदार गेंदबाजी करते हुए कंगारु टीम को 209 रनों पर समेट दिया और इस तरह से ऑस्ट्रेलिया को 99 रनों की महत्वपूर्ण लीड मिली। दूसरी पारी में भारतीय टीम की शुरुआत खराब रही और 14 रन पर 2 विकेट गिर गए। यहां पर बल्लेबाजी के लिए वीवीएस लक्ष्मण आए उन्होंने कंगारु गेंदबाजों का डटकर मुकाबला किया। लक्ष्मण ने विकेटों के पतझड़ के बीच 69 रनों की संयमित पारी खेली दूसरी पारी में भी इंडियन टीम जल्द सिमट गई। माइकल क्लार्क ने 6 विकेट निकालकर भारतीय बल्लेबाजी की रीढ़ ही तोड़ दी। ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 107 रनों का लक्ष्य मिला। यहां से ये मैच ऐतिहासिक हो गया। 107 रनों के मामूली से लक्ष्य का पीछा करते हुए कंगारु टीम मात्र 93 रनों पर ही सिमट गई और भारतीय टीम ने मैच जीत लिया। भारतीय स्पिनरों ने काफी शानदार गेंदबाजी की। लेकिन मैच के असली हीरो तो लक्ष्मण ही रहे। द्रविड़, पोटिंग, तेंदुलकर और क्लार्क जैसे बल्लेबाजों के होते हुए भी लक्ष्मण ने अपनी पारी से सबका दिल जीत लिया।