विदर्भ ने रणजी टूर्नामेंट के इतिहास में पहली बार रणजी ट्रॉफी अपने नाम की है। इस जीत में मुंबई के बल्लेबाज वसीम जफर की अहम भूमिका रही। उन्होंने ये भी माना है कि वह इस टूर्नामेंट में विदर्भ क्रिकेट संघ के लिए मुफ्त में खेले। हालांकि वजह पूछे जाने पर उन्होंने कहा उन्होंने सिर्फ विदर्भ का बदला चुकाया है। विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा मैंने विदर्भ क्रिकेट संघ के साथ 2016-17 में एक अनुबंध किया था जिसके तहत मुझे रकम तीन किश्तों में अदा की जाती - अक्टूबर, जनवरी, मार्च। विदर्भ चाहता था कि मैं उनके लिए रणजी खेलूँ लेकिन मेरी चोटों के चलते ये संभव नहीं हो पाया। फिर भी विदर्भ ने मुझे अनुबंध की रकम अदा की।अक्टूबर में भी मैं चोटों के चलते खेलने के उपलब्ध ना था तो अनुबंध की किश्त भी नहीं मिली जो कि जायज़ था। जनवरी में फिट होने पर भी सीमित ओवरों के क्रिकेट से दूर ही रहा हालांकि विदर्भ ने कॉन्ट्रैक्ट का सम्मान करते हुए मुझे पूरी कीमत चुकाई। मैंने भी विदर्भ की इस दरियादिली के बदले कुछ करना चाहता था ,इसीलिए मैंने विदर्भ के लिए इस रणजी सत्र में मुफ्त में खेलने का निर्णय लिया।
दिल्ली को हराते हुए विदर्भ ने रणजी ट्रॉफी पर कब्जा जमाया है। वसीम ने 600 रन इस पूरे टूर्नामेंट में स्कोर किये और जीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।ईनाम स्वरूप उन्हें 5 करोड की राशि दी गई है, जिसमें 2 करोड़ बीसीसीआई की ओर से ,3 करोड़ विदर्भ क्रिकेट संघ की ओर से।
उन्होंने अनुभव साझा करते हुए कहा कि विदर्भ की टीम के साथ युवाओं को गाइड करना उनका सही निर्णय साबित हुआ।विदर्भ का अपने क्रिकेट को सुधारने के लिए द्रष्टिकोण काफी अच्छा है, जिसके चलते उन्होंने 2009 में आवासीय अकादमी शुरू की। उनके तीन खिलाड़ी अंडर 19 एशिया कप में भी खेले हैं। वह कहते हैं कि वो उनके पास जो कुछ है उसके लिए भगवान का शुक्र अदा करते हैं और जो कुछ उन्हें नहीं मिला उसके लिए पछतावा नहीं करते।