कपिल देव को विश्व के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से एक माना जाता है। वह विश्व कप जीतने वाले पहले भारतीय कप्तान भी हैं। 1983 विश्व कप में उनकी कप्तानी बहुत ही प्रेरणादायक रही जिसने भारतीय क्रिकेट इतिहास में नए अध्याय की शुरुआत की। वेस्टइंडीज में 1988-89 के दौरान भारतीय टीम बुरी तरह बिखर गई थी। वह पहले तीन टेस्ट हार चुकी थी। चौथे टेस्ट में वह बमुश्किल हार को टाल सकी। भारत के 289 रन के जवाब में वेस्टइंडीज ने पहली पारी में 384 रन बनाए और अगर कपिल देव नहीं होते तो कैरीबियाई टीम ज्यादा रन बना सकती थी। रिची रिचार्डसन और सर विवियन रिचर्ड्स शतक जमा चुके थे और फिर कपिल की गेंदबाजी की बदौलत वेस्टइंडीज बड़ा स्कोर बनाने से चूक गई। 321 रन पर तीन विकेट गंवाकर मजबूत स्थिति में रही वेस्टइंडीज की टीम 384 रन पर ऑलआउट हो गई। कपिल ने गोर्डन ग्रीनीज, डेसमंड हेंस, रिची रिचार्डसन, विवियन रिचर्ड्स, एएल लोगी और मालकोम मार्शल को आउट किया।