सांप्रदायिक होने के आरोपों पर वसीम जाफर का बयान 

वसीम जाफर
वसीम जाफर

उत्तराखंड क्रिकेट टीम के कोच पद से इस्तीफा देने के बाद वसीम जाफर के ऊपर सांप्रदायिक होने और मजहब के नाम पर खिलाड़ियों को मौका देने के आरोप लगे थे। अपने आरोपों के ऊपर वसीम जाफर (Wasim Jaffer) की प्रतिक्रिया आई है। वसीम जाफर ने सभी आरोपों को निराधार बताया है और कहा कि मैं सांप्रदायिक होता तो इस्तीफ़ा नहीं देता।

मुंबई में एक प्रेस वार्ता कर वसीम जाफर ने कहा कि मैंने मजहब के आधार पर टीम में खिलाड़ी शामिल नहीं किये, आरोप निराधार है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि प्रैक्टिस के दौरान नमाज पढ़ने के लिए मौलवी को मैंने नहीं इक़बाल ने बुलाया था। वसीम जाफर ने यह भी कहा कि सिक्ख संप्रदाय का एक नारा टीम लगाती थी जिसकी जगह मैंने उत्तराखंड के लिए गो उत्तराखंड का नारा दिया। उन्होंने कहा कि मैं सांप्रदायिक होता तो इस्तीफ़ा नहीं देता। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा टीम चयन में दखल की बात भी वसीम जाफर ने कही है। उनका कहना है कि टीम चयन के लिए मुझे निर्देश मिलते थे।

वसीम जाफर पर लगे थे आरोप

कुछ दिन पहले उत्तराखंड क्रिकेट संघ के सचिव ने वसीम जाफर पर गंभीर आरोप जड़े थे। उन्होंने कहा था कि जाफर टीम में मजहब के आधार पर भेदभाव करते थे और अभ्यास में मौलवी बुलाते थे। बायो बबल में जब टीम होती है तो किसी बाहरी व्यक्ति को आना सख्त मना होता है। सचिव माहिम वर्मा ने कहा कि बायो बबल तोड़ने की जानकारी मुझे बाद में मिली अन्यथा मैं उसी समय कार्रवाई करता।

हालांकि बायो बबल तोड़ने और अन्य आरोपों के जवाब में वसीम जाफर ने सभी इसके लिए उत्तराखंड के खिलाड़ी इक़बाल के ऊपर दोष मढ़ा है। उन्होंने खुद के ऊपर लगे सभी आरोपों को सही नहीं बताते हुए प्रशासन पर दखलंदाजी का आरोप जड़ा है। जाफर और उत्तराखंड क्रिकेट के अपने-अपने दावे हैं।

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