भारतीय टीम का कोच बनने को बेताब था: सौरव गांगुली

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने अपने मन की बात बताते हुए कहा है कि वे भारतीय राष्ट्रीय टीम के कोच बनना चाहते थे लेकिन एक प्रशासक बनकर रह गए। दादा ने कहा कि आप आप जो कर सकते हो उसी के बारे में सोच सकते हो। आपको यह भी नहीं मालूम होता कि जीवन कहाँ जाने वाला है।

सौरव गांगुली ने अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहा कि मैं 1999 में ऑस्ट्रेलिया गया था मैं उस समय उप-कप्तान भी नहीं था। सचिन तेंदुलकर कप्तान थे और तीन महीने बाद मैं कप्तान बन गया।

गांगुली ने कहा कि जब मैं प्रशासन में आया तब कोच बनने को लेकर बहुत बेताब था। जगमोहन डालमिया ने मुझे बुलाकर कहा कि आप 6 महीने के लिए इसमें कोशिश करके क्यों नहीं देख लेते। इसके बाद उनका देहांत हो गया और आस=पास कोई नहीं था इसलिए मैं बंगाल क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बन गया। लोगों को अध्यक्ष बनने के लिए 20 साल लगते हैं।

इंडिया टूडे कॉन्क्लेव में गांगुली ने खुद के साथ हुए ग्रेग चैपल विवाद पर भी बात की। भारत के सफलतम कप्तानों में से एक दादा को 2006 में टीम से बाहर कर दिया था लेकिन उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जोहान्सबर्ग में वापसी करते हुए नाबाद 51 रनों की पारी खेली। 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ हुई घरेलू सीरीज में गांगुली ने दोहरा शतक जड़ा। इसके बाद 2008 में नागपुर टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दादा ने संन्यास लिया।

बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर गांगुली ने कहा कि जब मैंने संन्यास लेने की घोषणा की तो सचिन लंच पर मेरे पास आए और कहा कि आप इस तरह का निर्णय क्यों ले रहे हो, तो मैंने कहा कि मैं और नहीं खेलना चाहता। फिर उन्होंने कहा कि इस तरह फ्लो में खेलते देखना अच्छा लग रहा है, आपके अंतिम तीन साल श्रेष्ठ रहे हैं। मैंने संन्यास लिया क्योंकि एक पॉइंट पर आकर आपको यह करना होता है।

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